सरकार ने लैटरल नियुक्ति की प्रक्रिया को निरस्त किया

केन्द्र सरकार ने शासन में कुछ उच्च पदों पर अधिकारियों की सीधी (लेटरल) नियुक्ति की पिछले सप्ताह घोषित प्रक्रिया को रद्द करने के लिये संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से आग्रह किया है.

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नई दिल्ली| केन्द्र सरकार ने शासन में कुछ उच्च पदों पर अधिकारियों की सीधी (लेटरल) नियुक्ति की पिछले सप्ताह घोषित प्रक्रिया को रद्द करने के लिये संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से आग्रह किया है.

केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के मंत्री जितेन्द्र सिंह ने यूपीएससी के अध्यक्ष प्रीती सूदन को पत्र लिखा है.डॉ. सिंह ने लिखा है, ” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृढ़ मत है कि लेटरल नियुक्तियों की प्रक्रिया निश्चित रूप से संविधान, विशेष रूप से संविधान में आरक्षण के विषय में समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार होनी चाहिये।”

कार्मिक विभाग के मंत्री ने आयोग से कहा है कि चूंकि उच्च पदों के लिये लेटरल नियुक्ति के लिये 17 अगस्त 2024 को जारी विज्ञापन में जिन पदों के लिये रिक्तियों की भर्ती की जानी थी, उन्हें विशेषज्ञता वाली और एकल कैडर के पद माना गया था इसिलये उन पर नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया था. डॉ. सिंह ने नियुक्तियों में सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने पर श्री मोदी के स्पष्ट मत के संबंध में आयोग के अध्यक्ष से शनिवार को विज्ञापित लेटरल भर्ती की प्रक्रिया को रद्द करने का अनुरोध किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार ने विपक्ष के दबाव में संघ लोक सेवा आयोग- यूपीएससी से लेटरल एंट्री का विज्ञापन वापस लिया है और अब संविधान की रक्षा के लिए उस पर इसी तरह से दबाव बनाया जाएगा. श्री खडगे ने संविधान जयते कहते हुए कहा “हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने भाजपा के आरक्षण छीनने के मंसूबों पर पानी फेरा है. लेटरल एंट्री पर बोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताक़त ही हरा सकती है।” विस्तृत समाचार के लिए हमारी सेवाएं लें.

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