कोविड के दो कम चर्चित लक्षण फिर से उभरे, विशेषज्ञों ने किया सावधान

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कोविड-19 के मामले दक्षिण-पूर्व एशिया, जिसमें भारत भी शामिल है, के कुछ हिस्सों में एक बार फिर बढ़ रहे हैं. आमतौर पर बुखार, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना, थकान और शरीर में दर्द जैसे लक्षणों से लोग परिचित हैं, लेकिन इस बार दो कम चर्चित लक्षण – दस्त और कंजंक्टिवाइटिस (लाल या गुलाबी आंख) – अधिक देखे जा रहे हैं, जिन्होंने चिकित्सकों का ध्यान खींचा है.

अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के अनुसार, कंजंक्टिवाइटिस को कोविड-19 का एक दुर्लभ लक्षण माना जाता रहा है. इसी तरह, मेयो क्लिनिक के एक अध्ययन में उल्लेख किया गया था कि कुछ कोविड पॉजिटिव लोगों में मतली और दस्त जैसे पाचन संबंधी लक्षण देखे गए थे. हालांकि, ये लक्षण पहले कभी कोविड के प्रमुख संकेतक नहीं माने गए. अब, नए मामलों में इन लक्षणों की मौजूदगी ने इन्हें संभावित चेतावनी संकेत के रूप में उभारा है, खासकर जब ये श्वसन संबंधी अन्य लक्षणों के साथ दिखाई दें.

भारत में स्थिति

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 19 जून, 2025 तक भारत में 257 सक्रिय कोविड मामले दर्ज किए गए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अधिकांश मामले हल्के हैं और सामान्य लक्षणों के उपचार से ठीक हो रहे हैं. अभी तक कोई गंभीर जटिलताएं सामने नहीं आई हैं. मुंबई के एक अस्पताल में हाल ही में कोविड से संबंधित दो मौतें दर्ज की गईं, लेकिन ये मरीज पहले से ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे.

विशेषज्ञों की सलाह

चिकित्सा विशेषज्ञों ने जनता को घबराने से बचने की सलाह दी है. अपने स्वास्थ्य पर नजर रखना, बुनियादी स्वच्छता का पालन करना और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना महत्वपूर्ण है. यदि आपको बुखार, गले में खराश, नाक बहना, थकान, दस्त या आंखों में लालिमा जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें और जांच करवाएं.

कोविड से बचाव के उपाय

कोविड संक्रमण से बचने का सबसे प्रभावी तरीका बुनियादी सावधानियों पर ध्यान देना है. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें, उन क्षेत्रों की यात्रा से बचें जहां मामले बढ़ रहे हैं, नियमित रूप से हाथ धोएं और बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचें. यदि आपको लक्षण दिखाई दें, तो खुद को अलग करें और चिकित्सक की सलाह पर जांच करवाएं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और सावधानी बरतने से इस बार के कोविड मामलों को नियंत्रित करना संभव है.

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