क्या पाकिस्तान के 1 अरब डॉलर के IMF ऋण के साथ युद्ध विराम की शर्त जुड़ी थी?
भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम में अमेरिका की भूमिका, IMF ऋण ने निभाया अहम किरदार
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की कगार पर पहुंच चुके तनाव के बाद इतनी जल्दी युद्ध विराम कैसे संभव हुआ? पाकिस्तान ने निश्चित रूप से तीन दिन की सैन्य कार्रवाइयों के बाद शांति की पहल की, लेकिन क्या इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का 1 अरब डॉलर का ऋण भी एक कारण था? सूत्रों के अनुसार, इस ऋण के साथ भारत के साथ तत्काल युद्ध विराम की शर्त जुड़ी हो सकती है.
युद्ध विराम में अमेरिका की मध्यस्थता
हालांकि भारत और पाकिस्तान ने द्विपक्षीय स्तर पर युद्ध विराम पर सहमति जताई, लेकिन सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने इस्लामाबाद पर तत्काल तनाव कम करने के लिए दबाव डाला. इस दबाव का आधार 1 अरब डॉलर का IMF ऋण था, जिसे युद्ध विराम की स्वीकृति से जोड़ा गया. भारत ने इस ऋण का विरोध किया और IMF की आलोचना की, क्योंकि यह ऋण ऐसे समय में मंजूर किया गया जब पाकिस्तान भारत के नागरिक और सैन्य ठिकानों पर हमले कर रहा था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने रातभर चली बातचीत के जरिए इस समझौते को संभव बनाया. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी उनके बयानों का समर्थन किया. रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से बात की थी.
भारत ने स्पष्ट किया कि युद्ध विराम का समझौता पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की पहल पर द्विपक्षीय बातचीत के बाद हुआ.
पाकिस्तान के लिए IMF ऋण क्यों महत्वपूर्ण था?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ऋण और अनुदानों पर निर्भर है. 9 मई को IMF बोर्ड ने पाकिस्तान के 7 अरब डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम की समीक्षा की. 31 मार्च 2025 तक पाकिस्तान का IMF से ऋण 6.2 अरब डॉलर था, जबकि विश्व बैंक ने 48 अरब डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है. 2024 में पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज 130 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
लंबे समय से व्यापार घाटा, कम कर संग्रह और उच्च सार्वजनिक ऋण के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट में है. यह IMF ऋण पाकिस्तान के लिए अन्य ऋणों के ब्याज भुगतान के लिए जीवन रेखा की तरह था. इसलिए, युद्ध विराम की शर्त को अस्वीकार करना उसके लिए संभव नहीं था.
भारत की सैन्य कार्रवाइयों का प्रभाव
पाकिस्तान की सैन्य संपत्तियों को भारत की जवाबी कार्रवाइयों से हुए नुकसान ने उसे युद्ध विराम के लिए मजबूर किया होगा, लेकिन IMF ऋण ने तनाव कम करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर हमले किए, जो IMF समीक्षा के समय आत्मघाती साबित हो सकते थे.