क्यों कुछ कोविड-19 मामले गंभीर हो जाते हैं, जबकि अन्य नहीं

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नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी की शुरुआत के पांच साल बाद भी वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं कि कुछ रोगियों में यह बीमारी गंभीर रूप क्यों ले लेती है, जबकि अन्य में हल्के लक्षण या कोई लक्षण नहीं दिखते. विशेषज्ञों के अनुसार, इस अंतर के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें रोगी की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, आनुवंशिक कारक और वायरस का प्रकार शामिल हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, कोविड-19 के गंभीर मामलों में आमतौर पर फेफड़ों में सूजन, ऑक्सीजन की कमी और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) जैसी जटिलताएं देखी जाती हैं. दिल्ली के एम्स के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनंत मोहन ने बताया, “उम्रदराज लोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा या हृदय रोग जैसे सह-रोगों वाले मरीजों में गंभीर लक्षणों का खतरा अधिक होता है. उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से प्रभावी ढंग से नहीं लड़ पाती.”

आनुवंशिक कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हाल के शोध, जैसे कि जर्नल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन, बताते हैं कि कुछ लोगों में जीन संरचना ऐसी होती है, जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के खिलाफ कमजोर बनाती है. उदाहरण के लिए, टाइप-1 इंटरफेरॉन प्रतिक्रिया से जुड़े जीन में उत्परिवर्तन गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. इसके अलावा, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में गंभीर लक्षण अधिक देखे गए हैं, जिसका कारण हार्मोनल अंतर और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में भिन्नता हो सकता है.

वायरस का प्रकार भी एक प्रमुख कारक है. डेल्टा वैरिएंट जैसे कुछ स्वरूपों ने अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनाया, जबकि ओमिक्रॉन जैसे अन्य वैरिएंट आमतौर पर हल्के लक्षणों से जुड़े रहे. टीकाकरण ने गंभीर मामलों को काफी हद तक कम किया है, लेकिन बूस्टर खुराक न लेने वाले लोगों में जोखिम बना रहता है.

पर्यावरणीय और सामाजिक कारक, जैसे प्रदूषण, खराब पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच, भी बीमारी की गंभीरता को प्रभावित करते हैं. भारत जैसे देशों में, जहां आबादी घनी और स्वास्थ्य सुविधाएं असमान हैं, गंभीर मामलों की संख्या अधिक रही है.

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को समझने के लिए और शोध की आवश्यकता है. डॉ. मोहन ने सुझाव दिया, “नियमित स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर गंभीर मामलों को रोका जा सकता है.” जैसे-जैसे वैज्ञानिक इस बीमारी के रहस्यों को सुलझा रहे हैं, जनता के लिए सतर्कता और स्वस्थ आदतें अपनाना महत्वपूर्ण है.

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