बच्चों में हल्के लक्षणों को न करें नजरअंदाज  

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नई दिल्ली| देश में कोरोना की घातक दूसरी लहर में बच्चों –शिशुओं में संक्रमण ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है| डॉक्टरों ने अपने बच्चों को बाहर न निकलने देने की अपील की है| साथ ही बच्चों में हल्के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करने की सलाह भी दी है|

मिडिया रिपोर्ट की मुताबिक दूसरी लहर में कोरोना वायरस अब 45 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए बहुत गंभीर हो रहा है।

इस दूसरी लहर में सभी आयु वर्ग के बच्चों , यहां तक कि एक वर्ष से कम आयु के बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं।  बच्चे पहले की तुलना में संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील हैं। बच्चों के लिए स्थिति पिछले साल से काफी अलग है, जो कि चिंता बढ़ानी वाली बात है।

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ज्यादातर प्रभावित बच्चों में मौजूद लक्षण हल्का बुखार, खांसी, जुकाम और पेट से संबंधित समस्याएं हैं। कुछ को शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी की भी शिकायत है।

अब बच्चे 103-104 डिग्री सेल्सियस से अधिक तेज बुखार से प्रभावित हो रहे हैं, जो 5-6 दिनों तक बना रहता है।ऐसे भी कुछ मामले हैं, जिनमें निमोनिया भी देखा गया है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि बच्चों में हल्के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और माता-पिता को बच्चों में संभावित डायरिया, सांस लेने में समस्या और सुस्ती जैसे लक्षणों पर ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने खासकर बुखार के साथ इस तरह के लक्षणों पर सतर्क रहने की सलाह दी।

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में ऐसी समस्याओं को पहचानने में माता-पिता को सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि शुरूआती तौर पर एक्शन लेने से बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

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