अमेरिकी अधिकारी ने पाकिस्तानी पत्रकार को दिया करारा जवाब

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भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच एक पाकिस्तानी पत्रकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शांति वार्ता में बाधा डालने का आरोप लगाया, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. वाशिंगटन में हुई प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह नाटकीय घटनाक्रम सामने आया, जहाँ अमेरिका ने साफ किया कि उसका ध्यान केवल युद्धविराम और दोनों देशों के बीच सीधे संवाद पर है.

पाकिस्तानी पत्रकार ने ब्रीफिंग में दावा किया कि पाकिस्तान ने अमेरिका के नेतृत्व में शांति प्रयासों का स्वागत किया है, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस “शांति समझौते” को ठुकरा दिया. पत्रकार ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कश्मीर मुद्दे को सुलझाकर नोबेल शांति पुरस्कार जीत सकते हैं. उन्होंने मोदी के पुराने अमेरिकी वीजा विवाद का जिक्र करते हुए तंज भी कसा. इस पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी थॉमस पिगॉट ने तीखा जवाब दिया.

थॉमस पिगॉट ने पत्रकार के सवाल को दरकिनार करते हुए कहा, “हमारा ध्यान युद्धविराम पर है, और हम इससे खुश हैं. हम चाहते हैं कि यह युद्धविराम बना रहे और दोनों देश आपस में सीधा संवाद करें.” उन्होंने किसी भी तरह के आरोप-प्रत्यारोप में उलझने से इनकार किया और ट्रम्प की शांति स्थापना की प्रतिबद्धता को दोहराया. पिगॉट ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प शांति के पक्षधर हैं और वैश्विक संघर्षों को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं.”

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. 7 मई को शुरू हुए भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी हमले किए. 10 मई को अमेरिकी मध्यस्थता से दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई, लेकिन सीमा पर छिटपुट उल्लंघन की खबरें आ रही हैं. भारत ने बार-बार कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगा और पाकिस्तान को अपनी जमीन से आतंकी गतिविधियों को रोकना होगा.

अमेरिका का यह जवाब भारत के प्रति तटस्थ रुख को दर्शाता है, साथ ही यह संदेश देता है कि वह दोनों देशों के बीच सीधे संवाद को प्राथमिकता देता है. पाकिस्तानी पत्रकार की टिप्पणी को नजरअंदाज कर अमेरिका ने साफ कर दिया कि वह इस तनाव में किसी एक पक्ष को दोष देने के बजाय शांति पर ध्यान देना चाहता है. भारत ने भी इस युद्धविराम को स्वीकार किया है, लेकिन उसका कहना है कि भविष्य की कार्रवाई पाकिस्तान के व्यवहार पर निर्भर करेगी.

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