दंतेवाड़ा : क्यों नगर पालिका में शामिल नहीं होने चाहते आदिवासी?

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दंतेवाड़ा| बस्तर संभाग  के दंतेवाड़ा जिले में गुरुवार को बड़ी संख्या में आदिवासियों ने प्रदर्शन किया। हाथों में ढोल-बाजा लेकर प्रदर्शन कर रहे ये ग्रामीण नगर पालिका बचेली में शामिल होना नहीं चाहते हैं ये अपने गाँव को नपा से अलग करने की मांग कर रहे थे।

आदिवासियों का कहना था कि नगर पालिका में शामिल करने से उनकी संस्कृति और ग्रामीण परिवेश को खतरा है। आदिवासियों ने आरोप लगाया कि कलेक्टर ने ग्राम पंचायत बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसे भी पूरा नहीं किया गया।

नगर पालिका बचेली से अलग करने की मांग को लेकर आज गुरुवार को 11 पारा के ग्रामीण सड़क पर उतर आए। ग्रामीणों ने रैली निकाली और ग्राम पंचायत में शामिल करने की मांग की।

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इसमें तामोपारा, कोयापारा, चालाकीपारा, पटेलपारा, मांझीपारा, कायापारा, पांडुपारा, पूजरिपारा, कुम्हारपारा, स्कूलपारा के करीब 3 हजार मतदाता शामिल थे।

इस दौरान सर्व आदिवासी समाज ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन तहसीलदार पुष्पराज पात्रा को सौंपा।

ग्रामीणों का कहना था कि 5 वीं अंसूची क्षेत्र का पालन होना चाहिए। हम अपनी मांगों को लेकर पहले भी प्रदर्शन कर चुके हैं। तब कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि 11 पारा को मिलाकर एक ग्राम पंचायत बना दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि नगर पालिका में शामिल किए जाने से ग्रामीण परिवेश खत्म हो रहा है। आदिवासियों की प्रथा और परंपरा समाप्त हो रही है। अपनी परम्पराओं को बचाने के लिए नगर पालिका में नहीं रहना चाहते।

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