लक्ष्मीपुर सरपंच ने विवादित सचिव को प्रभार देने पर की इस्तीफे की पेशकश

लक्ष्मीपुर सरपंच ने विवादित सचिव को प्रभार देने पर  इस्तीफे की पेशकश की है. उधर जनपद सीईओ ने कहा अफसरों के निर्देश पर कार्यवाही की गई है. बता दें महिला सचिव ने पूर्व में भी प्रभारनही दिया था.

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पिथौरा|  लक्ष्मीपुर सरपंच ने विवादित सचिव को प्रभार देने पर  इस्तीफे की पेशकश की है. उधर जनपद सीईओ ने कहा अफसरों के निर्देश पर कार्यवाही की गई है. बता दें महिला सचिव ने पूर्व में भी प्रभारनही दिया था.

जिला पंचायत के सीईओ के एक विवादित पंचायत सचिव को पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर में पुनः पदस्थ करने से परेशान ग्राम पंचायत की आदिवासी महिला सरपंच कुमारी भोई ने सचिव को लक्ष्मीपुर में पदस्थ नहीं करने का उनका आग्रह नही मानने पर त्यागपत्र की पेशकश की है.

सरपंच ने स्थानीय सीईओ पर आरोप लगाया कि वे लगातार उन्हें नोटिस देकर विवादित सचिव को प्रभार देने का दबाव बनाते हुए उन्हें धारा 40 के तहत बर्खास्त करने की लिखित धमकी भी दे रहे हैं. दूसरी ओर नोटिस देने की बात स्थानीय सीईओ भी कबूल कर रहे हैं. सीईओ ने उक्त नोटिस उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जारी करने की बात कही है.

विकासखण्ड के ग्राम लक्ष्मीपुर की महिला सरपंच कुमारी भोई ने अपनी पंचायत से पूर्व में हटाई गई पंचायत सचिव को पुनः पदस्थ करने का विरोध करते हुए आक्रोश व्यक्त किया है.

ज्ञात हो कि पूर्व में लगातार 5 ग्राम पंचायतों में प्रभार नही देने वाले एक पंचायत सचिव को जिला सीईओ द्वारा उस पर पंचायती राज अधिनियम अधिनियम की धारा 92 के तहत कार्यवाही करने की बजाय उसे उसकी मर्जी से पिथौरा विकासखण्ड से सराईपाली विकासखण्ड में पदस्थ कर दिया जाता है.

इसके बाद उक्त तरह के ही एक मामले में एक महिला सचिव जो कि 2 साल पूर्व ग्राम लक्ष्मीपुर ग्राम पंचायत में पदस्थ थी. उसके ऊपर सरपंच की जानकारी के बगैर ही सरपंच के डिजिटल हस्ताक्षर से रुपये निकालने की शिकायत के बाद उन्हें लक्ष्मीपुर से हटाया गया था. लक्ष्मीपुर में नवपदस्थ सचिव को उक्त महिला सचिव द्वारा प्रभार नही दिया गया.

लक्ष्मीपुर सरपंच के अनुसार उक्त सचिव के कारनामे आज भी पंचायत की एक अलमारी में सीलबंद है. परन्तु सब ठीक ठाक चलने के बीच लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उक्त महिला सचिव को किसी राजनीतिक दबाव में पुनः लक्ष्मीपुर में ही पदस्थ कर दिया गया.

इस आदेश से लक्ष्मीपुर ग्राम पंचायत में खलबली मची है. सरपंच बताती है कि उनकी पोस्टिंग लक्ष्मीपुर होने से उन्हें कोई आपत्ति नही थी. बल्कि पंचों ने महिला सरपंच को उनके पिछले कार्यकाल के प्रभार देने का आग्रह किया था. परन्तु उक्त सचिव ने प्रभार देने की बजाय सरपंच को ही बर्खास्त करने का नोटिस जनपद पंचायत से दिलवा दिया वह भी एक बार नही माह भर में तीन बार.

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लक्ष्मीपुर सरपंच कुमारी भोई अफसरों के इस रवैये से काफी आक्रोशित है. उन्होंने इस प्रतिनिधि के सामने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री के शासन में जानबूझ कर उन्हें परेशान किया जा रहा है. महिला सचिव के बारे में उन्होंने कहा कि वे जब उनकी पंचायत में पदस्थ थी तब उन्हें यह भी नही बताया जाता था कि पंचायत के किस फंड से कितनी राशि आहरित की गई है. क्योंकि अब सरपंच के प्रत्यक्ष हस्ताक्षर करवाने की बजाय डिजिटल हस्ताक्षर से राशि आहरण होने लगी है. इसलिए पंचायतो में ऐसा सचिव नियुक्त किया जाना चाहिए जो राशि आहरण का नियमानुसार प्रस्ताव कर पंच सरपंच की जानकारी में आहरण करे. इससे पारदर्शिता बनी रहती है. परन्तु आदिवासी मुख्यमंत्री बनने के बाद से आदिवासी जनप्रतिनिधियों को नियम विरुद्ध कार्य करने का लिखित आदेश देते हुए धारा 40 के तहत बर्खास्त करने की धमकी भी दी जा रही है.
बहरहाल प्रदेस में भाजपा को सरकार है।सरकार के मुखिया भी स्वयम आदिवासी समाज के है. अब देखना यह होगा कि जिले के पंचायत विभाग में चल रहे असंवैधानिक लिखित आदेशो की श्रृंखला थमती है या इसी तरह की गतिविधियां आगे भी जारी रहेगी.

 

 उच्च अधिकारियों के निदेश पर नोटिस 

दूसरी ओर स्थानीय जनपद पंचायत के सीईओ चंद्रप्रकाश मनहर ने बताया कि अनेक तरह के पेंशन में अड़चन के कारण बैंक में नवपदस्थ पंचायत सचिव के हस्ताक्षर का नमूना देने का आदेश किया गया है. यह आदेश उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दिया जा रहा है.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा 

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