नई दिल्ली: डिजिटल पेमेंट को और सुरक्षित बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के लिए एक नया नियम जारी किया है, जो 30 जून 2025 से लागू होगा. इस नियम के तहत, यूपीआई ऐप्स पर अब आपके द्वारा सेव किया गया या कस्टम नाम नहीं, बल्कि प्राप्तकर्ता का बैंक में दर्ज असली नाम ही दिखाई देगा. यह बदलाव व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति से व्यापारी (P2M) दोनों तरह के लेनदेन पर लागू होगा, चाहे आप क्यूआर कोड स्कैन करें, मोबाइल नंबर डालें या यूपीआई आईडी का उपयोग करें.
वर्तमान में, गूगल पे, फोनपे, पेटीएम और भीम जैसे यूपीआई ऐप्स पर प्राप्तकर्ता का वही नाम दिखता है, जो आपने अपने फोन में सेव किया होता है. इससे धोखेबाजों को फर्जी या भ्रामक नामों का इस्तेमाल कर अपनी पहचान छिपाने का मौका मिल जाता है. नए नियम से यह समस्या खत्म होगी, क्योंकि लेनदेन से पहले आपको प्राप्तकर्ता का बैंक में दर्ज नाम दिखेगा, जिससे आप यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि पैसे सही व्यक्ति या व्यापारी को जा रहे हैं.
इस नियम से यूपीआई उपयोगकर्ताओं को कई फायदे होंगे. पहला, धोखाधड़ी का पता लगाना आसान होगा, क्योंकि आप गलत या संदिग्ध नामों को तुरंत पहचान सकेंगे. दूसरा, लेनदेन अधिक सुरक्षित होंगे, क्योंकि सही प्राप्तकर्ता की पहचान से डिजिटल पेमेंट में भरोसा बढ़ेगा. तीसरा, समान नामों के कारण होने वाली गलतियों में कमी आएगी, जिससे गलत व्यक्ति को पैसे भेजने का जोखिम कम होगा. एनपीसीआई के अनुसार, यह कदम यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता के बीच धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है.
उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि लेनदेन से पहले स्क्रीन पर दिखने वाले नाम को ध्यान से जांच लें. यदि नाम अपरिचित या संदिग्ध लगे, तो पेमेंट न करें. साथ ही, अज्ञात क्यूआर कोड स्कैन करने से बचें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत अपने बैंक या यूपीआई ऐप के हेल्पलाइन को दें. सभी यूपीआई ऐप्स और बैंकों को 30 जून 2025 तक इस नियम का पालन करना अनिवार्य है, अन्यथा उन्हें एनपीसीआई दिशानिर्देशों के उल्लंघन का सामना करना पड़ सकता है.
यह नया नियम न केवल डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि उपयोगकर्ताओं में यूपीआई के प्रति विश्वास को और मजबूत करेगा.