तालिबान से युद्ध में हमारे लिए ऐसी सेना की मदद कर पाना मुश्किल जो लड़ने-मरने को तैयार ही नहीं : बाइडेन

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से काबुल में स्थितियां बिगड़ना शुरू हो गई हैं और रविवार को तालिबान देश की राजधानी काबुल पर निर्णायक रूप से कब्जा कर लिया।

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वॉशिंगटन । अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से काबुल में स्थितियां बिगड़ना शुरू हो गई हैं और रविवार को तालिबान देश की राजधानी काबुल पर निर्णायक रूप से कब्जा कर लिया।

राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद तालिबान लड़ाकों ने राष्ट्रपति के आवास पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां तालिबान से भयभीत लोगों में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई है।

हजारों अफगान भागने के एकमात्र माध्यम काबुल एयरपोर्ट पर एकत्र हो गए और वायुयानों पर चढ़कर बैठ गए। इसी अफरातफरी के बीच वायुयान के पहियों के बीच कहीं लटकर यात्रा करते तीन लोग ऊंचे से गिर कर मौत का शिकार हो गए।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय समयानुसार सोमवार देर रात अफगानिस्तान मुद्दे पर अमेरिका को संबोधित किया। बाइडन अफगानिस्तान से वापसी के अपने फैसले का बचाव करते हुए अफगान सेना पर जमकर बरसे।

बाइडन ने कहा अमेरिकी सेना ऐसे किसी युद्ध में सहयोग नहीं कर सकती,  जिसमें अफगान सेनाएं लड़ने और मरने के लिए तैयार नहीं हों। उन्होंने कहा हम करीब 20 साल पहले स्पष्ट लक्ष्यों के साथ अफगानिस्तान गए थे।

हमारा लक्ष्य स्पष्ट था कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हमला करने वालों को पकड़ना और यह सुनिश्चित करना कि अल कायदा अफगानिस्तान को अपने बेस के रूप में इस्तेमाल न पाए, ताकि हम पर दोबारा ऐसे हमले नहीं किए जा सकें।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा जो घटनाएं हम देख रहे हैं, वे बेहद दुखद हैं और इस बात का सबूत हैं कि अमेरिकी सैन्य बल की कितनी ही संख्या कभी स्थिर, एकजुट, सुरक्षित अफगानिस्तान का निर्माण कर पाने में सक्षम नहीं है।

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अभी जो हो रहा है,  वह पांच साल पहले भी हो सकता था और 15 साल बाद भी हो सकता था।

बाइडन ने कहा मुझे पता है कि अफगानिस्तान पर मेरे फैसले की आलोचना की जाएगी, लेकिन मैं इस जिम्मेदारी को एक और राष्ट्रपति को सौंपने के बजाय सारी आलोचना को स्वीकार करना चाहूंगा।

उन्होंने कहा यह फैसला हमारे लोगों, हमारे देश के लिए अपनी जान को जोखिम में डालने वाले सैनिकों और अमेरिका के लिए सही है।

राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि आज आतंकवाद का खतरा अफगानिस्तान के बाहर भी फैल गया है। हम कई देशों में आतंकवादी समूहों के खिलाफ प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियान चलाते हैं, जहां हमारी स्थाई सैन्य उपस्थिति नहीं है।

अगर जरूरी हुआ तो हम अफगानिस्तान में भी ऐसा ही करेंगे। बाइडन ने कहा हमारा वर्तमान सैन्य मिशन हमारे लोगों और सहयोगियों को जल्द से जल्द और सुरक्षित रूप से निकालना है।

एक बार हम इस मिशन को पूरा कर लेंगे तो हम अपनी सैन्य वापसी को खत्म कर देंगे। फिर अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध खत्म हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि 6000 अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान में तैनात करने के लिए अधिकृत किया गया है, ताकि अफगानिस्तान से अमेरिकी और मित्र देशों के असैन्य कर्मियों को निकालने में मदद की जा सके और हमारे अफगान सहयोगियों और कमजोर अफगानों को देश के बाहर निकाला जा सके।

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