नहीं तो उस राज्य और राजधानी को भी दिल्ली बना दिया जाएगा-राकेश टिकैत

जो राज्य सरकार किसान का चेहरा नहीं बनेगी, उस राज्य और राजधानी को भी दिल्ली बना दिया जाएगा।  यह चुनौती राजिम में आज मंगलवार को महापंचायत में जुटे हजारों किसानों को संबोधित करते  किसान नेता राकेश टिकैत ने दी | 

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राजिम/रायपुर। जो राज्य सरकार किसान का चेहरा नहीं बनेगी, उस राज्य और राजधानी को भी दिल्ली बना दिया जाएगा।  यह चुनौती राजिम में आज मंगलवार को महापंचायत में जुटे हजारों किसानों को संबोधित करते  किसान नेता राकेश टिकैत ने दी |  मीडिया हाऊस को भी चेताते कहा  किसानों के हित के लिए सभी को साथ आना होगा। अगला टारगेट मीडिया हाऊस है। हमारा साथ दें|

राजिम  किसान महापंचायत में  किसान नेता राकेश टिकैत, सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर, और योगेन्द्र यादव यहां पहुंचे, और महापंचायत में हिस्सा लिया।

राकेश टिकैत ने चेतावनी दी कि यदि दिल्ली का आंदोलन असफल हुआ तो फिर देश में कोई आंदोलन नहीं हो पाएगा।

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उन्होंने कहा, जो राज्य सरकार किसान का चेहरा नहीं बनेगी, उस राज्य और राजधानी को भी दिल्ली बना दिया जाएगा।  विदेशी कंपनियों की आमदनी कम होगी तभी किसान मजदूर की आमदनी बढ़ेगी। जिन 14 करोड़ लोगों के रोजगार गए हैं, उन्हें आंदोलन करना होगा।

उन्होंने कहा,  संस्थानों को बेचा जा रहा है। पूरे देश को धर्म और जाति में बांटा जा रहा है। यह आंदोलन किसान बिरादरी का है। सरकारें अभी जो नीति चला रही हैं, उससे रोटियां तिजोरी में बंद होंगी। किसी की जेब में पैसा नहीं तो रोटी नहीं मिलेगी। बड़ी बड़ी कंपनियों के आने से यही होगा।

महापंचायत को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, योगेन्द्र यादव, डॉ. सुनीलम, बलदेव सिंह सिरसा भी संबोधित किया ।

योगेंद्र यादव ने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि किसान आंदोलन सिर्फ दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में ही है। छत्तीसगढ़ में इस आंदोलन का कोई असर नहीं है। ऐसे लोगों की बोलती निश्चित रूप से राजिम में पहुंची भीड़ को देखकर बंद हो गई होगी। यह आंदोलन पूरे देश के छोटे किसानों का है,

इधर इसके पहले राकेश टिकैत ने एयरपोर्ट पर मीडिया से चर्चा में केन्द्र सरकार को जमकर कोसा, और कहा कि केन्द्र सरकार की तीन काले कानूनों का असर पूरे देश में होगा।   उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की जा रही धान खरीदी की उन्होंने तारीफ की है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों को भी छत्तीसगढ़ की तर्ज पर किसानों को उनकी फसलों के दाम देना चाहिए। उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर छत्तीसगढ़ की सरकार से सहयोग भी मांगा है।

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