आदिवासी हितों की रक्षा में हमेशा नाकाम रही भाजपा : अंकित
छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले के तेज तर्रार कांग्रेसी नेता अंकित बागबाहरा ने आरोप लगाया है कि भाजपा आदिवासी हितों की रक्षा में हमेशा नाकाम रही है. वे आरक्षण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह टिप्पणी की है.
महासमुन्द| छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले के तेज तर्रार कांग्रेसी नेता अंकित बागबाहरा ने आरोप लगाया है कि भाजपा आदिवासी हितों की रक्षा में हमेशा नाकाम रही है. वे आरक्षण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह टिप्पणी की है. अंकित बागबाहरा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे कांग्रेस सरकार की प्रदेश वासियों के प्रति चिंता और एक बड़ी परन्तु शुरुआती उपलब्धि बताया.
अंकित ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने आरक्षण के मामले में शासन का पक्ष रखने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी,कपिल सिब्बल,मुकुल रोहतगी जैसे वकीलों की पूरी फौज लगाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने सीधे अभिषेक मनु सिंघवी और राज्य सरकार को निर्देशित करते हूए राज्य सरकार की समस्त दलीलों के पक्ष में 7 बिंदुओं में निर्णय सुनाया है जिससे राज्य की कांग्रेस सरकार की मंशा भी स्पष्ट परिलक्षित होती है.
अंकित बागबाहरा ने बताया कि 2011 में रमन सरकार द्वारा आरक्षण में फेर बदल किया गया था जिसमें एस सी के आरक्षण में कटौती की गई थी साथ ही ई डब्लू एस हेतु कोई प्रावधान नही किया गया है जिससे नाराज हो कई व्यक्तियों द्वारा हाई कोर्ट में 2012 में केस लगाया गया . इस बीच मे रमन सिंह सरकार ने ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई,मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई पर 2018 तक कभी इस बात का उल्लेख व उन कमेटियों की अनुशंसा की जानकारी हाईकोर्ट में नही थी. इसी कारण कोर्ट ने आरक्षण को रद्द करते हुए अपने फैसले में लिखा था कि पूर्ववर्ती सरकार को बहुत समय दिया गया व कभी भी उन्होंने कमेटियों का जिक्र तक अपने शपथ पत्रों या दस्तावेजों में नही किया है इसलिए और समय देना संभव नही है.
अंकित ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी और जीती साथ ही राज्य की कांग्रेस सरकार 76 प्रतिशत आरक्षण देने प्रतिबद्ध है. जिसके लिए उसने विशेष सत्र बुलाया,और विगत 4 माह से आरक्षण संशोधन विधेयक भाजपा के षड्यंत्रों के चलते भाजपा प्रभावित राज भवन में लंबित है. जबकि राजभवन द्वारा पूछे 10 सवालों का जवाब भी वर्तमान सरकार दे चुकी है.
आज रमनराज के समय आरक्षण विरोधी षड्यंत्रों में मूकदर्शक बने भाजपाई केवल चुनावी लाभ के लिए अनर्गल बयान बाजी कर रहे. भाजपा कभी आदिवासियों की हितैषी नही है. इन्होंने विश्व आदिवासी दिवस के दिन विष्णु देव साय को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया, और आज नंदकुमार साय भी भाजपा छोड़ चुके है.
माननीय भूपेश बघेल ने माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही उच्च अधिकारियों की बैठक ले नौकरियों,नियुक्तियों, पदोन्नति के रुके कार्य को तत्काल शुरू करने कहा है जबकि रमन राज में 15 सालों में पीएससी की भर्ती मात्र 9 बार ही हुई याने 6 साल नही हुई, जबकि भूपेश सरकार में अब 5 वे साल में 5वें बार भी होगी. जिसके लिए भूपेश सरकार की जितनी प्रशंशा की जाए कम है. अंकित ने भाजपा से मांग की कि अब यदि उनको सड़क की लड़ाई लड़ना है तो राजभवन के खिलाफ लडे और उनके नेता और सांसदों को चहिये की उपरोक्त 76 प्रतिशत आरक्षण को 9 वीं अनुसूची में शामिल करवाने केंद्र सरकार में पहल करें.