भाजपा, जनता को कंपनियों से मिले चंदे का सच बताए: अंकित बागबाहरा

भाजपा, जनता को कंपनियों से मिले चंदे का सच बताए. कांग्रेस नेता अंकित बागबाहरा ने इलेक्टोरल बांड को रिश्वत का ही एक रूप निरूपित किया है. उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड या नए भारत मे घूस और गैर कानूनी कमीशन को कानूनी रूप कैसे दिया गया इसे विस्तार से समझना चाहिए.

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पिथौरा| भाजपा, जनता को कंपनियों से मिले चंदे का सच बताए. कांग्रेस नेता अंकित बागबाहरा ने इलेक्टोरल बांड को रिश्वत का ही एक रूप निरूपित किया है. उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड या नए भारत मे घूस और गैर कानूनी कमीशन को कानूनी रूप कैसे दिया गया इसे विस्तार से समझना चाहिए.

अंकित ने कहा है कि जब केंद्र में यूपीए नीत कांग्रेस की सरकार थी तब नियम था कि कोई कंपनी अगर किसी राजनीतिक पार्टियों को चंदा देना चाहती है तो उसे 3 सालों तक लाभ अर्जन करने वाली श्रेणी में होना पड़ेगा, अपनी कमाई का अधिकतम 7.5% तक ही चंदा दे सकती थी जिसे नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार आने के बाद हटा दिया गया.

अंकित ने बताया कि इसकी शुरुआत ईडी के मुख्य अधिकारी को लगातार सेवा विस्तार से हुई जिन्हें अंततः सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हटाया गया. नया कानून ला इलेक्टोरल बांड को पूरी तरह गोपनीय कर दिया गया और मोदी की इस 10 साल की सरकार में कुल 14 हजार करोड़ का इलेक्टोरल बांड की जानकारी सामने आ रही है जिसमें लगभग 8251 करोड़ का चंदा अकेले भाजपा को मिला है.

अब सवाल ये उठता है कि जानकारी एसबीआई क्यों नही देना चाहती थी, उसी बैंक से जनवरी 2024 में 18 लाख करोड़ का यूपीआई का लेन देन हुआ जानकारी तुरंत मिल जाती है, उसके 48 करोड़ से ज्यादा एकाउंट है,66 हजार एटीएम है,23 हजार से ज्यादा ब्रांच है जिसकी एक एक जानकारी उनके पास प्रतिदिन आती है, जब नोटबन्दी हुई तब तो एसबीआई ने समय नहीं मांगा और सुप्रीम कोर्ट ने लगातार उसकी हरकतों पर डांट लगाई अचानक सेबी बीच मे कूद पड़ी कि  कंपनियों का डाटा देना उचित नही है.

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अब जब जैसे जैसे इलेक्टोरल बांड की जानकारी का मिलान होता जा रहा है वैसे वैसे कई राज फास हो रहे है इनमें 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने छापे के बाद 4000 करोड़ के बांड खरीदे 23 कंपनियों के यहां छापा पड़ने के बाद 187 करोड़ का चंदा दिया. जैसे सबसे ज्यादा चंदा फ्यूचर गेमिंग कंपनी जो कि ऑनलाइन गेम खिलाती है ने 1368 करोड़ का चंदा दिया है 2016 में इसके यहां ईडी की रेड हुई इसने 2019 में अपनी कमाई से 6 गुना ज्यादा चंदा दिया.

साल 2023में इस कंपनी का मुनाफा था 82 करोड़ रुपये इसने इलेक्टोरल बांड से चंदा दिया 328 करोड़ रुपयेदूसरे नंबर पर मेधा इंजीनियर इंफ्रा लिमिटेड ने कुल 966 करोड़ का चंदा दिया,जिससे ट्विन टनल का प्रोजेक्ट मिला,14400 करोड़ का काम मिला,तेलंगाना में कलेश्वर डेम का सीएजी की आपत्ति के बाद भी 82 हजार करोड़ के काम को 1 लाख 25 हजार करोड़ का कर दिया गया. इसी प्रकार रेड होने के बाद मदनलाल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अपनी कमाई से 1874 %ज्यादा पैसा चंदे में दिया.

इनकम टैक्स के छापे के बाद टीडीपी सांसद रमेश ने 123 करोड़ रुपये का बांड खरीदा व बाद में भाजपा में शामिल हो गए. दवा निर्माता कंपनियों के सैंपल फेल जो जाने,who द्वारा कोरोना में जरूरत ना होना बताए जाने के बाद भी सिप्ला से 39 करोड़ का चंदा,गलेनमार्ग से 10 करोड़ का चंदा,आरसी कफ सिरप से 14 करोड़ का चंदा, टोरेंट ग्रुप से 185 करोड़ का चंदा,सन फार्मा से 31 करोड़ का चंदा,रेमडेशिविर इंजेक्शन की जरूरत न होने पर भी जनवरी 21 को केंद्रीय मंत्री ने इसके प्रोडक्शन बढ़ाये जाने की बात की. ग्रासिम के निबेदन पर सस्ते कपड़े के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया और उसकी मदर कंपनी से कुल 500 करोड़ का चंदा लिया गया.

अब सबसे बड़ा सवाल इन कंपनियों ने चंदा भाजपा को क्यों दिया और ऐसे भ्रष्टाचारी लोगों से भाजपा ने क्यों लिया, जिनके खिलाफ केस चल रहे हैं,जिनके खिलाफ जांच चल रही है,जिनके यहां ईडी आईटी सीबीआई के छापे पड़े. ये चंदा काम के बदले था, की छापे से बचने के लिए था या चंदे के बदले काम था या नए भारत मे घूस और गैर कानूनी कमीशन को कानूनी रूप का अमली जामा पहनाने का अवसर इसे भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए.

अंकित ने पूरी भाजपा से सवाल किया कि आप मणिपुर पे कुछ नही कह रहे, पहलवानों के पक्ष में कुछ नही कहा , सेंगर और टोनी के मामले में कुछ नही कहा तो अब जब तुम बॉन्ड को लाये हो तो अब मुं क्यों लुकाये हो . जनता को ईडी, आईटी,सीबीआई के छापे के बाद उन कंपनियों से मिले चंदे का सच बताना चाहिए. ताकि मोदी की रेड के बाद चंदे की गारेंटी का पता सबको चल सके.

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