सरकार क्या कर रही है?: सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में बढ़ते स्टूडेंट सुसाइड्स पर राजस्थान सरकार से किए सवाल

0 19
Wp Channel Join Now

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 23 मई 2025 को राजस्थान के कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं में वृद्धि को लेकर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया और इसे “गंभीर” स्थिति करार दिया. जस्टिस जे.बी. परदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इस साल कोटा में अब तक 14 आत्महत्या के मामलों की ओर ध्यान आकृष्ट किया और राजस्थान सरकार के वकील से सवाल किया, “राज्य के रूप में आप क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने इस पर विचार नहीं किया?”

कोटा, जो राष्ट्रीय स्तर पर इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं जैसे JEE और NEET की तैयारी के लिए कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है, लंबे समय से छात्रों पर अत्यधिक शैक्षणिक दबाव के कारण चर्चा में रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दो अलग-अलग घटनाओं के संदर्भ में की: एक 22 वर्षीय IIT खड़गपुर के छात्र की आत्महत्या, जो 4 मई 2025 को अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटका पाया गया, और दूसरी एक NEET उम्मीदवार लड़की की आत्महत्या, जो कोटा में अपने माता-पिता के साथ रह रही थी.

पीठ ने कोटा में आत्महत्या के मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज न करने पर असंतोष जताया और पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए. IIT खड़गपुर मामले में, FIR 8 मई को दर्ज की गई, जो छात्र की मृत्यु के चार दिन बाद थी. कोर्ट ने इस देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “इन चीजों को हल्के में न लें. ये बहुत गंभीर मामले हैं.”

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील को NEET उम्मीदवार की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज न करने पर फटकार लगाई. पीठ ने कहा, “आप हमारे फैसले की अवमानना में हैं. FIR क्यों नहीं दर्ज की गई?” कोर्ट ने यह भी नोट किया कि लड़की नवंबर 2024 से अपने कोचिंग संस्थान के आवास में नहीं रह रही थी और अपने माता-पिता के साथ रह रही थी. फिर भी, कोर्ट के मार्च 2024 के फैसले के अनुसार, पुलिस का कर्तव्य था कि वह FIR दर्ज कर जांच शुरू करती.

कोटा मामले में जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को कोर्ट में तलब किया गया है ताकि वह FIR दर्ज न करने के कारणों की व्याख्या करे. पीठ ने कहा, “संबंधित क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी ने अपने कर्तव्य में विफलता दिखाई है. उन्होंने इस कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया.”

SIT और राष्ट्रीय टास्क फोर्स

राजस्थान सरकार के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है. हालांकि, कोर्ट ने इस जवाब को अपर्याप्त माना और पूछा, “कोटा में अब तक कितने युवा छात्रों की मृत्यु हुई है?” जब वकील ने 14 का आंकड़ा बताया, तो पीठ ने तीखी प्रतिक्रिया दी, “ये छात्र क्यों मर रहे हैं?” कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स, जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम के लिए मार्च 2024 में बनाई गई थी, अपनी व्यापक रिपोर्ट पेश करने में समय लेगी.

कोटा में मानसिक दबाव और व्यवस्थागत समस्याएं

कोटा में छात्रों की आत्महत्याएं लंबे समय से एक गंभीर मुद्दा रही हैं. 2023 में 26 और 2024 में 17 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए थे. इस साल जनवरी में ही पांच छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से तीन JEE और दो NEET की तैयारी कर रहे थे. कोचिंग संस्थानों में लंबे समय तक कक्षाएं, कठिन आंतरिक परीक्षाएं और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल छात्रों पर भारी दबाव डालता है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में इस बात पर जोर दिया कि इन मामलों में त्वरित FIR दर्ज करना और जांच को सही दिशा में ले जाना आवश्यक है. कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि उसका मार्च 2024 का फैसला, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया गया था, इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेने का निर्देश देता है.

राजस्थान सरकार के प्रयास

राजस्थान सरकार ने हाल ही में कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने और छात्रों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025 को विधानसभा में पेश किया है. यह विधेयक कोटा में बढ़ती आत्महत्याओं के जवाब में लाया गया है. इसके अलावा, 2023 में सरकार ने छात्रों के लिए मानसिक समर्थन और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हॉस्टल और पेइंग गेस्ट आवासों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने जैसे उपाय शामिल थे.

इस बीच, कोटा में मानव-वन्यजीव संघर्ष भी एक मुद्दा बन रहा है, जैसा कि हाल की घटनाओं में देखा गया है, जहां ग्रामीणों ने एक रॉयल बंगाल टाइगर की हत्या कर दी थी. यह घटना वन्यजीव संरक्षण और मानव-जानवर सह-अस्तित्व की चुनौतियों को उजागर करती है, जो कोटा जैसे क्षेत्रों में अतिरिक्त सामाजिक तनाव पैदा कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को इन आत्महत्याओं के मूल कारणों की जांच करने और तत्काल सुधारात्मक उपाय लागू करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले की बारीकी से निगरानी करेगा और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कोटा में मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली को मजबूत करने और कोचिंग संस्थानों के संचालन को विनियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके.

जिन लोगों को मानसिक संकट या आत्मघाती विचार आ रहे हैं, वे संजीवनी, सोसाइटी फॉर मेंटल हेल्थ से 011-40769002 (सोमवार-शुक्रवार, सुबह 10 बजे से शाम 7:30 बजे तक) पर संपर्क कर मदद और परामर्श प्राप्त कर सकते हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.