मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नीति आयोग की बैठक में छत्तीसगढ़ के 75 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक लक्ष्य को साझा किया
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में राज्य के लिए एक महत्वाकांक्षी विकास योजना प्रस्तुत की. इस बैठक में उन्होंने वर्ष 2047 तक छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को 75 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा. साय ने नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के परिवर्तन को राष्ट्रीय विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसकी उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के विकास के लिए ‘3T मॉडल’—प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता और परिवर्तन—पर आधारित रणनीति को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि इस मॉडल के माध्यम से न केवल छत्तीसगढ़ को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाया जाएगा, बल्कि यह भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.
बस्तर के परिवर्तन पर विशेष जोर देते हुए साय ने कहा कि यह क्षेत्र, जो कभी नक्सल हिंसा के लिए कुख्यात था, अब अवसरों का केंद्र बन रहा है. उन्होंने बताया कि बस्तर और आसपास के 32 प्रखंडों में कौशल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहाँ स्थानीय युवाओं को कंप्यूटर साक्षरता, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य प्रसंस्करण और तकनीकी व्यवसायों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. “आज वे बच्चे, जो कभी जंगलों में लकड़ी इकट्ठा करते थे, मशीनें संचालित करना और लैपटॉप का उपयोग करना सीख रहे हैं,” उन्होंने गर्व के साथ कहा.
मुख्यमंत्री ने बस्तर को ‘मेक इन इंडिया’ का केंद्र बनाने की दृष्टि साझा की, जहाँ नवाचार, उद्योग और अवसरों का संगम होगा. उन्होंने नक्सलवाद के मुद्दे पर भी बात की और मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सल-मुक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई. इसके लिए व्यापक पुनर्वास, कौशल प्रशिक्षण और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए स्वरोजगार कार्यक्रम शुरू किए गए हैं.
साय ने बताया कि बस्तर की जनजातीय समुदायों को अब बाजार, प्रशिक्षण और उद्यमिता के अवसरों तक पहुँच मिल रही है, जिससे स्थानीय उत्पादों के माध्यम से आजीविका के नए रास्ते खुल रहे हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बस्तर के धुधमरस गाँव को संयुक्त राष्ट्र द्वारा “सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव” के रूप में मान्यता दी गई है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को दर्शाता है.
राज्य के विकास के लिए 13 प्रमुख क्षेत्रों—शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन और कौशल विकास—को प्राथमिकता दी गई है. इन क्षेत्रों में प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दस केंद्रित मिशन शुरू किए गए हैं. साय ने कहा कि यह योजना छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को अगले पाँच वर्षों में दोगुना करने और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करने के लक्ष्य को समर्थन देती है.
नीति आयोग की बैठक में प्रस्तुत यह दृष्टिकोण छत्तीसगढ़ के लिए एक सुनियोजित और समावेशी विकास का खाका प्रस्तुत करता है, जो न केवल राज्य की आर्थिक प्रगति को गति देगा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान में भी योगदान देगा.