ट्रम्प ने ईरान पर हमले के लिए मांगे थे दो सप्ताह, दो दिन में ही क्यों किया परमाणु ठिकानों पर प्रहार

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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के लिए दो सप्ताह का समय मांगकर दुनिया को चौंकाया था, लेकिन महज दो दिन बाद ही उन्होंने हमला कर दिया. इस अप्रत्याशित कार्रवाई के पीछे की वजह हाल के उपग्रह चित्रों में छिपी हो सकती है, जिनमें ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल के प्रवेश द्वार के पास असामान्य वाहन गतिविधियां देखी गई थीं.

22 जून 2025 को इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, फोर्डो के भूमिगत सैन्य परिसर के पास 19 और 20 जून को उपग्रह चित्रों में 16 मालवाहक ट्रकों का जमावड़ा दिखा. ये ट्रक सुविधा के सुरंग प्रवेश मार्ग के करीब थे. अगले दिन, अधिकांश ट्रक एक किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थानांतरित हो गए, लेकिन मुख्य प्रवेश द्वार के पास अतिरिक्त ट्रक और कई बुलडोजर दिखाई दिए. विशेषज्ञों का मानना है कि ये गतिविधियां ईरान द्वारा अपनी परमाणु सामग्री को अज्ञात स्थानों पर स्थानांतरित करने की कोशिश का संकेत हो सकती हैं.

20 जून को ट्रम्प ने कहा था कि वे दो सप्ताह में तय करेंगे कि इज़राइल के साथ मिलकर ईरान पर हमला करना है या नहीं. लेकिन, अमेरिकी वायुसेना के बी-2 स्टील्थ बमवर्षकों ने शनिवार को मिसूरी के व्हाइटमैन वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी और रविवार तड़के फोर्डो, नतांज और इस्फहान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया. प्रत्येक बी-2 विमान ने दो 13,600 किलोग्राम के जीबीयू-57 मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी) बंकर बस्टर बम ले गए, जो 200 फीट प्रबलित कंक्रीट को भेद सकते हैं. फोर्डो पर छह एमओपी बम गिराए गए, जबकि नतांज और इस्फहान पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी गईं.

अमेरिकी खुफिया सूत्रों का अनुमान है कि ईरान ने फोर्डो में यूरेनियम को 83.7 प्रतिशत तक संवर्धित किया था, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक 90 प्रतिशत शुद्धता से थोड़ा ही कम है. उपग्रह चित्रों से संकेत मिलता है कि ईरान शायद अपनी परमाणु संपत्तियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहा था, जिसने अमेरिका को त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेरित किया हो. ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर इस हमले को “शानदार सैन्य सफलता” करार दिया और दावा किया कि फोर्डो पूरी तरह नष्ट हो गया.

हालांकि, ईरान ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि हमलों का प्रभाव न्यूनतम था और उन्होंने पहले ही अपनी संवर्धित यूरेनियम भंडार को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था. इस कार्रवाई ने पश्चिम एशिया में तनाव को और बढ़ा दिया है, क्योंकि ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है. वैश्विक समुदाय इस घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहा है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है.

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