यूपीआई ठप होने से डिजिटल पेमेंट में हड़कंप: पेटीएम, जीपे, फोनपे यूजर्स परेशान

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नई दिल्ली: सोमवार शाम को देशभर में डिजिटल पेमेंट का ढांचा अचानक ठप हो गया, जिसने लाखों लोगों को परेशानी में डाल दिया. पेटीएम, गूगल पे और फोनपे जैसे प्रमुख यूपीआई प्लेटफॉर्म्स ने काम करना बंद कर दिया, जिससे ऑनलाइन लेनदेन रुक गया. किराने की दुकानों से लेकर टैक्सी भाड़े तक, हर छोटे-बड़े पेमेंट के लिए यूपीआई पर निर्भर लोग असहाय हो गए.

सोशल मीडिया पर हाहाकार मच गया. एक्स और इंस्टाग्राम पर यूजर्स ने शिकायतों की झड़ी लगा दी, जिसमें पेमेंट फेल होने और ट्रांजैक्शन में देरी की बातें प्रमुख थीं. डाउनडिटेक्टर जैसी वेबसाइट्स पर शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ी. पेटीएम खोलने पर यूजर्स को सीधा संदेश मिला, “यूपीआई ऐप में कुछ दिक्कतें हैं.” यह साफ था कि समस्या सिर्फ एक ऐप तक नहीं, बल्कि पूरे यूपीआई सिस्टम में थी.

खास बात यह है कि पिछले एक महीने में यह तीसरा मौका है, जब यूपीआई सेवा इस तरह धराशायी हुई है. रोजाना करोड़ों लोग इस सिस्टम पर भरोसा करते हैं, लेकिन बार-बार होने वाली ऐसी गड़बड़ियां अब लोगों का सब्र तोड़ रही हैं. दुकानदारों, कैब ड्राइवरों और आम ग्राहकों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई. एक यूजर ने एक्स पर लिखा, “पेट्रोल पंप पर 20 मिनट से फंसा हूं, यूपीआई काम नहीं कर रहा और नकद साथ नहीं है.”

मार्च 2025 में यूपीआई ने रिकॉर्ड बनाया था, जब 18.3 अरब लेनदेन हुए, जिनका मूल्य 24.77 लाख करोड़ रुपये था. फोनपे ने 864.7 करोड़ ट्रांजैक्शन्स के साथ 47% हिस्सेदारी हासिल की, जबकि गूगल पे ने 36% से ज्यादा लेनदेन संभाले. लेकिन इन बड़ी उपलब्धियों के बीच, बार-बार सर्वर ठप होने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम इतने बड़े पैमाने को संभाल पाने में सक्षम है?

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने एक्स पर बयान जारी कर कहा, “हम तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिससे कुछ यूपीआई ट्रांजैक्शन्स फेल हो रहे हैं. हम इसे ठीक करने में जुटे हैं.” हालांकि, यह गड़बड़ी क्यों हुई, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई.

जैसे-जैसे भारत ‘डिजिटल इंडिया’ की राह पर तेजी से बढ़ रहा है, इन तकनीकी खामियों ने चिंता बढ़ा दी है. यूजर्स अब सलाह दे रहे हैं कि नकद साथ रखना जरूरी है, क्योंकि यूपीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं. फिलहाल, एनपीसीआई की तकनीकी टीम सिस्टम को बहाल करने में जुटी है, लेकिन यह घटना डिजिटल भुगतान के भविष्य पर एक बड़ा सवाल छोड़ गई है.

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