छत्तीसगढ़ : भरोसे का समावेशी बजट

विश्लेषण और आंकड़ों के नजरिये से छत्तीसगढ़ सरकार का 2023-24 का बजट भरोसे और विकास का बजट तो है, इससे भी अधिक महत्वपूर्णं बात यह है कि इस बार का बजट समावेशी भी है और संतुलित बजट भी है।

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विश्लेषण और आंकड़ों के नजरिये से छत्तीसगढ़ सरकार का 2023-24 का बजट भरोसे और विकास का बजट तो है, इससे भी अधिक महत्वपूर्णं बात यह है कि इस बार का बजट समावेशी भी है और संतुलित बजट भी है। अपने कार्यकाल के अंतिम बजट में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने इस बात के पूरे प्रयास किये हैं कि समाज के तमाम वर्गों के हितों की अनदेखी न हो, बल्कि सबको, सबके लिए 2023-24 के बजट में कुछ न कुछ जरूर दिया है।

डाॅ. लखन चौधरी

अर्थशास्त्रीय विश्लेषण और आंकड़ों के नजरिये से छत्तीसगढ़ सरकार का 2023-24 का बजट भरोसे और विकास का बजट तो है, इससे भी अधिक महत्वपूर्णं बात यह है कि इस बार का बजट समावेशी भी है और संतुलित बजट भी है। अपने कार्यकाल के अंतिम बजट में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने इस बात के पूरे प्रयास किये हैं कि समाज के तमाम वर्गों के हितों की अनदेखी न हो, बल्कि सबको, सबके लिए 2023-24 के बजट में कुछ न कुछ जरूर दिया है। इसकी झलक बजट में दिखती है। युवाओं, महिलाओं, किसानों, व्यापारियों, छोटे कर्मचारियों, श्रमिकों, बुजुर्गों, निराश्रितों, पेंशनभोगियों, पत्रकारों सभी के लिए बजट में प्रावधान किये गए हैं। 3500 करोड़ रू. के राजस्व आधिक्य वाले इस बजट में राजकोषीय घाटे तक को राज्जीय सकल घरेलु उत्पाद के 3 फीसदी के नीचे यानि 2.99 फीसदी तक समेटने का सफल प्रयास किया गया है।

बजट के मुख्य वित्तीय एवं आर्थिक संकेतकों से साफ है कि 2022-23 की राजस्व प्राप्ति 89,073 करोड़ की तुलना में 2023-24 में बढ़कर 1,06,001 करोड़ रू. हो गई है। यानि पिछले एक साल की अवधि में सरकार की राजस्व प्राप्ति में 16,928 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। इसमें 46 फीसदी राजस्व की व्यवस्था राज्य के स्वयं के स्रोतों से और 41 फीसदी राजस्व की व्यवस्था केन्द्रीय प्राप्तियों के रूप में हो रही है। शेष 13 फीसदी राजस्व पूंजीगत प्राप्तियां है। इस पैसे को सरकार खर्च कहां कर रही है ? यह जानना अधिक महत्वपूर्णं होता है, क्योंकि विकास की नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों में किया जाने वाला व्यय ही विकास की असली तस्वीर पेश करता है। सरकार यदि बजट का अधिकांश हिस्सा उत्पादक कार्यों में खर्च करती है तो इससे विकास की संकल्पनाएं फलीभूत होती हैं, और सरकार यदि बजट का अधिकांश हिस्सा अनुत्पादक कार्यों यानि वेतन-भत्ते इत्यादि स्थापनाओं में खर्च करती है तो इससे विकास के खर्च के लिए पैसे की कमी पड़ती है।

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सरकार ने बड़ी चतुराई से इस पर संतुलन बनाते हुए बजट को खर्चने का प्रयास किया है। बजट की 37 फीसदी राशि सहायक अनुदान तथा आर्थिक सहायता पर खर्च तथा 15 फीसदी राशि पूंजीगत निर्माण पर व्यय करना प्रस्तावित है। इस तरह से कुल व्यय की 52 फीसदी राशि उत्पादक कार्यों पर व्यय करने का प्रस्ताव है। इधर वेतन-भत्ते पर 25 फीसदी एवं पेंशन पर 6 फीसदी को जोड़कर 31 फीसदी राशि स्थापना व्यय के रूप में प्रस्तावित है। सरकार द्वारा लिये गये ऋणों पर ब्याज भुगतान के तौर पर बजट की 6 फीसदी राशि व्यय होना प्रस्तावित है। यानि बजट की आधे से अधिक 52 फीसदी राशि सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों पर खर्च होंगी। इससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और विकास की संभावनाओं को साकार करने में सहायता मिल सकती है।

प्रचलित मूल्य पर राज्जीय सकल घरेलु उत्पाद 2022-23 के 4,57,608 करोड़ रू. से बढ़कर 2023-24 में 5,09,043 करोड़ रू. होना संभावित है। राज्जीय सकल घरेलु में पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी से अधिक यानि 51,435 करोड़ रू. की वृद्धि से साफ जाहिर है कि राज्य में पूंजीगत निर्माण संसाधनों की वृद्धि संतोषजनक एवं बेहतर स्थिति में हैं। सरकार, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों सहित तमाम फ्लैगशिप योजनाओं में बजट की बड़ी राशि लगातार खर्च कर रही है। सरकार की यह प्रतिबद्धता बताती है कि सरकार कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा जैसे विकास के मुद्दों पर चिंतित एवं गंभीर है।

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तस्वीर: पुरुषोत्तम ठाकुर

योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा सदन में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 2022-23 के वित्तीय वर्ष में राज्य में 8 फीसदी विकासदर अनुमानित है। 2021-22 में स्थिर भाव पर राज्य की सकल राज्य घरेलु उत्पाद यानि जीएसडीपी 2,67,681 करोड़ रू. थी जिसके 2022-23 में बढ़कर 2,89,082 करोड़ रू. हो जाने के अनुमान हैं। इस तरह 2022-23 में प्रचलित भाव पर राज्य की सकल राज्य घरेलु उत्पाद यानि जीएसडीपी बढ़कर 4,57,608 करोड़ रू. और 2023-24 में 5,09,043 करोड़ रू. हो जाने का अनुमान है। प्रचलित मूल्य पर राज्य की सकल राज्य घरेलु उत्पाद यानि जीएसडीपी में साल 2022-23 में 12.6 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है।

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यद्यपि यह साफ और स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कोरोना कालखण्ड में भी अच्छी विकासदर के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हुए आगे बढ़ रही है, लेकिन और काम करने की आवश्यकता है। प्रदेश में 2022-23 में कृषि क्षेत्र की विकासदर 5.93 फीसदी अनुमानित है, जो कि पिछले साल 2021-22 की 3.88 फीसदी की तुलना में बेहतर है। इसी तरह उद्योग क्षेत्र की विकासदर 2022-23 में 7.83 फीसदी संभावित है, जो कि पिछले साल 2021-22 की 15.44 फीसदी तुलना में बहुत कम है। सेवा क्षेत्र की विकासदर 2022-23 में 9.29 फीसदी अनुमानित है, जो कि पिछले साल 2021-22 की 8.54 फीसदी की तुलना में ठीक है।

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राज्य एवं देश की अर्थव्यवस्थाओं में विभिन्न क्षेत्रों का तुलनात्मक योगदान इस प्रकार अनुमानित है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 17 फीसदी अनुमानित है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 15 फीसदी है, यानि देश के औसत से 2 फीसदी अधिक है। इसी तरह छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में उद्योग क्षेत्र का योगदान 50 फीसदी अनुमानित है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था में उद्योग क्षेत्र का योगदान मात्र 30 फीसदी है, यानि देश के औसत से 15 फीसदी अधिक है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान 33 फीसदी अनुमानित है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान 55 फीसदी है। यहां पर राज्य सरकार को काम करने की जरूरत है।

छत्तीसगढ़ में 2022-23 के साल में प्रतिव्यक्ति आय 1,33,898 रू. अनुमानित है, जो कि साल 2021-22 के अनुमान 1,18,401 की तुलना में 15,497 रू. अधिक है। 2022-23 के साल में प्रतिव्यक्ति आय में 10.93 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सरकार की आर्थिक सेहत भले ही भारत सरकार के औसत की तुलना में बेहतर है। कृषि विकासदर राष्ट्रीय औसत 3.45 फीसदी की तुलना में 5.93 फीसदी बेहतर है। उद्योग में विकासदर राष्ट्रीय औसत 4.11 फीसदी की तुलना में 7.83 फीसदी बहुत बेहतर, यानि लगभग दोगुनी है। सेवा क्षेत्र में विकासदर राष्ट्रीय औसत 9.14 फीसदी की तुलना में 9.21 फीसदी लगभग बराबर है।

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कुल मिलाकर राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत है, बेहतर तरीके से काम कर रही है, लेकिन आमजन की बेहतरी के लिए कुछ क्षेत्र में और काम करने एवं ध्यान देने की आवश्यकता है। आगामी वर्षों में सरकार को केवल दो मुद्दों पर फोकस करने की जरूरत है। एक तो सेवा क्षेत्र की ओर जिससे खासकर शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ सकेंगे। दूसरा, प्रतिव्यक्ति आमदनी बढ़ाने की दिशा में ध्यान देने की जरूरत है, जिससे लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाया जा सकता है। निष्कर्ष यह है कि 2023-24 का यह बजट भरोसे और विकास का सरोकारी, समावेशी और संतुलित बजट है।

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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