इसरो का एसएसएलवी क्षेत्र में पहली सफलता

इग्रह एवं दो अन्य उपग्रहोंसरो के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के हरिकोटा से उड़ान भरने के बाद ईओएस-07 उप को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. इसी के साथ इसरो ने (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) एसएसएलवी क्षेत्र में अपनी पहली सफलता हासिल कर ली

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इग्रह एवं दो अन्य उपग्रहोंसरो के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के हरिकोटा से उड़ान भरने के बाद ईओएस-07 उप को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. इसी के साथ इसरो ने (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) एसएसएलवी क्षेत्र में अपनी पहली सफलता हासिल कर ली. इसरो को कुछ महीनों पहले अपने पहले मिशन में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए थे.

चीफ एस सोमनाथ ने लॉन्च के बाद सैटेलाइट को बनाने के साथ-साथ उन्हें सही कक्षा में स्थापित करने के लिए सभी 3 सैटेलाइट दलों को बधाई दी. इसरो चीफ ने कहा कि हमने एसएसएलवी-डी1 में आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया और फिर जरूरी सुधार किए. इस बार लॉन्च व्हीकल को सफल बनाने के लिए उन्हें बहुत तेज गति से लागू किया गया.

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देखें वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=KPX5NdOsnD4

इसरो के अनुसार, एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स के प्रक्षेपण को पूरा करता है.SSLV एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर डायामीटर वाला व्हीकल है, जिसका वजन 120 टन है. रॉकेट को एक वेग टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फिगर किया गया है.EOS-07 एक 156.3 किलोग्राम की सैटेलाइट है जिसे इसरो ने ही डिजाइन और विकसित किया है. नए प्रयोगों में एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर और स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड शामिल हैं. जबकि, Janus-1, 10.2 किलोग्राम की अमेरिकन सैटेलाइट है. वहीं, AzaadiSAT-2 8.7 किलो की सैटेलाइट है, जिसे स्पेस किड्स इंडिया के 750 छात्रों ने भारत सरकार की मदद से तैयार किया है.(देश डेस्क)

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