लंबे समय से ‎विलुप्त दुर्लभ ‘बौना’ गिरगिट ‎मिला

दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे दुर्लभ गिरगिट का पता लगाने का दावा ‎किया है।  वैज्ञानिकों को डर था कि बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई के चलते इसकी प्रजाति विलुप्त हो गई होगी।

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लिलॉन्गवे । दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे दुर्लभ गिरगिट का पता लगाने का दावा ‎किया है।  वैज्ञानिकों को डर था कि बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई के चलते इसकी प्रजाति विलुप्त हो गई होगी।

इसकी खोज 1990 के दशक के शुरुआत में की गई थी। रिसर्च के मुताबिक गिरगिट दक्षिणपूर्व अफ्रीका के दक्षिणी मलावी में वर्षावन छोटे-छोटे हिस्सों में जीवित हैं।

दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय जैव विविधता संस्थान  और मलावी के म्यूजियमों की एक रिसर्च टीम ने 2016 में इसकी खोज की थी। उन्होंने जंगल के किनारे पहला गिरगिट देखा था।

दक्षिण अफ्रीका में एसएएनबीआई  और यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरसैंड के एक पशु चिकित्सक क्रिस्टल टॉली के मुताबिक इस खोज के बाद हम चौंक गए और खुशी से झूम उठे।

क्रिस्टल टॉली इस रिसर्च के प्रमुख लेखक हैं। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता था कि हमें और गिरगिट मिलेंगे या नहीं लेकिन जब हम जंगल पहुंचे तो वहां इनकी भरमार थी।

हालांकि यह नहीं मालूम है कि ये कब तक जीवित रहेंगे। चैपमेन के ‘बैने गिरगिट’ सिर्फ 2.2 इंच (5.5 सेंटीमीटर) तक ही बढ़ते हैं। ये जंगल की जमीन पर चलते हैं और सूखी पत्तियों के बीच छिपे रहते हैं।

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पहली बार इनकी खोज 1992 में मलावी हिल्स में की गई थी। घटते वर्षावनों के बीच अस्तित्व को बचाने के लिए इन्हें मलावी में ही मिकुंडी के पास करीब 95 किलोमीटर दूर एक दूसरे जंगल में छोड़ दिया गया था।

मलावी हिल्स जंगल की हालिया सैटेलाइट तस्वीरों की तुलना जब 1980 के दशक में ली गई तस्वीरों से की गई तो पता चला कि जंगल 80 फीसदी तक कम हो गया है। रिसर्चर्स ने उन क्षेत्रों की पहचान की जहां गिरगिट के मौजूद होने की संभावना थी।

इन इलाकों का सर्वे रात के अंधेरे में टॉर्च की रौशनी में किया गया, जब गिरगिटों को देखना आसान होता है। जांच में मलावी हिल्स के दो वन क्षेत्रों में 17 वयस्क गिरगिट और मिकुंडी के पास एक इलाके में 21 वयस्क और 11 छोटे गिरगिट पाए गए।

टॉली ने कहा कि इस प्रजाति के विलुप्त होने से पहले जंगल के नुकसान पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। मलावी हिल्स के ज्यादातर जंगलों को काटकर जमीन को खेतों में बदल दिया गया है।

टीम की मांग है कि गिरगिटों को बचाने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया जाए। रिसर्च में कहा गया है कि दूसरे वन क्षेत्रों में अधिक गिरगिट मौजूद हो सकते हैं जिनका सर्वे करने में टीम सक्षम नहीं है।

वैज्ञानिकों ने डीएनए जांच की और पाया कि गिरगिट अपने वन क्षेत्र में अलग-थलग हो रहे हैं। गिरगिट प्रजनन करने और जीन शेयर करने में असमर्थ हैं।

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