क्या पनीर और दूध शाकाहारी नहीं? डॉक्टर के दावे पर छिड़ी बहस

यह विवाद उस समय उभरा जब एक अन्य डॉ., सुनीता सयम्मगरु ने 4 फरवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पति की डिनर थाली की तस्वीर साझा की.

0 35
Wp Channel Join Now

नई दिल्ली। हाल ही में एक भारतीय चिकित्सक, डॉ. सिल्विया कार्पगम ने पनीर और दूध को ‘नॉन-वेज’ खाद्य के रूप में उछाला, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीव्र विवाद उठा. उनके इस बयान ने कई शाकाहारी लोगों में क्रोध पैदा किया.

यह विवाद उस समय उभरा जब एक अन्य डॉ., सुनीता सयम्मगरु ने 4 फरवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पति की डिनर थाली की तस्वीर साझा की. उस थाली में चीनी के बिना खीर, पनीर, मूंग दाल और सलाद (जिसमें गाजर, खीरा, प्याज, नारियल और अखरोट शामिल थे) दिखाई दी. उन्होंने इसे प्रोटीन, अच्छे वसा और फाइबर से भरपूर शाकाहारी भोजन बताया.

उस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. सिल्विया कार्पगम ने 6 फरवरी को लिखा, पनीर और दूध ‘वेज’ नहीं हैं. ये जानवर से मिले उत्पाद हैं…जैसे कि मुर्गी, मछली, गोमांस आदि. उनके इस बयान ने 95,000 से अधिक व्यूज प्राप्त किए और सोशल मीडिया पर विवाद के विषय बन गए.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ: डॉ. सिल्विया के इस बयान के बाद सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के बीच तीखी बहस आरंभ हुई.

समर्थन और विरोध के तर्क: कुछ लोगों ने यह कहा कि क्योंकि पनीर और दूध पशु उत्पाद हैं, इसलिए इन्हें शाकाहारी नहीं माना जा सकता. विरोध करने वाले में से कई ने यह दावा किया कि क्योंकि पनीर और दूध प्राप्त करने के लिए किसी जानवर को मारा नहीं गया है, इसलिए ये शाकाहारी खाद्य हैं.

अंडे पर सवाल: डॉ. सिल्विया ने यह भी सवाल उठाया कि अगर यही तर्क लागू होता है, तो क्यों अंडे को ‘नॉन-वेज’ माना जाता है जबकि मुर्गियों को अंडे देने के लिए मारा नहीं जाता. उनका यह बयान और विवाद को और भी गहरा कर दिया.

लोगों की प्रतिक्रियाएँ: कुछ लोगों ने डॉ. सिल्विया पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया और कुछ ने उन्हें राग बेइट (rage bait) कहकर उनकी संज्ञाना पर सवाल उठाए. दूसरी ओर, कई लोगों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की.

इस बहस का आधार पनीर और दूध को शाकाहारी और मांसाहारी खाद्य की परिभाषा पर है. जहां कुछ लोग इन्हें पशु उत्पाद के रूप में ‘नॉन-वेज’ मानते हैं, वहीं अधिकांश लोग इसे शाकाहारी मानते हैं क्योंकि इससे किसी जानवर को क्षति नहीं पहुंचती. यह विवाद भारतीय समाज में शाकाहार की परंपरा और उसकी व्याख्या पर एक रोचक चर्चा का विषय बन गया है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.