ठुमके लगाते अपनी बारात लेकर पहुंची लड़की

कभी किसानों के बीच जैविक खेती का अभियान ही चलाने वाली इस लड़की ने एक ऐसे ट्रेड का आगाज किया है जिसकी गूंज दूर तक और दर तक सुनाई देगी। वो तारीख थी यही 21 फरवरी। जब वो दस साल पुराने दोस्त से परिणय सूत्र पुख्ता  करने गाते. गुनगुनाते ठुमके लगाते खुद बरात लेकर लौह नगरी जमशेदपुर के एक होटल पहुंची |

0 165

- Advertisement -

कभी किसानों के बीच जैविक खेती का अभियान  चलाने वाली इस लड़की ने एक ऐसे ट्रेड का आगाज किया है जिसकी गूंज दूर तक और दर तक सुनाई देगी। वो तारीख थी यही 21 फरवरी। जब वो दस साल पुराने दोस्त से परिणय सूत्र पुख्ता  करने गाते. गुनगुनाते ठुमके लगाते खुद बरात लेकर लौह नगरी जमशेदपुर के एक होटल पहुंची |

लड़कियां बदल रही है तस्वीर जिस पर परंपरा और रूढ़ियों की गर्द जमा थी। लड़कियां जमीन के रंग उकेर रही  हैं  आसमान में इंद्रधनुषी इतिहास|

यह कहानी एक ऐसी ही लड़की की है, जिसका साथ साथ फूलों का नाम ही है, सुरभि जिसके मायने हैं खूबसूरत जो अब सिंहभूम से उठकर महज झारखंड ही नहीं देश-दुनिया को मोअतर (सुगन्धित)  कर रही है।

अंग्रेजी में शायरी करने वाली सुरभि ने ऐसा कमाल किया है कि उनपर पत्रकार स्टोरी, लेखक कथा तो कवि कविताएं करते रहेंगे।

कभी किसानों के बीच जैविक खेती का अभियान ही चलाने वाली इस लड़की ने एक ऐसे ट्रेड का आगाज किया है जिसकी गूंज दूर तक और दर तक सुनाई देगी।

वो तारीख थी यही 21 फरवरी। जब वो दस साल पुराने दोस्त से परिणय सूत्र पुख्ता  करने गाते. गुनगुनाते ठुमके लगाते खुद बरात लेकर लौह नगरी जमशेदपुर के एक होटल पहुंची |

जन सरोकारों से जुड़े सैयद शहरोज़ क़मर पेशे से पत्रकार फ़ितरत से कवि हैं। कई किताबें प्रकाशित। छत्तीसगढ़, दिल्ली में विभिन्न मीडिया हाउस में काम करने के बाद 12 सालों से झारखंड में। संप्रति स्वतंत्र लेखन।

न घूँघट , न ललिया जुटी –चप्पल| मेहंदी रचे   पैर स्पोर्टस शू में बंद|

जब मंडप में  वर-वधू  बैठे, तो लोग पंडित जी को ढूंढ़ने लगे।

- Advertisement -

अचानक से महिला स्वर में में मंत्रोच्चार होने लगे तो सबकी निगाह सुदेशना और शिल्पी पर पड़ी, जो पुरोहित की भूमिका में विराजमान थीं |

बदलाव की कहानी यहीं नहीं थमती, तब कोविड के प्रोटोकाल के सबब जो भी नगण्य संख्या सरांती बरातियों की थी, किसी को मिठाई नहीं दी गयी बल्कि इसकी जगह सुगर फ्री आर्गनिक बार और बीज वाली पेंसिल बतौर तोहफा दी गई।

यह गुड हेल्थ और पर्यावरण संरक्षण का पेशाम था। पेंसिल की लीड ख़त्म हो जाये तो बीज कहीं भी रोप दीजिये पौधरोपण जिंदाबाद जो जिन्दगी को हरियाली से ख़ुशरंग कर दे |

रंग तो सुरभि के अंत में और जमे| इस दिवाह में कन्यादान नहीं हुआ और विवाह बाद लड़की ने नहीं बल्कि गृह प्रवेश लड़के ने किया।

फिलहाल डिजिटल मार्केटिंग के नए स्टार्टप में सक्रिय टाटावासी सुरभि इसे ना लव, ना ही अरेंज मेरीज मानती  है बल्कि इसे लॉजिकल वेडिंग कहती हैं।

उनके जीवन साथी प्रशांत शर्मा टाटा स्टील में मैनेजर के पद पर कार्यरत है। घर उनका  चक्रधरपुर हुआ|

(शहरोज की अन्य कहानियों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें : Shahroz Quamar शहरोज़  )

Leave A Reply

Your email address will not be published.