10 साल पहले सुखीपाली जंगल में सागौन रोपणी का मामला ,विस लोक लेख समिति मौके पर पहुंची

10 साल पहले सुखीपाली के  जंगल में  250 हेक्टयर वन भूमि पर सागौन रोपणी का मामला विधानसभा में गूंजने के बाद उच्च स्तरीय जांच में आज लोक लेखा समिति के सदस्यों एवम उच्च वन अधिकारियों ने मौके पर जाकर मामले की पड़ताल की।

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पिथौरा| अपने भ्रष्ट कारनामों  एवम मनमाने कार्यशैली के लिए विख्यात वन विभाग को पहली बार 10  साल पुराने एक मामले में विधान सभा की लोक लेख समिति की जांच का सामना करना पड़ रहा है। सुखीपाली के जंगल में  250 हेक्टयर वन भूमि पर सागौन रोपणी का मामला विधानसभा में गूंजने के बाद उच्च स्तरीय जांच में आज लोक लेखा समिति के सदस्यों एवम उच्च वन अधिकारियों ने मौके पर जाकर मामले की पड़ताल की।

ज्ञात हो कि 2011-12 में  पिथौरा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत सामाजिक वानिकी द्वारा 250 हेक्टयर में सागौन रोपण किया गया था। परन्तु सन 2014 15 के अंकेक्षण में वृक्षारोपण क्षेत्र गूगल मैप से गहन जंगल नजर आने के कारण विधान सभा मे इस पर प्रश्न उठाया गया था। जिस पर कार्यवाही करते हुए सरकार द्वारा लोक लेखा समिति को जांच का जिम्मा सौंपा गया।समिति में शामिल 5 विधायकों सहित विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी निरीक्षण हेतु मौके पर पहुंचे ।

मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग ने पूर्व से ही रिक्त क्षेत्र में सागोन रोपण हेतु परियोजना बनाकर रोपण का कार्य किया गया था। जिसके फलस्वरूप राशि रू 1.11 करोड़ का अनियमित व्यय हुआ।

वनमंडलाधिकारी, अनुसंधान एवं विस्तार बनगडल,(सामाजिक वानिकी) रायपुर द्वारा दिये गये प्रस्ताव के आधार पर प्रमुख सचिव. छत्तीसगढ़ ने 245 हेक्टेयर क्षेत्र में उच्च तकनीक असिचित सागौन रोपण कार्य के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष हेतु कमश राशि रू. 154 करोड एवं रू. 1.58 करोड़ की स्वीकृति दी थी।

(नवम्बर 2011 एवं जून 2012)। उक्त आवंटन में से  वनमंडलाधिकारी ने राशि रू. 2.53 करोड़ (दिसम्बर 2011 एवं जून 2012) वन विस्तार अधिकारी, महासमुन्द ईकाई को 198.65 हेक्टेयर क्षेत्र में उपरोक्त रोपण कार्य किये जाने हेतु जारी की।

इसमें से वन विस्तार अधिकारी ने महासमुन्द वनमंडल के पत्र क्रमांक 234 में 100 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपण कार्य किया तथा वर्ष 2011-12 2012-13 में राशि रू.1.11 करोड़ का व्यय किया।

बजट नस्तियों, परियोजना प्रतिवेदनों तथा महासमुन्द वनमंडल की वर्ष 2011-12 से 2020-21 की अवधि की कार्य आयोजना की नमूना जांच (जुलाई 2013) में पाया गया कि वनमंडल ने 100 हेक्टेयर क्षेत्र में 2.50 लाख पौधों अर्थात् प्रति हेक्टेयर 2.500 पौधों का रोपण (2012-13) किया।

प्रति हेक्टेयर 2,500 पौधों का रोपण (2×2 मी के अंतराल पर) केवल खाली स्थानों पर ही संभव है। कक्ष क्रमांक 234 के कक्ष [इतिहास] के अनुसार कक्ष का कुल क्षेत्रफल 258.78 हेक्टेयर है जिसमें से 255. 19 हेक्टेयर क्षेत्र में 0.5 से 0.6 का मध्यम घनत्व का मिश्रित वन है। अग्रेत्तर, परियोजना प्रतिवेदन में संलग्न गूगल नक्शा इंगित करता है कि रोपण हेतु लिया गया क्षेत्र पूर्व से ही बनो से आच्छादित है। अतः वहां 2,500 पौधे प्रति हेक्टेयर की दर से रोपण किये जाने की आवश्यकता नहीं थी।

लिहाजा विभाग ने उक्त तथ्यों को परियोजना प्रतिवेदन स्वीकृत करने तथा  संपादन करते समय संज्ञान में नहीं लिया। अतः पूर्व से ही वनों से आच्छादित क्षेत्र सागौन रोपण पर किया गया व्यय राशि रू. 1.11 करोड़ अनियमित व्यय था।

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9 सदस्यीय जांच समिति बनी

पूरा मामला विधान के पटल पर आने के बाद शासन द्वारा लोक  लेखा समिति का गठन किया गया। इस समिति में अजय चन्द्राकर, सभापति ,सत्यनारायण शर्मा, सदस्य, धनेंद्र साहू सदस्य, मोहन मरकाम, सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सभापति, शैलेष पाण्डेय, सदस्य प्रकाश शक्राजीत नायक, सदस्य भुनेश्वर शोभाराम बघेल, सदस्य डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, सदस्य एवम शिवरतन शर्मा, सदस्य बनाये गए है।

इसके अलावा विधान सभा सचिवालय से चंद्रशेखर गंगराड़े, प्रमुख सचिव डॉ. आर. के. अग्रवाल, अपर सचिव सुरेन्द्र कुमार बाथम, अवर सचिव नरेंद्र समरथ, अनुभाग अधिकारी को शामिल किया गया है।

आज मौके पर आठ सदस्य अजय चंद्राकर(विधायक),शिवरतन शर्मा,(विधायक),डॉ लक्ष्मी ध्रुव (विधायक),सत्यनारायण शर्मा (विधायक), धनेंद्र साहू(विधायक),एवम राकेश चतुर्वेदी(प्रधान मुख्य वन संरक्षक),तपेश झा( (उप मुख वन संरक्षक),सुनील मिश्र (सहायक मुख्य वन संरक्षक),एवम मुख्य वन संरक्षक जे आर नायक मौके पर पहुंचे  थे।

 55 फीसदी पौधे बढ़त में

ग्राम सुखीपाली के ग्रामीण भी जांच टीम के समक्ष उपस्थित हुए। ग्रामीणों ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि पूर्व में 250 हेक्टयर क्षेत्र में 2 लाख 50 हजार सागौन के पौधों का रोपण किया जाना प्रतावित था। परन्तु 120 हेक्टयर में ही कोई 2 लाख 50 हजार पौधे रोपे गए थे।जिनमें अभी कोई 55 फीसदी पौधे जीवित है।इनमें कुछ पौधे जमीन के कारण छोटे रह गए और कुछ पौधे बढ़ ही नही पाये।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि वृक्षारोपण के बाद बची कोई 130 हेक्टयर वन भूमि का कुछ हिससे का वन अधिकार पत्र बांटा गया है एवम बाकी क्षेत्र भी अब ग्रामीणों के कब्जे में हो रहा है। सम्भवतः आने वाले दिनों में इस वन भूमि का भी वन अधिकार पत्र शासन द्वारा जारी किया जा सकता है।

जांच टीम द्वारा मीडिया से बात करने इनकार

विधानसभा स्तरीय जांच समिति द्वारा मौका मुआयना के बाद पत्रकारों से प्रश्न पूछे जाने पर कोई जवाब देने से साफ इन्कार करते हुए निरीक्षण की जांच रिपोर्ट विधान सभा मे ही प्रस्तुत करने की बात कही।

deshdigital के लिए पिथौरा से रजिंदर खनूजा

 

 

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