पिथौरा के बरेकेल खुर्द में मनरेगा के तहत निजी डबरी निर्माण कार्य में फर्जीवाड़ा ?

महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बरेकेल खुर्द में मछली पालन के लिए मनरेगा के तहत निजी डबरी निर्माण कार्य में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है।

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पिथौरा| महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बरेकेल खुर्द में मछली पालन के लिए मनरेगा के तहत निजी डबरी निर्माण कार्य में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। इस मामले में बरेकेल खुर्द के कृषक संतोष साहू ने सरपंच व रोजगार सहायक के साथ मिलकर वन विभाग की शासकीय जमीन पर ही मनरेगा डबरी के स्थान पर खेत बनाने का कार्य कराया गया है।उक्त मामले में क्षेत्र की डिप्टी रेंजर ने भी रिकॉर्ड में वन भूमि बताया है जबकि जिला वन मण्डलाधिकारी द्वारा शिकायत को मनगढ़ंत बताया है।

पूरे मामले के सम्बन्ध में खुलासा तब हुआ जब पिथौरा के आर टी आई कार्यकर्ता लाल बहादुर महंती ने इस पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर,डीएफओ व जनपद पंचायत पिथौरा में की। शिकायत को संज्ञान में लेते हुए जनपद पंचायत पिथौरा के सी ई ओ प्रदीप प्रधान द्वारा तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है।

विगत सोमवार को जांच दल वन विभाग के डिप्टी रेंजर सुनीता दीवान एवम वन रक्षक परिमल नेताम के साथ जनपद द्वारा नियुक्त जांच टीम के उपयंत्री जसवंत पैकरा,करारोपण अधिकारी दिनेश दिक्सित एवम रेशम लाल भारती मौके पर पहुच कर मौका मुआयना किया।

मुआयना के बाद प्रथम दृष्टया पता चला कि शासन की आंखों में धूल झोंककर कृषक संतोष साहू ने रोजगार सहायक व सरपंच से सांठगांठ कर मछली पालन हेतु निजी डबरी निर्माण में फर्जीवाड़ा किया है| जिसकी जांच के लिए गए 5 सदस्य टीम में  डिप्टी रेंजर संतोषी दिवान,वन रक्षक परिमन नेताम,उपयंत्री जशवंत पैंकरा, करारोपण अधिकारी दिनेश दिक्षित, रेशमलाल भारती की  5 सदस्यीय जांच टीम ने राजस्व व फारेस्ट विभाग के संयुक्त रिपोर्ट आने तक इस मामले की गंभीरता को समझकर इस पूरे मामले की जांच को स्थगित किया है|

वहीं जांच टीम ने जनपद सीईओ पिथौरा को प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्यवाही करने की बात कही। जांच कमेटी के द्वारा कृषक संतोष साहू एवं रोजगार सहायक व सरपंच से पूछताछ की गई जिसमें सरपंच रोजगार सहायक व कृषक संतोष साहू गोलमोल जवाब देते नजर आये।

 डबरी की बजाय खेत बना दिया वन भूमि पर–डिप्टी रेंजर 

क्षेत्र की महिला डिप्टी रेंजर सुनीता दीवान ने मौका मुआयना कर रिकॉर्ड देखते हुए कथित मछली पालन हेतु बनाई गई डबरी के निर्माण स्थल को वन भूमि बताया।इस सम्बंध में उन्होंने बताया कि जांच में उन्होंने ग्राम सरपंच एवम प्रमुखों से भी बात की है।यह भूमि वन विभाग का कक्ष क्रमांक 237 के तहत है।

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शिकायत मनगढ़ंत–डीएफओ 

दूसरी ओर उक्त मामले में शिकायतकर्ता लोचन चौहान द्वारा उक्त मामले में जांच हेतु ज़ब आवेदन दिया।तब डीएफओ महासमुन्द पंकज राजपूत ने पूरे मामले को बगैर जांच के ही मनगढ़ंत बताते हुए जांच किये जाने की बात कही है।श्री चौहान ने एक जिम्मेदार अफसर की उक्त प्रतिक्रिया पर निष्पक्ष जांच पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

जांच सम्भव नहीं—भारती

इधर जनपद की तीन सदस्यीय जांच समिति के प्रमुख रेशमलाल भारती ने मीडिया को बताया कि विवादित स्थल का निरीक्षण उन्होंने पूरी टीम के साथ किया। स्थल पहाड़ी के नीचे बने मार्ग के करीब ही है।यहां वन एवम राजस्व दोनों तरह की भूमि है।परन्तु विवादित भूमि किसकी है।यह स्पस्ट होते तक जांच सम्भव नहीं है।लिहाजा जांच रोक दी गयी है।

 सरकारी पैसा- सरकारी जमीन पर ही कब्जा–महंती 

आर टी आई कार्यकर्ता डॉ लालबहादुर महंती ने बताया कि बरेकेल के संतोष साहू द्वारा अपने खेत खसरा 406/3 रकबा एक एकड़ 10 डिसमिल में मछली पालन हेतु मनरेगा से कुल 10 लाख रुपये स्वीकृत करवाये गए।परन्तु वे बरेकेल सरपंच से मिलकर वन विभाग के कक्ष क्रमांक 237 में वन भूमि को खेत बनाने के कार्य मे लगा रहे है। मिली जानकारी के अनुसार अब तक चार लाख रुपये का आहरण भी किया जा चुका है।उक्त योजना में मछली पालन की जगह वन भूमि पर कब्जा कर शासन को चोट पहुचाई जा रही है। संतोष द्वारा विभाग को बताई गई भूमि में डबरी बनाने की बजाय कौड़िया एवम बरेकेल की वन भूमि पर कब्जा कर खेत बनाने का कार्य कर रहे है।इसमें एक जमीन पर सरपंच हेतु खेत बनाने की जानकारी भी ग्रामीणों द्वारा दी जा रही है।ऐसे अनेक मामले इस क्षेत्र में है।इन मामलों की जांच कर कार्यवाही करने से वन विभाग की सैकड़ो एकड़ भूमि अवैध कब्जों में जाने से बच जाएगी।

बता दें महासमुंद जिले  के पिथौरा विकासखण्ड का ग्राम पंचायत बरेकेल खुर्द सुर्ख़ियों में रहा है | यहाँ के दर्जनों  युवाओं को बरसों से  वृद्धा पेंशन दिए जाने का मामला सामने आया था| इसके अलावा हाल ही में बरेकेल स्कूल भवन हस्तांतरण प्रमाण पत्र के लिए हेडमास्टर ने मांगी रिश्वत? मीडिया की सुर्ख़ियों में रहा |

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deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा की रिपोर्ट 

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