श्रीमद भागवत भक्ति, और रामकथा कर्म प्रधान: साध्वी राधिका
प्रसिद्ध कथा वाचक साध्वी राधिका किशोरी ने कहा है कि रामकथा कर्म प्रधान है जबकि भागवत गीता भक्ति प्रधान है. परन्तु दोनों में ही मानस की चौपाई का विशेष महत्व है.
पिथौरा| प्रसिद्ध कथा वाचक साध्वी राधिका किशोरी ने कहा है कि रामकथा कर्म प्रधान है जबकि भागवत गीता भक्ति प्रधान है. परन्तु दोनों में ही मानस की चौपाई का विशेष महत्व है.
नगर के कर्मचारी कॉलोनी लहरौद में आयोजित रामकथा के लिए नगर के पुनीत सिन्हा आवास में पहुची अयोध्या की साध्वी सुश्री राधिका किशोरी ने deshdigital से विशेष चर्चा की. चर्चा में उन्होंने भागवत कथा एवम रामकथा में अंतर स्पस्ट किया. साध्वी राधिका ने बताया कि रामकथा कर्म प्रधान है।जिससे हमें आदर सम्मान एवम परिवार के बारे में विस्तृत शिक्षा मिलती है कि जीवन कैसे जीना चाहिए जबकि श्रीमद भागवत कथा भक्ति भावना है. यह हमे भक्ति कैसे करना है यह सिखाती है.
यह पूछे जाने पर कि श्रीमद भागवत एवम श्री रामकथा दोनों में ही आपका काफी अध्ययन है, ज़ब एक जगह श्री रामकथा करने के बाद श्रीमद भागवत कथा करने में क्या दिक्कतें होती है? इस पर उन्होंने कहा कि सभी कथाओं में आमतौर पर रामचरित मानस की चौपाइयों का प्रयोग किया जाता है इसलिए वे तत्काल दोनों में कोई भी कथा आसानी से कर सकती है इसमें उन्हें कभी अड़चन नही आई.
बागेश्वर महाराज धीरेंद्र शास्त्री के सनातनी एजेंडे पर उन्होंने इसे सही ठहराते हुए कहा कि हमारे सनातन धर्म बिखरा हुआ था. इन्हें एक करने के लिए बालाजी महाराज की कृपा से बागेश्वर धाम के ये प्रयास सराहनीय है.
भविष्य का पता नहीं– राधिका किशोरी
साध्वी राधिका किशोरी ने इस सवाल पर कि कुछ साधु संत कथाकार राजनीति एवम फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़ रहे है क्या आप भी भविष्य में राजनीति या फिल्मी दुनिया मे प्रवेश की मनसा रखते है? इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वे जो भी करती है राघव यानी भगवान राम की मर्जी से करती है।अभी तो सनातन धर्म के लिए कथा करती हूं.भविष्य के बारे में मुझे पता नहीं.
छ ग कर्मभूमि,जन्मभूमि अमेठी, शिक्षा अयोध्या
साध्वी ने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि उनका जन्म अमेठी के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. पूरा परिवार भागवत भक्त है. बड़े भाई ज्योतिषी है. मेरे जन्म से ही मेरी माँ मुझे सुलाने के लिए लोरी के स्थान पर रामचरित मानस की चौपाईयां सुनाती थी. पिता भी भागवत कथा करते थे. बस वही से मेरे में रामचरित मानस एवम श्रीमद भागवत के प्रति प्रेम बढ़ा जो कि समय के साथ बढ़ता ही गया. मेरी शिक्षा दीक्षा अयोध्या में हुई. परन्तु मैं अपनी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ को मानती हूं,और इसे नमन करती हूं. छत्तीसगढ़ की प्रसंसा करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में ही सर्वाधिक मानस प्रेमी है.यहां के निवासियों में कथावाचकों का सम्मान करने के विशेष गुण है.
श्री राम जी के बाद मेरा घर बनेगा
साध्वी राधिका किशोरी ने राम मंदिर निर्माण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपना एक राज बताया कि वे बचपन से ही यह प्रण ले कर बढ़ रही थी कि आराध्य श्री राम का अभी घर नही है. मेरा भी घर नही है. परन्तु ज़ब तक श्री राम जी का घर नही बनेगा तब तक मैं भी घर नही बनाउंगी.अब श्री राम का घर बन गया,इसलिए मेरा घर भी अब जल्द बनेगा.
मेरी नही प्रभु की प्रशंसा–राधिका
साध्वी राधिका किशोरी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि छत्तीसगढ़ में कथा का रसपान करने आये भक्त मेरी प्रसंशा नही बल्कि वे प्रभु श्री राम एवम कृष्ण की प्रसंसा करते है क्योंकि कथा तो प्रभु की ही कि जा रही है।भक्त प्रभु की कथा ही सुनने आ रहे हैं.
सहयोग जारी रहेगा–साध्वी
साध्वी राधिका किशोरी से जब यह पूछा गया कि प्रायः सभी संत महात्मा कोई न कोई वृद्धाश्रम, अनाथ आश्रम या गौशाला चला रहे है आपकी भी कोई संस्था है क्या? इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें जब भी यह महसूस होता है या मीडिया से पता चलता है कि किसी निर्धन परिवार में कोई विपत्ति है. वे वहां सम्मान सहायता कर अपना धर्म निभाती हैं.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा