पीएमजेडीवाई खातों की संख्या 3 गुना बढ़कर 43.04 करोड़ हुई
वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
समावेशी विकास का प्रवर्तक होने के नाते वित्तीय समावेशन इस सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कदम गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक रास्ता प्रदान करता है
और उन्हें गांवों में अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है। यह वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी।
28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति के उत्सव के रूप में निरूपित किया था।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की सातवीं वर्षगांठ के मौके पर, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस योजना के महत्व को दोहराया।
उन्होंने कहा, “सात वर्षों की छोटी सी अवधि में पीएमजेडीवाई की अगुवाई में किए गए उपायों ने रूपांतरकारी और दिशात्मक बदलाव पैदा किया है,
जिसने उभरते हुए वित्तीय संस्थानों के इकोसिस्टम को समाज के अंतिम व्यक्ति-सबसे गरीब व्यक्ति को वित्तीय सेवाएं देने में सक्षम बनाया है।
पीएमजेडीवाई के अंतर्निहित स्तंभों यानी बैंकिंग सेवा से अछूते रहे लोगों को बैंकिंग सेवा से जोड़ने, असुरक्षित को सुरक्षित बनाने और गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण
करने जैसे कदमों ने वित्तीय सेवाओं से वंचित और अपेक्षाकृत कम वित्तीय सेवा हासिल करने वाले इलाकों को सेवा प्रदान करने के क्रम में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बहु-हितधारकों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना संभव बनाया है।”