अवैध कटाई और निर्माण पर एनजीटी की अफसरों को फटकार

शहर के करीब मौजूद केरवा और कलियासोत के जंगलों में हो रहे अवैध निर्माण एवं जंगलों में पेड़ों की कटाई के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वन ‎विभाग के अफसरों को फटकार लगाई है।

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मध्य प्रदेश। शहर के करीब मौजूद केरवा और कलियासोत के जंगलों में हो रहे अवैध निर्माण एवं जंगलों में पेड़ों की कटाई के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वन ‎विभाग के अफसरों को फटकार लगाई है।

सोमवार को जीएनटी में दायर याचिका पर सुनवाई की गई। इस दौरान एनजीटी ने वन भूमि की मैपिंग में हो रही लेटलतीफी पर वन विभाग को फटकार लगा दी। वन संरक्षण मामले में 1996 में आए गोधा वर्मन फैसले के तहत भोपाल में कराए गए वन सर्वे रिपोर्ट और नोटिफिकेशन तलब किया है।

साथ ही प्रदेशभर के वन क्षेत्रों में हुए अवैध निर्माणों के संबंध में रिपोर्ट भी मांगी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। दरअसल, केरवा और कलियासोत जंगल बाघ भ्रमण क्षेत्र में हो रहे निर्माणों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राशिद नूर खान ने एनजीटी में याचिका दायर की थी।

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इसके बाद एनजीटी ने बाघ भ्रमण क्षेत्र में जंगलों की कटाई और निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए कलियासोत सहित बाघ भ्रमण वाले इलाके को संरक्षित घोषित किया था। साथ ही शहर से सटे जंगलों में सरकारी और गैरसरकारी ऐसी जमीन, जिसमें जंगल हैं की मैपिंग करने का आदेश वन विभाग को दिया था, लेकिन वन विभाग ने कुछ नहीं किया।

टाइगर मूवमेंट एरिया में निर्माण गतिविधियां संचालित हो रही हैं और निर्माणों के लिए धड़ल्ले से पेड़ों को काटा जा रहा है। इस मामले में सोमवार को एनजीटी में सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संभव सोगानी ने कंप्लाइंस रिपोर्ट पेश की। अधिवक्‍ता संभव सोगानी ने बताया कि इस आदेश के बाद भी अब तक वन विभाग ने जंगलों की मैपिंग नहीं कराई है।

इस पर एनजीटी ने वन विभाग के अफसरों को लताड़ लगाई। साथ ही एनजीटी ने वन विभाग से वन संरक्षण को लेकर 12 दिसंबर 1996 को आए गोधावर्मन फैसले के तहत भोपाल में कराए गए वन सर्वे रिपोर्ट और नोटिफिकेशन तलब किया है, ताकि केरवा और कलियासोत टाइगर मूवमेंट एरिया वाले जंगलों की पूर्व और वर्तमान में स्थिति का आंकलन किया जा सके।

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