‘राम’ रम तो ‘कृष्ण’ व्हिस्की, पुलिस वाले ‘आधा किलो दूध’

'राम' रम तो 'कृष्ण' व्हिस्की, छोटा डॉन और बड़ा डॉन , 'चवन्नी-अठन्नी' उसकी मात्रा | इधर पुलिस वाले  'आधा किलो दूध' | हाल ही में पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार के 4 जिलों में जहरीली शराब पीने से 40 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद  तस्करों ने अब नए तरीके इजाद कर लिए हैं |

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‘राम’ रम तो ‘कृष्ण’ व्हिस्की, छोटा डॉन और बड़ा डॉन , ‘चवन्नी-अठन्नी’ उसकी मात्रा | इधर पुलिस वाले  ‘आधा किलो दूध’ | हाल ही में पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार के 4 जिलों में जहरीली शराब पीने से 40 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद  तस्करों ने अब नए तरीके इजाद कर लिए हैं |

बिहार  के चार जिलों मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण में हाल ही में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में शराब तस्कर कोडिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सभी जिलों के शराब तस्करों में अलग-अलग कोडिंग है, जो  हफ्ते –पखवाड़े भर  बाद  बदल दिए जाते हैं| मुजफ्फरपुर में  पीने वाले  ‘राम’ बोलें  तो तस्कर रम  पहुंचाते हैं और ‘कृष्ण’ बोलने के बाद व्हिस्की ।   ‘छोटा डॉन’ और ‘बड़ा डॉन’ बोलने से  तस्करों को शराब की मात्रा का पता चल जाता है।

गोपालगंज जिले में  ‘चवन्नी-अठन्नी’ और ‘आधा किलो दूध’ कोडवर्ड मशहूर है।

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दरअसल चवन्नी  30 रुपये में बिकनेवाली 100 एमएल की देसी पाउच है जबकि अठन्नी   150 रुपये में बिकनेवाली ‘बंटी-बबली’ थी।

तस्कर इतने चालक हैं कि क्षेत्र में पुलिस की गश्ती के लिए भी कोडवर्ड ‘आधा किलो दूध’ का इस्तेमाल किया जाता है। इस कोडवर्ड से शराब ग्राहक और धंधेबाज दोनों सचेत व सतर्क हो जाते हैं।

बताया जाता है कि चवन्नी-अठन्नी से पहले  डिस्टिल्ड वाटर, फ्रूटी और अन्य नाम कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल होते रहे हैं।   पुलिस को इन कोडवर्ड की जानकारी होते ही बदल दिया जाता है। किसी नये ग्राहक को पुराने ग्राहक के माध्यम से ही आना होता है।

अधिकांश शराब उत्तर प्रदेश से तस्करी कर लाये जाते हैं | (deshdesk)

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