आंध्र प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ में घातक ब्लैक फंगल की दस्तक

घातक ब्लैक फंगल ने  छत्तीसगढ़ में भी दस्तक दे दी है| हाल ही में छत्तीसगढ़ के पडोसी राज्य आंध्र प्रदेश में कोरोना मरीजों में यह घातक संक्रमण सामने आ चुका है| राजधानी रायपुर के एम्स में 15 ब्लैक फंगल के मरीज भर्ती कराया गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगल मरीजों के मिलने की पुष्टि की है|

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रायपुर। घातक ब्लैक फंगल ने  छत्तीसगढ़ में भी दस्तक दे दी है| हाल ही में छत्तीसगढ़ के पडोसी राज्य आंध्र प्रदेश में कोरोना मरीजों में यह घातक संक्रमण सामने आ चुका है| राजधानी रायपुर के एम्स में 15 ब्लैक फंगल के मरीज भर्ती कराया गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगल मरीजों के मिलने की पुष्टि की है|

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ब्लैक फंगस के संक्रमण होने की जानकारी को गंभीरता से लिया है| उन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये हैं।

रायपुर एम्स में रायपुर एम्स में भर्ती 15 ब्लैक फंगल के मरीजों में 8 मरीजों की आंखों में फंगल इंफेक्शन है, जबकि बाकी मरीजों के अन्य पार्टों में संक्रमण है, जिनकी की जा रही है।

मिडिया रिपोर्टों के मुताबिक पूरे प्रदेश में कोरोना के बाद ब्लैंक फंगल का शिकार हुए मरीजों की संख्या करीब 50 की बतायी जा रही है, जो अलग-अलग जिलों में है। हालांकि पूरी तरह से उन मरीजों की जानकारी सामने नहीं आ पायी है।

राजधानी रायपुर के एम्स में करीब 15 मरीजों के ब्लैक संक्रमण से प्रभावित होने की स्पष्ट जानकारी आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गयी है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता और महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है कि ब्लैक फंगल  कोरोना की वजह से हो रही है, अभी इसकी भी पुष्टि नहीं की जा सकती। ब्लैक फंगल का इलाज भी है। दवाएं भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

इधर छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष और नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि  उन्होंने खुद ऐसे चार मरीज देखे हैं। अधिकतर लोगों में यह संक्रमण नाक, आंख और मुंह के ऊपरी जबड़े में देखा गया है। डॉ. गुप्ता ने बताया  सेक्टर-9 अस्पताल भिलाई में भी ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज पहुंचे हैं। उनके लिए दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके इलाज में पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरेसीन-बी इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। छत्तीसगढ़ में यह बीमारी बहुत कम देखने को मिलती है।

ब्लैक फंगल फफूंद से होने वाली बीमारी है। यह फफूंद वातावरण में कहीं भी पनप सकता है।  ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है तो वहां से भी ये फैल सकता है

आंखों के चारों ओर सूजन, एक तरफा चेहरे या आंखों में दर्द, गाल पर सनसनी में कमी, खून से सना हुआ नाक का निर्वहन, लक्षण हैं और ऐसे मामलों को तुरंत चिकित्सा के लिए सूचित किया जाना चाहिए।

इसके संक्रमण से अंगों को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है और संक्रमित रोगियों के जीवन को खतरा हो सकता है।

बता दें कोरोना वायरस का आन्ध्र स्ट्रेन काफी जानलेवा साबित हो रहा है| छत्तीसगढ़  सरकार इसे रोकने सीमा पर कड़ी चौकसी कर रही है|

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