जाइकोव-डी : देश में बना बच्चों के लिए कोविड-19 टीका, ईयूए ने दी मंजूरी
जाइकोव-डी के लिए जायडस कैडिला को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी (ईयूए) मिल गई।इसे बच्चों के साथ-साथ 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए किया जा सकता है।
नई दिल्ली | जाइकोव-डी के लिए जायडस कैडिला को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी (ईयूए) मिल गई। यह दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी तौर पर विकसित डीएनए आधारित कोविड-19 टीका है। इसे बच्चों के साथ-साथ 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए किया जा सकता है। यह नीडललेस है, मतलब इसे सुई से नहीं लगाया जाता|
India is fighting COVID-19 with full vigour. The approval for world’s first DNA based ‘ZyCov-D’ vaccine of @ZydusUniverse is a testimony to the innovative zeal of India’s scientists. A momentous feat indeed. https://t.co/kD3t7c3Waz
— Narendra Modi (@narendramodi) August 20, 2021
मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझेदारी में विकसित और बीआईआरएसी द्वारा कार्यान्वित जाइकोव-डी को क्लीनिकल पूर्व अध्ययन और पहले एवं दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए नेशनल बायोफार्मा मिशन के जरिये और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए मिशन कोविड सुरक्षा के जरिये कोविड-19 रिसर्च कंसोर्टिया के तहत समर्थन दिया गया है।
तीन खुराक वाला यह टीका लगाए जाने पर शरीर में सार्स-सीओवी-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करता है और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हासिल करता है जो बीमारी से सुरक्षा के साथ-साथ वायरस को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्लग-एंड-प्ले तकनीक जिस पर प्लाज्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म आधारित है, को वायरस में म्यूटेशन से निपटने के लिए आसानी से अनुकूलित किया जा सकता है जैसा कि पहले से ही हो रहा है।
इस टीके का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण 28,000 से अधिक लोगों पर किया गया। इसमें लक्षण वाले आरटी-पीसीआर पॉजिटिव मामलों में 66.6 प्रतिशत प्राथमिक प्रभावकारिता दिखी। यह कोविड-19 के लिए भारत में अब तक का सबसे बड़ा टीका परीक्षण है।
यह टीका पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण में प्रतिरक्षण क्षमता और सहनशीलता और सुरक्षा प्रोफाइल के मोर्चे पर जबरदस्त प्रदर्शन पहले ही कर चुका है। पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण की निगरानी एक स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड (डीएसएमबी) द्वारा की गई है।
जायडस समूह के टीका अनुसंधान केंद्र वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर (वीटीसी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के एक स्वायत्त संस्थान ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) के तहत पुणे के इंटरएक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स (आईआरएसएचए) में स्थापित जीसीएलपी प्रयोगशाला ने भी सफलता की इस कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(पीआई बी)