बस्तर गर्ल नैना का धाकड़ कारनामा, किया एवरेस्ट फतह

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने अनोखा कारनामा कर दिखाया है| उन्होंने विश्व के सबसे ऊंचे शिखर ‘माउंट एवरेस्ट’ और विश्व की चौथी ऊंची चोटी ‘माउंट ल्होत्से’ पर तिरंगा लहराकर इतिहास रच दिया यह बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाली नैना छत्तीसगढ़ की दूसरी महिला बन गई है| इससे पहले 1993 में भिलाई की सविता धपवाल ने बछेंद्री पाल के साथ एवरेस्ट फतह किया था।

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छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने अनोखा कारनामा कर दिखाया है| उन्होंने विश्व के सबसे ऊंचे शिखर ‘माउंट एवरेस्ट’ और विश्व की चौथी ऊंची चोटी ‘माउंट ल्होत्से’ पर तिरंगा लहराकर इतिहास रच दिया यह बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाली नैना छत्तीसगढ़ की दूसरी महिला बन गई है| इससे पहले 1993 में भिलाई की सविता धपवाल ने बछेंद्री पाल के साथ एवरेस्ट फतह किया था।

नैना की इस उपलब्धि से समूचा छत्तीसगढ़ गौरवान्वित हुआ है|

नैना की इस उपलब्धि पर सीएम भूपेश बघेल ने बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है|

संभाग मुख्यालय जगदलपुर से 10 किलोमीटर दूर स्थित एक्टागुड़ा गांव की रहने वाली हैं| नैना पिछले 10 साल से पर्वतारोहण में सक्रिय हैं| नैना धाकड़ को माउंट एवरेस्ट 1 जून 2021 सुबह 9 बजे विश्व की ऊंची चोटी पर देश-प्रदेश के साथ बस्तर का परचम लहराया|

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नैना ने 9 दिनों में विश्व की 2 ऊंची चोटियों में भारत और राज्य का झंडा फहराया, यह अभियान बेहद खास रहा क्योंकि मौसम खराब होने और एवलांच आने से जब अन्य पर्वतारोही ने हार मानकर वापस लौट आए| वहीँ नैना ने अपने दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने का कारनामा कर दिखाया|

नैना के इस कारनामे से बस्तर वासी बेहद खुश है उनकी माँ अब अपनी बेटी का इन्तजार कर रही है| नैना की माँ की आखों में बेटी की उपलब्धि साफ़ झलक रही थी|

आज छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है कि बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर फतह हासिल की है। वे यह उपलब्धि हासिल करनी वाली राज्य की द्वितीय महिला बन गयी है।

नैना अब तक पर्वतारोहण के कई अभियानों को सफलतापूर्वक पार कर चुकी हैं। यह अभियान 60 दिनों का था। नैना के इस अभियान के लिए बस्तर जिला प्रशासन और एनएमडीसी ने मदद की थी।

नैना जब छोटी थी तब ही उनके पिता चल बसे थे। तब नैना की मां ने पेंशन की राशि से परिवार का पालन पोषण किया। कमजोर आर्थिक स्थितियों में नैना ने जगदलपुर स्थित महारानी लक्ष्मीबाई कन्या हायर सेकंडरी स्कूल से हायर सेकंडरी और बस्तर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के दौरान वह महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई से जुड़ीं। जहां से पर्वतारोहण की प्रेरणा मिली और 2009 से इस क्षेत्र में सक्रिय हुईं।

नैना ने डीसीए,पीजीडीसीए, एमएसडब्ल्यू, बीपीएड किया। बाद में पर्वतारोहण में बेसिक माउंटेनियरिंग, एडवांस माउंटेनियरिंग, एमओआई कोर्स, रॉक बेसिक एंड एडवांस, एसएनआर सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स किया है|

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