बजट समीक्षा : ’छत्तीसगढ़ मॉडल’ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला बजट

पिछले साल का बजट ’आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की संकल्पनाओं एवं परिकल्पनाओं को आकार एवं पंख देने वाला बजट था, इस साल का बजट ’छत्तीसगढ़ मॉडल’ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला बजट साबित होगा, ऐसी पूरी उम्मीद है।

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2022-23 के बजट में जहां एक ओर पुरानी पेंशन योजना की बहाली करते हुए सरकार ने राज्य के लगभग तीन लाख सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लाखों परिवारों के लिए बहुत बड़ी सौगात दी है, वहीं लोक सेवा आयोग एवं व्यापम की परीक्षा देने वाले लाखों युवाओं को परीक्षा शुल्क में छूट देकर युवाओं के बड़े बोटबैंक को बखूबी साधने का काम किया है। विधायक निधि को दुगुनी करते हुए सीधा चार करोड़ करने से विपक्ष के जनप्रतिनिधि भी बजट से मन ही मन खुश नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर बजट संतुलित, समावेशी एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पोषित करने वाला खेतिहर समाज का नवाचारी बजट है

  -डॉ. लखन चौधरी

पिछले साल का बजट ’आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की संकल्पनाओं एवं परिकल्पनाओं को आकार एवं पंख देने वाला बजट था, इस साल का बजट ’छत्तीसगढ़ मॉडल’ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला बजट साबित होगा, ऐसी पूरी उम्मीद है।

पुरानी पेंशन योजना की वापसी से छत्तीसगढ़ का सरकारी अमला बेहद खुशी है। लगभग तीन लाख सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लाखों परिवारों के लिए सरकार की यह पहल बहुत बड़ी सौगात है। असल में राजस्थान और उसके बाद झारखण्ड में पुरानी पेंशन योजनाा की घोषणा के बाद से राज्य के अधिकारी एवं कर्मचारी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। इसे लेकर कर्मचारियों में जबरदस्त खुशी एवं संतोष का माहौल है।

पुरानी योजना में जीपीएफ और ग्रेच्युटी की सुविधा है। पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती है। सेवानिवृत्त होने पर मूल वेतन याानि बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन मिलता है। कर्मचारी की मृत्यु होने पर नॉमिनी को भी पेंशन मिलता है। जीपीएफ के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लिहाजा सरकार अमला बेहद खुश है।

जबकि नई पेंशन स्कीम में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है। नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत (नया अंशदान 14 प्रतिशत) कटौती होती है, तो सरकार भी 10 प्रतिशत का अंशदान देती है। यह राशि केंद्रीय एजेंसी एनएसडीएल में जमा होती है, यह पैसा शेयर बाजार में लगता है। शेयर बाजार के ऊपर-नीचे होने से कर्मचारियों को मुनाफा-घाटा होता है। इसकी वजह से लंबे समय से इस नई पेंशन योजना को लेकर 2004 के बाद नियुक्त होने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों में एक तरह गहरी हताशा  एवं निराशा  थी, जो अब समाप्त हो गई है।

आगामी वित्तीय वर्ष 2022-2 के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश   बघेल; जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने राज्य का 22वां एवं अपनी सरकार का चौथा बजट प्रस्तुत किया। यह बजट राज्य के विकास के लिए एक संतुलित एवं समावेशी बजट है। इस बजट में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, ग्रामीण, शहरी सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। पिछले साल का बजट ’आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की संकल्पनाओं एवं परिकल्पनाओं को आकार एवं पंख देने वाला बजट था, इस साल का बजट ’छत्तीसगढ़ मॉडल’ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला बजट साबित होगा, ऐसी पूरी उम्मीद है।

स्कूली एवं बुनियादि शिक्षा की गुणात्मकता सुधारने के लिए सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने की कवायद के बाद अब सरकारी स्कूलों को भी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की तरह चमकाने के लिए स्वामी आत्मानंद योजना के तहत प्रारंभ करने के लिए बजट में प्रावधान करना आने वाले समय में मिल का पत्थर साबित होगी।

कुल मिलाकर 2021-22 के बजट को संतुलित एवं समावेशी विकास की दिशा  में एक महत्वपूर्णं बजट माना जा सकता है। कुल व्यय में राजस्व व्यय का हिस्सा पिछले साल से एक फीसदी कम करते हुए 86 की जगह 85 फीसदी रखा गया है, एवं पूंजीगत व्यय पिछले साल की तुलना में एक फीसदी बढ़ाकर 14 से 15 फीपदी किया गया है।

राजस्व व्यय पर नियंत्रण लगाते हुए इसे राज्य के सकल घरेलु उत्पाद के 3.3 फीसदी तक नियंत्रित करने का प्रयास सराहनीय है। बजट की बड़ी बात यह है कि प्रदेशवासियों पर कोई नया टैक्स नहीं लगाते हुए भी 701 करोड़ रूपए का बजट आधिक्य अनुमानित है।

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विधायक निधि की राशि 2 से बढ़ाकर 4 करोड़ की गई है। नवा रायपुर में सेवा ग्राम की स्थापना के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया गया है। सरपंच और पंचों का भत्ता भी बढ़ा। अधिसूचित क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को खदान संचालन का अधिकार दिया गया। जिला पंचायत विकास निधि योजना में 22 करोड़ का प्रावधान एवं जनपद पंचायत विकास निधि योजना में 66 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

हिंदी माध्यम के 32 स्वामी आत्मानंद स्कूल प्रारंभ करने की घोषणा एक अच्छी शुरूआत है। सुपोषण योजनाओं एवं मुख्यमंत्री पोषण अभियान के प्रयास से विगत 3 वर्षों में कुपोषण की दर में 8.7 फीसदी की कमी आई। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ करने के बाद साल 2019 में से अब तक 172000 बच्चे कुपोषण के कुचक्र से बाहर निकाला गया। छत्तीसगढ़ के अधिकारी और कर्मचारियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर पुरानी पेंशन योजना फिर से बहाल की जा रही है। इस योजना का फायदा छत्तीसगढ़ के 2 लाख 95 हजार सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा।

राज्य लोक सेवा आयोग एवं व्यापमं जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अब राज्य के स्थानीय परीक्षार्थियों को कोई फीस नहीं देनी होगी। खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने राजीव युवा मितान क्लब के लिए 75 करोड़ का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 11664 एवं नगरीय क्षेत्रों में 1605 क्लबों का किया जाएगा गठन किया जायेगा।

राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर नया योजना में आगामी वर्ष से वार्षिक सहायता राशि 6000 से बढ़ाकर 7000 किया गया है। 5 एचपी तक के कृषि पंपों का निशुल्क विद्युत राधे हेतु अनुदान योजना के लिए 2600 करोड़ का प्रावधान किया गया है। गौठानों को महात्मा गांधी औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। कृषि उत्पाद के भंडारण के लिए दुर्ग में इंटीग्रेटेड पैक हाउस बनेगा। नगरीय निकायों के संपत्ति के ऑफसेट मूल्य को कलेक्टर गाइडलाइन में निर्धारित दर से 30 फीसदी कम करने की घोषणा की गई है।

एक लाख 5 हजार करोड़ के बजट में स्थापना व्यय को पूर्ववत रखते हुए पूंजीगत व्यय को एक फीसदी बढ़ाया गया है। वहीं आगामी वित्तीय साल में सकल वित्तीय घाटे को 14 हजार 600 करोड़ तक नियंत्रित रखने की अनुमान है। 2020-21 की तुलना में चालू वर्ष के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 11.54 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।

कृषि क्षेत्र में 3.88 औद्योगिक क्षेत्र में 15.44 और सेवा क्षेत्र में 8.54 फीसदी वृद्धि अनुमानित है। जबकि औद्योगिक क्षेत्र में अनुमानित वृद्धि दर राष्ट्रीय दर से 3.64ः अधिक है। राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 4 लाख 61 करोड़ होना अनुमानित, पिछले वर्ष की तुलना में यह 13.60 फीसदी अधिक है।

रबी धान किस कीमत पर ?

बजट की सबसे बड़ी बात यह है कि बजट में राजस्व आबंटन इस तरह किया गया है कि समाज का सभी वर्ग बजट से लगभग खुश एवं संतुष्ट नजर आ रहा है। बजट में सामाजिक क्षेत्र के लिए 37 फीसदी, आर्थिक क्षेत्र के लिए 40 फीसदी एवं सामान्य सेवा क्षेत्र के लिए 23 फीसदी राशि  का आबंटन किया गया है, जो बजट को एक संतुलित एवं समावेशी स्वरूप प्रदान करता है।

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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