महासमुंद की बेटी-बेटों की तकनीक बचायेगी फसलों को

छत्तीसगढ़ के महासमुंद की बेटी-बेटों की तकनीक बचायेगी फसलों को| भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित प्रतियोगिता के जारी परिणाम में देश के टॉप 60 प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ के छात्रों के दो प्रोजेक्ट का चयन हुआ है।

0 64

- Advertisement -

रायपुर| भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित प्रतियोगिता के जारी परिणाम में देश के टॉप 60 प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ के छात्रों के दो प्रोजेक्ट का चयन हुआ है। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के शासकीय कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नर्रा की छात्रा परमेश्वरी यादव के कृषि समस्या तथा इसी विद्यालय के छात्र वैभव देवांगन और धीरज यादव के फसलों के बीज में उगे खरपतवारों को पहचानने के प्रोजेक्ट का चयन किया गया है।

इस विद्यालय के व्याख्याता श्री सुबोध कुमार तिवारी ने लॉकडाउन के समय छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का अध्यापन ऑनलाईन कराया। छात्रों ने इस तकनीक के उपयोग से कृषि प्रधान राज्य के किसानों की सुविधा के लिए प्रोजेक्ट बनाये।

ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली किसान की बेटी परमेश्वरी यादव ने धान की फसलों में लगने वाली बीमारियों का सही समय पर पता लगाकर उनके उपचार के लिए दवाईयों का सुझाव देने का सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से बनाया है। जिसके उपयोग से किसानों को शुरूआती दिनों में ही फसल के बीमारी का पता चलने के साथ ही उचित दवाई का सुझाव भी प्राप्त हो जाएगा। इसी प्रकार किसान पुत्र छात्र वैभव देवांगन और धीरज यादव ने फसलों के बीच उगे खरपतवारों को पहचानने का सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के उपायोग से बनाया है।

उल्लेखनीय है कि सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम ए.आई. फॉर यूथ में देश के केवल सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से रू-ब-रू कराने और उनके द्वारा समाज की समस्याओं का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) के उपयोग से समाधान ढूढंने के लिय यह कार्यक्रम चलाया गया।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है

- Advertisement -

इंसानों में ये गुण प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, कि उनमें सोचने-समझने और सीखने की क्षमता होती है, ठीक उसी तरह एक ऐसा सिस्टम विकसित करना, जो आर्टिफिशियल तरीके से सोचने, समझने और सीखने की क्षमता रखता हो और व्यवहार करने और प्रतिक्रिया देने में मानव से भी बेहतर हो, उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहते हैं।

असल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसा अध्ययन है, जिसमें ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया जाता है, जिससे एक कंप्यूटर इंसान की तरह और इंसान से भी बेहतर प्रतिक्रिया (रेस्पॉन्स) दे सके। एक्सपर्ट सिस्टम, गेम प्लेयिंग, स्पीच रिकग्निशन, नेचुरल लैंग्वेज, कंप्यूटर विजन, न्यूरल नेटवर्क, रोबोटिक्स, फाइनेंस, कंप्यूटर साइंस, वेदर फोरकास्ट और एविएशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुख्य एप्लीकेशन हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इंसानों के काम को बहुत आसान बना दिया है, जो काम 100 इंसानी दिमाग मिलकर करते हैं उसे एक मशीन कुछ ही घंटों में कर देती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित प्रतियोगिता एक नजर में-

कुल 52 हजार 628 छात्र पंजीकृत हुए। प्रथम चरण में 11 हजार 466 छात्रों ने प्रशिक्षण लिया। देश के 35 राज्य से 2536 शिक्षकों ने लिया प्रशिक्षण। पूरे देश से 2441 छात्रों से 2704 आईडियाज जमा किए गए। प्रथम चरण का परिणाम 12 जनवरी 2021 को जारी किया गया, जिसमें द्वितीय चरण के लिए 125 छात्रों की सूची जारी की गई। बाल दिवस की पूर्व संध्या पर 13 नवम्बर को टॉप 60 के परिणामों की सूची जारी की गई, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले के सरकारी स्कूल नर्रा के दो प्रोजेक्टों का चयन हुआ।

आगे क्या होगा-

तृतीय चरण के लिए चयनित छात्रों को प्रशिक्षण देकर उनके आयडियज को वर्किंग प्रोटोटाईप में ढाला जाएगा। उनका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ द्वारा ऑनलाईन साक्षात्कार और उनमें से टॉप 30 को तृतीय चरण में अंतिम रूप से विजेता घोषित किया जाएगा। विजेताओं को दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम में अपने प्रोजेक्ट प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया जाएगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.