जायका शब्दों का : धृति क्या है?

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धृति क्या है?
धृति और साहस दोनों का उत्साह के बीच संचरण होता है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध उत्साह की इस पंक्ति में धृति शब्द का अर्थ जी के भी पकड़ में नहीं आया। आज के हिंदी शब्दकोशों में भी नदारत था। मित्र अध्यापक श्री राम साहू जी का फोन आया तो मैं भी नहीं बता पाया पर लगता था इस शब्द से परिचित हूं।
कक्षा 10 वीं के हिंदी विशिष्ठ पाठ्यक्र में यह निबंध शामिल है। वर्तमान साहित्य में पूरी तरह से खारिज कर दिए गए इस अप्रचलित शब्द से शिक्षकों का हड़बड़ा जाना तय है।
बच्चों में साहस ही था कि धृति का मतलब पूछ लिया। खैर रात को ही संस्कृत और हिंदी के शब्दकोश खंगाले। इस शब्द को ढूंढते जिन शब्दों की परिक्रमा हो गई लगा कि इस पर छोटा-मोटा न सही, दुबला-पतला तो लिखा जा सकता है।
भाषा- शब्दकोश रमाशंकर शुक्ल के मुताबिक धृति- संज्ञा/ स्त्रीलिंग/ संस्कृत शब्द है जिसका आशय है-धारण, ठहराव। धर्म की पत्नी है- धृति। धृतिमान इसीलिए स्थिर चित्त, धीर और गंभीर। मनुस्मृति का जिक्र करते उद्धृत किया गया है-धृति: क्षमा दया मौस्तेय: शौचमिन्द्रिय: निग्रह।
धृति से गुजरते धृत पर ठहर गया- संस्कृत के इस विशेषण का आशय है धरा या धारण किया हुआ , स्थिर।
रामायण का उदाहरण था- धृत सायक पाप निषंग वरम। धृतराष्ट्र यानि दृढ़ राजा का राज्य,अच्छे राजा से शासित राज्य, पर इसका विचलन हो गया। धृतराष्ट्र अब ऐसे अंधे के लिए उपयोग होने लगा है जो पुत्रमोह में वशीभूत हो अपना आपा को बैठे। वैसे सारे अंधे सूरदास से विशेषित थे विज्ञान के इस युग में ये मोदीजी की कृपा से दिव्यांग हो गए हैं।

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जंयती मंगला भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा , क्षमा, शिवा, धातृ, स्वाहा, स्वधा, नमुस्तते।
इस श्लोक का धातृ/ धात्री शब्द ही था जिसे लगा था कि मैं धृति शब्द से परिचित हूं। धातृ/ धात्री- संस्कृत शब्द है। अर्थ है -मां-माता। इसका विपयर्य है-धाता। संज्ञा/पुल्लिंग। धाता अर्थात धारण या पालन करने वाला। रक्षक या पालक। विधाता कहते ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश सामने आ जाते हैं।
उत्साह- दृढ़ता और साहस के बिना संभव नहीं। इसीलिए तो लिखने का यह उत्साह बना।
-डॉ निर्मल कुमार साहू 

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