अफसरशाही से परेशान नीतीश इस तरह लगा रहे लगाम  

बिहार में अब बढ़ती हुई अफसरशाही से परेशान नीतीश सरकार अब अधिकारियों पर लगाम कसने को तैयार है। अफसरशाही पर अंकुश लगाने के लिए नीतीश सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार किया है।

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पटना| बिहार में अब बढ़ती हुई अफसरशाही से परेशान नीतीश सरकार अब अधिकारियों पर लगाम कसने को तैयार है। अफसरशाही पर अंकुश लगाने के लिए नीतीश सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार किया है।
राज्य के मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने इसके लिए बजाप्ता एक लेटर जारी किया है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि संसद और विधान मंडल के सदस्यों की भूमिका लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है। ऐसे में कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा निर्गत पत्रों के आलोक में राज्य सरकार द्वारा भी सरकारी कार्य व्यवहार के प्रक्रियाओं में अनुपालन के लिए समय-समय पर गाइडलाइन जारी किए जाते रहे हैं।
इन गाइडलाइन के पालन में कमी को देखते हुए लोकसभा की विशेषाधिकार समिति की तरफ से मौजूदा अनुदेशकों को समेकित करने और दोहराने की आवश्यकता महसूस की गई है। इसलिए यह पत्र सभी को भेजा जा रहा है। मुख्य सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि निर्धारित निर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा।
मुख्य सचिव के इस पत्र से स्पष्ट हो गया है कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को लेकर अधिकारियों का रवैया तय मानकों के विपरीत रहा तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
आपको याद दिला दें कि पिछले दिनों बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने भी अफसरशाही को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। हालांकि मदन सहनी ने बाद में इस्तीफा का फैसला बदल दिया था लेकिन उनके बयान से सरकार की भारी फजीहत हुई थी।
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों जनता दरबार कार्यक्रम का फिर से शुभारंभ किया और उनके जनता दरबार कार्यक्रम में भी अफसरशाही से जुड़ी शिकायतें मिलती रही हैं। ऐसे में अब नीतीश सरकार ने इस पर सख्ती करने का फैसला किया है।
मुख्य सचिव ने हाल के वक़्त में अफसरशाही को लेकर सरकार की किरकिरी होने के बाद सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, डीजीपी, कमिश्नर, जोनल आईजी, डीआईजी, डीएम, एसएसपी और एसपी के साथ-साथ रेल एसपी को भी पत्र लिखा है।
मुख्य सचिव ने उम्मीद जताई है कि नौकरशाही के स्तर में ऐसी स्थिति नहीं आने दी जाएगी। हम आपको बता दें कि दरअसल प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए किस तरह की गाइडलाइन तय किए गए हैं। मसलन अगर कोई जनप्रतिनिधि अधिकारी को संपर्क करता है तो अधिकारी तुरंत इस पर रिस्पांस दें।
किसी जनप्रतिनिधि के द्वारा मंत्री और सचिव के नाम से पत्र आता है तो इसका जवाब भी उन्हीं के स्तर से आए। अगर मंत्री जवाब ना दें तो सचिव स्तर के कोई अधिकारी ही सांसद, विधायक के लेटर का जवाब दे। साथ ही साथ जनप्रतिनिधियों से आदरपूर्वक बातचीत करना भी गाइडलाइन का एक हिस्सा है।
जनप्रतिनिधियों को सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित करना भी जरूरी है। अब देखना होगा कि मुख्य सचिव के इस आदेश का असर कितना होता है। नीतीश सरकार अफसरशाही के आरोपों से घिरी हुई है और वह कैसे इस आरोप को खारिज कर पाती है।

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