पांडे कवासी आत्महत्या पुलिस प्रताड़ना का हिस्सा: नक्सली

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दंतेवाड़ा|  नक्सलियों ने आत्मसमर्पित नक्सली पांडे कवासी की आत्महत्या को बताया पुलिस प्रताड़ना का हिस्सा करार देते दंतेवाड़ा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये हैं|  नक्सलियों ने सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के जज , मानवाधिकार संगठन और आदिवासी संगठनों की संयुक्त समिति बनाकर मामले की जांच करवाने की मांग की है|

माओवादियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने 28 फरवरी को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि  दंतेवाड़ा पुलिस एसपी के नेतृत्व में फरवरी 19 तारीख को कटेकल्याण ब्लाक के अंतर्गत गुडसे गाँव से एक युवति-कवासी पाण्डे को जबर्दस्ती पकड़ कर और लेजाकर पुलिस लाईन में रखा गया| शारीरिक और मानसिक रूप में उसको प्रताड़ित किया था| इसी क्रम में कवासी पाण्डे मर गई|

उसके बाद एसपी ने घोषणा किया है कि पाण्डे आत्महत्या करके मर गई, ग्रामीणों को लेजाकर पुलिस लाईन में रखना (गैर-कानूनी तरीका से बंद्धक बनाना) और उनको मार देना, यह पुलिस का बर्बरता को दर्शाता है|

यह तरीका कई अनेक सालों से आंदोलन का इलाका में चल रहा है| फिलहाल जनता अपने समस्याओं को लेकर और पुलिस कैम्प के विरोध में जबर्दस्त आंदोलन चलाया| इसी सिलसिले  में दंतेवाड़ा एसपी जनता का लिस्ट बनाकर धमकाया| जबर्दस्ती पकड़ के पुलिस लाईन में रख कर सरेण्डर दिखाया| मीडिया में प्रचार है कि लोन वराटु अभियान से प्रेरित होकर बड़े संख्या में जनता मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं|

2020, अक्तूबर, नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी, 2021. फरवरी महीनों में ‘प्रहार ‘ अभियान के नाम से कुम्बींग कर रहे हैं| असल में यह अभियान जनता पर हत्याकाण्ड है| गाँवों में हमला करना, गाँव वालों को हत्या करके माओवादी फायरिंग में मर गया जैसे झूठ प्रचार कर रहे हैं|

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दूसरी तरफ भूपेष बघेल 24 घंटा विकास का नाम जप रहे है, कुछ लोग आदिवासी नेता के रूप में अपने आपको मुहर लगाकर धोखाबाजी करके मंत्री बन गया| इन्ही लोगों का इतिहास आम जनता के सामने भण्डाफोड़ हो गया|

इन तामाम पहलूओं को देखने के बाद केन्द्र और राज्य सरकारों ने साम्राज्यवादी और दलाल पूंजीपतियों का एजेण्ट बनकर सेवा कर रहे हैं| पुलिस अधिकारी कारपोरेट घरानों का कुत्ता बनकर, उनको सेवा कर रहे हैं, जनता पर हत्याकाण्ड कर रहे हैं| इस परिस्थिति में उत्पीडित जनता- आदिवासी, दलित, मुसलमान, महिला, मजदूर, किसान, छात्र, कर्मचारी सभी को आंदोलन बिना कोई रास्ता नहीं है|

हमारा अनुरोध है कि सभी तबका का जनता नीचे सूचित किए गए मांगों को लेकर आंदोलन में उतर जाए|

1. सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जेज के नेतृत्व में मानवाधिकार संगठन और आदिवासी संगठन मिलाकर संयुक्त समिति  बनाकर पूरा घटनाक्रम को जांच करवाना और रिपोर्ट को सर्वजनिक करना है|

  1. आदिवासी संगठन और मानवाधिकार संगठन के सामने दुबारा पोस्टमार्टम करवाना और उस रिपोर्ट को सर्वजनिक करना है|3. दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव को पद से निलंबित करना है|
  2. फासीवादी दमन अभियान ‘लोन
    वराटु और प्रहार’ योजना को बंद कर देना है|जल, जंगल, जमीन, इज्जत और अधिकार को लेकर आंदोलन कर रहे क्रांतिकारी जनता को सभी वर्ग के लोग मदद करें और सरकार का मंशाओं पर पानी फेर दो,

    क्रांतिकारी अभिवादन के साथ

    दक्षिण सब जोनल ब्यूरो

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