यहाँ देवी-देवताओं के साथ पूजे जाते हैं श्रीगुरुनानक देव
महासमुंद जिले के इस ग्राम में सभी हिन्दू पर्वों में देवी-देवताओं के साथ श्रीगुरुनानक देव जी की पूजा अवश्य की जाती है। विगत दिनों यहाँ आयोजित विराट पर्व में यह देखने को मिला, जहाँ राधा-कृष्ण के साथ श्री गुरुनानक देव जी की पूजा-अर्चना भी चलती रही|
पिथौरा। महासमुंद जिले के इस ग्राम में सभी हिन्दू पर्वों में देवी-देवताओं के साथ श्रीगुरुनानक देव जी की पूजा अवश्य की जाती है। विगत दिनों यहाँ आयोजित विराट पर्व में यह देखने को मिला, जहाँ राधा-कृष्ण के साथ श्री गुरुनानक देव जी की पूजा-अर्चना भी चलती रही|
महासमुंद जिले के चर्चित ग्राम नानक सागर में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला विराट पर्व सोमवार सुबह आरती एवम कलश विषर्जन के साथ ही सम्पन्न हो गया। इन्त पांच दिनों में ग्रामीण राधा-कृष्ण के साथ श्री गुरुनानक देव जी की पूजा कर रात भर पुराण गायन करते है।
महासमुन्द जिले के बसना विकासखण्ड से सात किलोमीटर दूर स्थित नानक सागर में सिक्खों के प्रथम गुरु श्रीगुरुनानक देव जी के दो दिन रुकने के प्रमाण मिलने के बाद से यह ग्राम चर्चा में है। इस ग्राम में सभी हिन्दू धर्म के पर्व धूमधाम से मनाए जाते है। सभी पर्वो में देवी-देवताओं के साथ श्रीगुरुनानक देव जी की पूजा अवश्य की जाती है।
नानक सागर: 517 बरस पहले जहाँ गुरुनानक देव रुके थे 2 दिन
पूर्व सरपंच सुवर्धन प्रधान के अनुसार ग्राम के मुख्य नानक डेरा में अभी विराट पर्व मनाया गया। इसे चंदन यात्रा के नाम से भी जानते है। श्री प्रधान में बताया कि मान्यता है कि महाभारत के दौरान पांच पांडव द्वारा अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय इसी ग्राम में बिताया था। लिहाजा इसी की याद में पांच दिवसीय यह पर्व मनाया जाता है।
पांच दिन सभी घरों से फल फूल प्रसाद
श्री प्रधान ने बताया कि इस पर्व में हिन्दू परिवार के सभी घर से नानक डेरा में फूल फल और प्रसाद लेकर पहुँचते हैं । रात भर ज्योति जलती है और आरती के बाद रात भर पुराण कथा होती है। इसके बाद सुबह आरती के साथ सुबह पूजा समाप्त होती है। यह कार्यक्रम लगातार पांच दिनों तक चलता है।
कीर्तन दरबार रविवार को सम्पन्न
दूसरी ओर श्रीगुरुनानक देव जी की जमीन पर प्रतिमाह होने वाला कीर्तन दरबार भी कल ही सप्पन्न हुआ। कीर्तन दरबार मे आये सिक्ख जनों ने ग्राम पहुंच कर विराट पर्व में रामसीता के साथ श्री गुरुनानक देव जी के दर्शन किये। कीर्तन दरबार के बाद लंगर भी रखा गया था।
कीर्तन जत्था ओडिशा के खरियार रोड से पहुचा था। कार्यक्रम में मुख्यतः अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र सिंह छाबड़ा, सुरेंद्र सिंह छाबड़ा, बसना से मंजीत सिंह सलूजा सहित अनेक सिक्ख परिवार सहित पहुंचे थे।
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बात दें सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी 517 साल बरस पहले छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण होते हुए ओडिशा के जगन्नाथ पुरी गए थे | इसी दौरान महासमुंद जिले के गढ़फुलझर के नानक सागर में दो दिन रुके थे| श्री गुरु नानक देव जी बंजारा समाज के आराध्य देव हैं| शिवरीनारायण में बंजारा समाज ने मंदिर में इनकी प्रतिमा स्थापित की है|
छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में भी रुके थे गुरु नानक देव, यहाँ उनका मंदिर भी
बहरहाल, जब देश में इन दिनों साम्प्रदायिक ताकतें विभाजन में लगी हैं, इस तरह के आयोजन हमें एकता-भाईचारा का संदेश देते मन में एक नई ऊर्जा भर देते हैं|
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा