घोयनाबाहरा में रैक पॉइंट से प्रदूषण बढ़ा, आन्दोलन की चेतावनी

महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखण्ड के ग्राम घोयनाबाहरा में कोमाखान रेलवे स्टेशन के नाम से रैक पॉइंट बनाने से यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों में अब गम्भीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

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पिथौरा| महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखण्ड के ग्राम घोयनाबाहरा में कोमाखान रेलवे स्टेशन के नाम से रैक पॉइंट बनाने से यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों में अब गम्भीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ज्ञात हो कि माल लोडिंग अनलोडिंग के लिए रेलवे द्वारा स्टेशन एवम आबादी से कुछ दूर रैक पॉइंट बनाया जाता है। जिससे लोडिंग अनलोडिंग से उड़ने वाली जहरीली धूल से ग्रामीण सुरक्षित रहे।परन्तु उक्त रैक पॉइंट निर्माण मनमाने तरीके से पंचायत की अनापत्ति के बगैर ही बना कर चालू भी कर दिया है।

ग्रामीण सूत्र बताते है कि कोमाखान  रेलवे स्टेशन के समीप बने रैक पाइंट में माल लोडिंग-अनलोडिंग से पूरे क्षेत्र में वायु और ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। इस समस्या के कारण यहां रहने वालों को कई तरह की परेशानियां हो रही है। जिसे दूर किया जानाआवश्यक है।

बताया जाता है कि रेलवे ने रैक पाइंट बनाने के पूर्व प्रदूषण न फैलने पाए इसके लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की है। प्रदूषण रोकने पौधरोपण भी नहीं किया गया है। पाइंट के चलते घोयनाबाहरा और आस-पास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है।

 

अनापत्ति प्रमाण पत्र के बगैर बना रैक-स्मिता 

बढ़ते प्रदूषण एवम परेशानियों के समाधान हेतु बागबाहरा जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर ने ग्रामीणों की शिकायत के सम्बंध में  बताया कि घोयनाबहरा में पंचायत पदाधिकारियों और ग्रामीणों के बुलावे पर वे घोयनाबाहरा पहुंचीं और स्थिति का जायजा लिया। रेलवे स्टेशन कोमाखान के नाम से है। जबकि रेलवे स्टेशन घोयनबाहारा भूखंड सीमा में आता है।

रैक पाइंट से आवासीय क्षेत्र मात्र 50 मीटर दूरी पर है। यहां सीमेंट रॉ मटेरियल, क्लिंकर या माल लोडिंग के लिए संबंधित ग्राम पंचायत से सहमति प्रस्ताव अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना होता है। पर रेलवे ने घोयनाबाहरा पंचायत से सहमति अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बजाए सीमा क्षेत्र के बाहर कोमाखान ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र पंचायत प्रस्ताव लेकर रैक पाइंट बनाकर माल लोडिंग-अनलोडिंग प्रारंभ किया है, जो पूर्णतः गलत है।

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उन्होंने ग्रामीणों के साथ मौका स्थल का निरीक्षण किया तो ग्राम घोइनाबाहरा के 60% प्रतिशत घरों में धूल की परत जमा  दिखी जिससे ग्रामीणों के पूरे घर में धूल की मोटी परतें जमा हो रही है इससे उनके पका पकाया भोजन में भी धूल भर रही है।लिहाजा  यहां के नागरिकों के स्वास्थ में बेहद बूरा प्रभाव पडने से इंकार नहीं किया जा सकता।

रैकपाइंट से कोई सौ मीटर दूर प्राथमिक स्कूल है यहां  छोटे छोटे बच्चे पढाई करने आते है यहां बच्चों के लिए  मध्यान्ह भोजन भी बनता है जो धूल के गुब्बार से प्रदूषित हो रहा है उक्त भोजन को बच्चों को परोसा जा रहा है इससे बच्चों के स्वास्थ के लिए पालक एवम स्कूल प्रबंधन के माथे पर चिंता की लकिरे उभर आई है।

रैक पाइंट मे लोडिंग अनलोडिंग से जमे सारे  धूल बारिश में किसानों के खेत में   राँमटेरियल सीमेंट से पट जाएगा ,इससे किसानों के कृषि जमीन खराब होगी एवम फसल उत्पादन मे गिरावट आयेगी। स्मिता चंद्राकर ने कहा कि घोइनाबाहरा बस्ती के बीचोबीच मुख्य सडक मार्ग है जहाँ से

रेलवे में माल लोडिंग अनलोडिंग करने रात दिन सड़कों में भारीभरकम सैकड़ो ट्रक का आना जाना भी लगा रहता है।जिसके चलते सड़क किनारे काफी मात्रा में धूल फैली होने के कारण पूरे दिन हवा में धूल का गुबार उड़ता रहता ह।जिसकी वजह से हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है।

उन्होंंने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से आग्रह करते हुये मांग की है कि रैक पाइंट तक माल वाहक वाहन आने जाने के लिए रेलवे विभाग अलग से सडक मार्ग का निर्माण करें ताकि भारी माल वाहक वाहन आबादी क्षेत्र  को बाधित करे बिना रैक पाइंट तक पहुंचे| रेलवे प्रशासन को यह भी निर्देशित करें कि पहले संबंधित ग्राम पंचायत से अनुमति लें और रेलवे के कारण यहां के वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक बनते जा रही है उसका तत्काल निराकरण कराया जाए।

15 जून से बच्चों का नये शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से पहले धूल से होने वाली बीमारी से बचने कारगर कदम उठाया जाए ताकि यहां के लोगों के स्वास्थ्य के सांथ कोई खिलवाड़ न हो पाये। श्रीमती चंद्राकर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन इस दिशा में ठोस  कार्यवाही नहीं करती है तो ग्रामीणों के सांथ हम रैक पाइंट पर तंबू गाडकर आन्दोलन करने बाध्य होंगे जिसकी समस्त जवाबदेही रेलवे प्रशासन की होगी।

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा

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