Video: जब 8 बरस पहले गुम माँ घर लौटी

8 बरस पहले गुम माँ जिसको वह मृत मानकर अंतिम संस्कार कर चुका था |अचानक सामने आ जाये तो उस ख़ुशी को नापना कितना मुश्किल होगा | सोशल मीडिया की बदौलत आज गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के ग्राम गोहेकेला के बलभद्र नागेश का परिवार ही नहीं पूरा गाँव ख़ुशी से झूम रहा है |

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देवभोग| 8 बरस पहले गुम माँ जिसको वह मृत मानकर अंतिम संस्कार कर चुका था |अचानक सामने आ जाये तो उस ख़ुशी को नापना कितना मुश्किल होगा | सोशल मीडिया की बदौलत आज छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का  बलभद्र नागेश का परिवार ही नहीं पूरा गाँव ख़ुशी से झूम रहा है |

मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के गोहेकेला निवासी बलभद्र नागेश की 65 वर्षीय मां मरुवा बाई 8 साल पहले 2013 में लापता हो गई थी। परिवार वालों के काफी कोशिशों के बाद भी उसका पता चल नहीं सका |

बलभद्र के मुताबिक मनोरोग  पीड़ित उसकी  मां अक्सर घर से निकल जाने के बाद एक दो दिन में लौट आती  थी| इस बार वह नहीं लौटी |

अब सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो बलभद्र के छोटे भाई के पास पहुंचा। वायरल वीडियो में मरुवा बाई की तस्वीर दिखाई दे रही थी।

वीडियो ओडिशा के बलांगीर जिले से किसी ने फारवर्ड करते अपील की थी कि यदि कोई इस बूढी महिला को जनता है तो उसे उसके घर तक पहुँचाने में मदद करे ।

देखे वीडियो-

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वीडियो में माँ को देख बलभद्र का परिवार खुशी से भर गया बेटे को मां के मिलने की उम्मीद जगी। वह तुरंत ओडिशा के लिए रवाना हो गया।

बलांगीर जिले में  दो दिन की तलाश के बाद  माँ आखिर  मिल गई।  3 दिन पहले मां मरुवा बाई को जब गाँव लेकर पहुंचा तो उससे मिलने  पूरा गाँव उमड़  पड़ा | अब घर पर रिश्तेदारों का तांता  और  मेले जैसा माहौल,  खुशियां से भरा हुआ |

बलभद्र नागेश

बलभद्र और उसका परिवार  बहुत  खुश है पर मलाल इस बात का है कि बरस भर पहले पारिवारिक सामाजिक रीति-रिवाजों के कारण माँ का अंतिम संस्कार करना पड़ा था |

दरअसल  पिछले साल उन्हें अपनी बेटी का कोणाबेरा करना था।जिसके लिए माँ के अंतिम संस्कार की शर्त रखी गई थी | मजबूर होकर उसने  यह किया |

क्या है कोणाबेरा  

यह  प्रतीकात्मक विवाह है जिसमें बेटी के किशोरावस्था में  महुए  के पेड़ से कराई जाती है, समाज में मान्यता है कि इससे  युवा बालिग होने पर की गई शादी से दाम्पत्य जीवन मंगलमय होता है | इस कार्यक्रम में रिश्तेदार और समाज के लोग मौजूद होते हैं |

(तस्वीर और जानकारी, सौजन्य : पत्रकार टीका राम निषाद, देवभोग)

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