भारत सरकार ने हाल के वर्षों में सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसका उद्देश्य देश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का केंद्र बनाना है. भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) और विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के तहत, सरकार ने इस क्षेत्र में भारी निवेश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित किया है. लेकिन इसका आम लोगों के लिए क्या महत्व है, और यह उनकी जिंदगी को कैसे बेहतर बनाएगा? आइए, इस पर एक नजर डालें.
भारत क्यों दे रहा है सेमीकंडक्टर पर ध्यान?
सेमीकंडक्टर, जिन्हें आमतौर पर चिप्स कहा जाता है, आधुनिक तकनीक का आधार हैं. स्मार्टफोन, लैपटॉप, कार, मेडिकल उपकरण, और यहां तक कि रेफ्रिजरेटर जैसे उपकरणों में ये चिप्स उपयोग होते हैं. भारत वर्तमान में अपनी सेमीकंडक्टर जरूरतों का 95% आयात करता है, मुख्य रूप से चीन, ताइवान, और दक्षिण कोरिया से. यह निर्भरता न केवल आर्थिक बोझ बढ़ाती है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, जैसे कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया, भारत की तकनीकी और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती है.
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, जिसे 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू किया गया, का लक्ष्य भारत को सेमीकंडक्टर डिजाइन और विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाना है. सरकार ने गुजरात, असम, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कई सेमीकंडक्टर फैब और असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग, और पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों की स्थापना को मंजूरी दी है. टाटा, माइक्रॉन, और फॉक्सकॉन जैसी कंपनियां भारत में अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं.
इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:
आर्थिक विकास: सेमीकंडक्टर उद्योग 2030 तक भारत में 100 अरब डॉलर से अधिक का बाजार बनने की उम्मीद है. यह निवेश और निर्यात को बढ़ावा देगा.
राष्ट्रीय सुरक्षा: स्वदेशी चिप्स “विश्वसनीय स्रोत” के रूप में काम करेंगे, जो 5जी उपकरण और सीसीटीवी कैमरों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाएंगे.
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका: वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण की मांग के बीच, भारत एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है.
नवाचार और तकनीकी प्रगति: सेमीकंडक्टर उत्पादन 5जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देगा.
आम लोगों को क्या लाभ मिलेगा?
सेमीकंडक्टर विनिर्माण पर भारत का ध्यान न केवल उद्योगों और सरकार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम लोगों के जीवन को भी कई तरह से बेहतर बनाएगा:
रोजगार सृजन: सेमीकंडक्टर इकाइयों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों नौकरियां पैदा होंगी. उदाहरण के लिए, गुजरात के धोलेरा में टाटा की फैब सुविधा और अन्य इकाइयां 20,000 प्रत्यक्ष और 60,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित करेंगी. ये नौकरियां इंजीनियरों, तकनीशियनों, और अन्य कर्मचारियों के लिए होंगी, जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा.
सस्ते इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद: स्वदेशी उत्पादन से आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे स्मार्टफोन, टीवी, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कीमतें कम हो सकती हैं. इससे आम लोग किफायती दामों पर तकनीक का लाभ उठा सकेंगे.
बेहतर तकनीकी पहुंच: सेमीकंडक्टर उत्पादन से 5जी नेटवर्क, स्मार्ट सिटी, और डिजिटल सेवाओं का विस्तार होगा. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तेज इंटरनेट और डिजिटल सेवाएं आम लोगों के लिए अधिक सुलभ होंगी.
आर्थिक स्थिरता: सेमीकंडक्टर निर्यात से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, जिसका असर आम लोगों पर कम मुद्रास्फीति और बेहतर जीवन स्तर के रूप में दिखेगा. आयात बिल में कमी से सरकार के पास शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे पर खर्च करने के लिए अधिक संसाधन होंगे.
स्वदेशी नवाचार: भारत में चिप डिजाइन और उत्पादन से स्थानीय स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलेगा. डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत 24 स्टार्टअप्स को पहले ही समर्थन मिल चुका है, जिससे नए उत्पाद और सेवाएं आम लोगों तक पहुंचेंगी.
चुनौतियां और रास्ता आगे
हालांकि भारत की सेमीकंडक्टर महत्वाकांक्षा आशाजनक है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं. सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने के लिए भारी पूंजी, शुद्ध पानी, और स्थिर बिजली की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, कुशल श्रमिकों की कमी और तकनीकी स्थानांतरण की बाधाएं भी हैं. सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण पर ध्यान दे रही है, जिसमें 85,000 इंजीनियरों और तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने की योजना है.
भारत का सेमीकंडक्टर विनिर्माण पर ध्यान एक रणनीतिक कदम है, जो न केवल देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि आम लोगों के लिए रोजगार, सस्ती तकनीक, और बेहतर जीवन स्तर के अवसर भी लाएगा. जैसे-जैसे भारत इस क्षेत्र में प्रगति करता है, यह वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है. यह न केवल उद्योगों के लिए, बल्कि हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है.