संयुक्त राष्ट्र मंच के दुरुपयोग पर भारत की पाकिस्तान को फटकार, इंदुस जल संधि पर शहबाज शरीफ के आरोप खारिज

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दुशांबे/नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इंदुस जल संधि (Indus Waters Treaty) को लेकर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. भारत ने कहा कि वह इस मंच के “दुरुपयोग” से स्तब्ध है और पाकिस्तान को संधि के उल्लंघन का दोषी ठहराया, जो स्वयं सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इसका उल्लंघन कर रहा है. ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को संधि के उल्लंघन का दोष भारत पर थोपने से बचना चाहिए.

शुक्रवार को सम्मेलन को संबोधित करते हुए शहबाज शरीफ ने भारत पर संधि को निलंबित करने का आरोप लगाते हुए इसे “पानी का हथियारीकरण” और “एकतरफा व अवैध” कदम करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कदम लाखों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहा है और पाकिस्तान इसे बर्दाश्त नहीं करेगा. शरीफ ने दावा किया कि भारत ने संधि को “संकीर्ण राजनीतिक लाभ” के लिए निलंबित किया है.

भारत ने शनिवार को इसका कड़ा जवाब दिया. पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने सम्मेलन के पूर्ण सत्र में कहा, “पाकिस्तान द्वारा इस मंच का दुरुपयोग कर उन मुद्दों को उठाने की कोशिश की गई, जो इसके दायरे में नहीं आते. हम ऐसी कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.” उन्होंने जोर देकर कहा कि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित इंदुस जल संधि की प्रस्तावना में इसे सद्भावना और दोस्ती की भावना से लागू करने की बात कही गई है, लेकिन पाकिस्तान का लगातार सीमा पार आतंकवाद इसकी शर्तों का पालन करने में बाधा डाल रहा है.

भारत ने 23 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इंदुस जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की थी. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ने ली थी. भारत ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा मानते हुए संधि को निलंबित करने के साथ-साथ कई अन्य दंडात्मक कदम उठाए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने पिछले सप्ताह कहा था, “जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता, तब तक संधि निलंबित रहेगी. आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, और न ही पानी और खून एक साथ बह सकते हैं.”

कीर्ति वर्धन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि 1960 से अब तक कई मूलभूत बदलाव आए हैं, जिनके कारण संधि की शर्तों की समीक्षा जरूरी है. इनमें तकनीकी प्रगति, जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और सीमा पार आतंकवाद की निरंतर चुनौती शामिल हैं. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान, जो स्वयं संधि का उल्लंघन कर रहा है, उसे भारत पर दोष मढ़ने से बचना चाहिए.”

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित इंदुस जल संधि इंदुस नदी प्रणाली के छह प्रमुख नदियों—इंदुस, झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास—के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करती है. संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, ब्यास) का पूर्ण नियंत्रण मिला, जबकि पश्चिमी नदियों (इंदुस, झेलम, चिनाब) का नियंत्रण मुख्य रूप से पाकिस्तान को दिया गया. यह संधि दशकों तक दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रही, लेकिन हाल के वर्षों में आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन ने इसके कार्यान्वयन को जटिल बना दिया है.

सम्मेलन में ग्लेशियर संरक्षण पर चर्चा के दौरान शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान के 13,000 से अधिक ग्लेशियर इंदुस नदी प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण हैं, और जलवायु परिवर्तन के कारण इनका पिघलना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और संस्कृति के लिए खतरा है. उन्होंने 2022 की बाढ़ का हवाला देते हुए कहा कि ग्लेशियर पिघलने से लाखों एकड़ फसलें और हजारों घर नष्ट हो गए.

भारत ने भी ग्लेशियर संरक्षण पर अपने प्रयासों को रेखांकित किया. सिंह ने बताया कि भारत ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है और क्रायोस्फीयर और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र स्थापित किया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) उन्नत रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीकों के जरिए ग्लेशियर्स की निगरानी कर रहा है.

अंतरराष्ट्रीय मंच पर तनाव

यह पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान ने इंदुस जल संधि को लेकर किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बयान दिए हैं. 80 देशों के 2,500 से अधिक प्रतिनिधियों और 70 अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मौजूदगी में आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य ग्लेशियर संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटना था. भारत ने पाकिस्तान पर इस वैज्ञानिक मंच का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया.

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा. कुछ यूजर्स ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख जरूरी है, जबकि अन्य ने शरीफ के बयानों को “झूठ का पुलिंदा” करार दिया. एक यूजर ने लिखा, “पाकिस्तान पहले आतंकवाद पर लगाम लगाए, फिर संधि की बात करे.”

भविष्य की चुनौतियां

विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इंदुस नदी बेसिन की जलविज्ञान बदल रही है, जिससे संधि की प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहे हैं. हाल के शोध बताते हैं कि पश्चिमी नदियां (इंदुस, झेलम, चिनाब) ग्लेशियर्स से अधिक पानी प्राप्त करती हैं, जबकि पूर्वी नदियां (रावी, सतलुज, ब्यास) कम ग्लेशियर-निर्भर हैं. यह असंतुलन भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है.

भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त नहीं करता, तब तक संधि पर कोई बातचीत नहीं होगी. यह विवाद न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को दर्शाता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों को भी उजागर करता है. जैसे-जैसे सम्मेलन शनिवार को समाप्त हुआ, दोनों देशों के बीच यह तीखी बहस वैश्विक समुदाय के लिए चर्चा का विषय बन गई.

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