सेवा एवं कृषि क्षेत्र को छोड़कर बाकि कोर सेक्टर्स के प्रदर्शन ने किया निराश 

सेवा क्षेत्र एवं कृषि को छोड़कर विनिर्माण, व्यापार, होटल, खनन, बिजली-गैस, निर्माण आदि सभी मुख्य कोर सेक्टर्स में अर्थव्यवस्था की हालत वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में कमजोर रही है।

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सेवा क्षेत्र एवं कृषि को छोड़कर विनिर्माण, व्यापार, होटल, खनन, बिजली-गैस, निर्माण आदि सभी मुख्य कोर सेक्टर्स में अर्थव्यवस्था की हालत वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में कमजोर रही है। 2021-22 की पहली तिमाही की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 10.5 फीसदी से बढ़कर 17.6 फीसदी हो गई है। इसी तरह कृषि में वृद्धि दर 2.2 फीसदी से बढ़कर 4.5 फीसदी हो गई है।

डॉ. लखन चौधरी

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही की 13.5 फीसदी की वृद्धि दर को लेकर बाजार एवं अर्थव्यवस्था के लिए भले ही उत्साह का माहौल नजर आ रहा है, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक एवं मूडीज सहित तमाम रेटिंग एजेंसियां पूरे साल के लिए डबल डिजिट वृद्धि दर संबंधी अपनी अनुमानों से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि सभी एजेंसियां अपने पूर्वानुमानों को कम करते हुए संशोधित करने में लगे हैं। अर्थव्यवस्था के लिए यह भले ही चिंताजनक नहीं है, परंतु कोर सेक्टर्स के प्रदर्शनों से अर्थव्यवस्था की चुनौतियां बढ़ती दिखती हैं।

एसबीआई और मूडीज ने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान घटाते हुए क्रमषः 6.8 एवं 7.7 फीसदी कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इसे 7.5 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया गया है। मूडीज ने अनुमान घटाकर 7.7 फीसदी दिया है। मूडीज ने भी वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारत के जीडीपी अनुमान को घटाकर 7.7 फीसदी और वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 5.2 फीसदी कर दिया है। मूडीज ने इसका कारण बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक विकास दर की धीमी होती गति को जिम्मेदार माना है।

) ने बुधवार को 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए थे जिसके बाद भारतीय स्टेट बैंक और मूडीज ने अपने वृद्धि दर के अनुमान कम किये हैं। एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही। पिछले साल की समान तिमाही यानि 2021-22 की अप्रैल-जून में ये 20.1 फीसदी थी। पिछली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.1 फीसदी थी। यानी देश की विकास दर पिछली यानी जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में बेहतर रही है, लेकिन आगे रहेगी इसकी संभावनाएं कम दिखती है।

दरअसल में 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही की विकास दर बाजार की उम्मीदों से काफी कम रही है। जीडीपी भले ही द्विअंकीय यानि डबल डिजिट में रही है, लेकिन फिर भी यह बाजार की उम्मीदों से कम है। इसका सबसे बड़ा कारण विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर रही जिसमें पहली तिमाही में 4.8 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली। वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में ये 49 फीसदी थी। विनिर्माण में वृद्धि दर 16.8 फीसदी रही जो वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 71.3 फीसदी थी। इसके अलावा खनन क्षेत्र में वृद्धि दर 18 फीसदी से घटकर 6.5 फीसदी रह गई।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 की प्रमुख क्षेत्रों की स्थिति का आंकलन से स्पष्ट है कि सेवा क्षेत्र एवं कृषि को छोड़कर विनिर्माण, व्यापार, होटल, खनन, बिजली-गैस, निर्माण आदि सभी मुख्य कोर सेक्टर्स में अर्थव्यवस्था की हालत वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में कमजोर रही है। 2021-22 की पहली तिमाही की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 10.5 फीसदी से बढ़कर 17.6 फीसदी हो गई है। इसी तरह कृषि में वृद्धि दर 2.2 फीसदी से बढ़कर 4.5 फीसदी हो गई है।

जबकि विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 49 फीसदी से घटकर मात्र 4.8 फीसदी रह गई है। व्यापार एवं होटलिंग में वृद्धि दर 34.3 फीसदी से गिरकर 25.7 फीसदी रह गई है। खनन में 18 फीसदी से घटकर 6.5 फीसदी रह गई है। बिजली-गैस में 13.8 फीसदी की तुलना में 14.7 फीसदी होकर मामूली बढ़ोतरी दर्ज हुई है, जबकि निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 71.3 फीसदी से गिरकर 16.8 फीसदी रह गई है।

दरअसल में 2021-22 के प्रदर्शन के आधार पर अर्थशास्त्रियों ने 2022-23 की पहली तिमाही के लिए अर्थव्यवस्था में जीडीपी वृद्धि दर 15.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन सेवा क्षेत्र एवं कृषि को छोड़कर विनिर्माण, व्यापार, होटल, खनन, बिजली-गैस, निर्माण आदि सभी मुख्य कोर सेक्टर्स में खराब प्रदर्शन के चलते सारे अनुमान सही साबित नहीं हो सके। इधर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अर्थव्यवस्था के खराब प्रदर्षन के चलते अपने पूर्वानूमान 16.2 फीसदी को घटाकर वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 7.2 फीसदी कर दिया है। कुल मिलाकर 2022-23 के लिए सरकार को संभल कर चलने की जरूरत है।

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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