वित्त मंत्रियों की बैठक: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जरूरी, जायज मांगे और सुझाव

वित्त मंत्रियों की बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बहुत महत्वपूर्णं आर्थिक मुद्दे उठाए हैं, जो बेहद जरूरी और बहुत जायज हैं।

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वित्त मंत्रियों की बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बहुत महत्वपूर्णं आर्थिक मुद्दे उठाए हैं, जो बेहद जरूरी और बहुत जायज हैं।यह सभी मांगें इसलिए जायज एवं जरूरी हैं क्योंकि यदि केन्द्र सरकार राज्य को उसकी हिस्सेदारी समय पर नहीं देगी तो राज्य सरकार विकास कार्यों एवं योजनाओं के लिए फंड की व्यवस्था कहां से एवं कैसे करेगी ?  –डॉ. लखन चौधरी

त्वरित टिप्पणी

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुए राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बहुत महत्वपूर्णं आर्थिक मुद्दे उठाए हैं, जो बेहद जरूरी और बहुत जायज हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने श्री बघेल ने नक्सली समस्या के उन्मूलन के लिए राज्य में तैनात केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर हुए 15 हजार करोड़ रुपए के व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए आगामी केंद्रीय बजट में विशिष्ट प्रावधान किये जाने की मांग की है।

मुख्यमंत्री की दूसरी अहम मांग जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के बाद भी अगले 5 वर्षों तक जारी रखने की है। यह एक जरूरी एवं आवष्यक मांग है, क्योंकि जीएसटी की वजह से राज्यों की वित्तीय स्थितियों पर प्रभाव पड़ा है। उपर से कोरोना कालखण्ड की मार से राज्यों के आर्थिक हालात और कमजोर हुए हैं, इसलिए इसकी अवधि निश्चित तौर पर बढ़नी चाहिए।

तीसरी बड़ी मांग कोयला उत्खनन कंपनियों से ली गई 4 हजार 140 करोड़ रुपयों की राशि छत्तीसगढ़ को अविलंब हस्तांतरित करने की है। केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से की लंबित राशि शीघ्र देने का अनुरोध किया है। पेट्रोल-डीजल पर केंद्रीय उत्पाद कर में कटौती के स्थान पर केंद्र द्वारा अधिरोपित उपकरों में कमी की जाए जिससे राज्यों को राजस्व का नुकसान न हो, या कम से कम हो।

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यह सभी मांगें इसलिए जायज एवं जरूरी हैं क्योंकि यदि केन्द्र सरकार राज्य को उसकी हिस्सेदारी समय पर नहीं देगी तो राज्य सरकार विकास कार्यों एवं योजनाओं के लिए फंड की व्यवस्था कहां से एवं कैसे करेगी ?

वर्ष 2022-23 के बजट में अनुसूचित वर्गों के कल्याण के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ठोस स्थायी व्यवस्था करने संबंधी मांग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आबंटन से संधारण व्यय करने की अनुमति का प्रावधान करने का आग्रह मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है।

रायपुर में इंटरनेशनल कार्गाे टर्मिनल प्रारंभ करने के लिए आगामी बजट में प्रावधान करने की मांग करते हुए अन्तर्देशीय परिवहन अनुदान देने की मांग उठाई गई है, जो इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि राज्य से बहुत सारे कृषि, वनोपज, औषधीय एवं औद्योगिक उत्पाद विदेशों को निर्यात किये जाते हैं। यदि राज्य में इस तरह की सुविधा आरंभ हुई तो उत्पादकों, निर्यातकों को इसका लाभ मिल सकेगा एवं इससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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केंद्रीय वित्त मंत्री की यह बैठक 2022-23 के केंद्रीय बजट की पूर्व कवायद का हिस्सा था, जिसके जरिए राज्य सरकारें अपनी मांगें रख रही हैं। बैठक में मुख्यमंत्री ने धान का मुद्दा उठाया। उन्होंने वर्ष 2021-22 में कम से कम 23 लाख मीट्रिक टन उसना चावल केंद्रीय पुल में लेने का आग्रह करते हुए कहा है कि एफसीआई को इसका लक्ष्य दिया जाना चाहिए। इसी तरह राज्य में उपलब्ध अतिशेष धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति शीघ्र देने की मांग की।

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एथेनॉल बनाने की अनुमति बहुत समसामयिक मांग है कि राज्य में बड़ी मात्रा में और जरूरत से बहुत अधिक धान की पैदावार होती है, इसे एथेनॉल बनाकर न केवल पेट्रोलियम पदार्थों की ऊंची कीमत से राहत मिल सकती है, बल्कि भारी मात्रा में खराब होती धान की बर्बादी को भी रोका जा सकता है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विभिन्न योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाने का भी आग्रह किया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में केन्द्र का हिस्सा 90 प्रतिशत और राज्य का हिस्सा 10 प्रतिशत किया जाए। ऐसा करने से राज्यों पर इसका अत्यधिक वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। जल-जीवन मिशन में केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 50-50 के स्थान पर 75-25 करने का भी आग्रह किया गया है।

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मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार की ’वोकल फॉर लोकल’ योजना के तहत स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए छत्तीसगढ़ में खोले जा रहे सी-मार्ट की स्थापना के लिए आगामी बजट में प्रावधान करने की मांग की है। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) का मुख्यालय छत्तीसगढ़ में स्थानांतरित करने की मांग उठाई। यह सही बात है कि राज्य में भारी मात्रा में खनिज संसाधनों का उत्पादन होता है इसलिए इसका मुख्यालय राज्य में होना चाहिए, जो पहले राज्य में था।

मुख्यमंत्री ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए के लिए सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है, जो अत्यंत सराहनीय एवं स्वागत योग्य है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य को आवंटित की जाने वाली राशि में वृद्धि की मांग उठाई गई है। अमरकंटक में संचालित केन्द्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय का एक कैंपस बस्तर की जनजातियों के विशेष अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़ में खोलने की मांग की एक अरसे से लंबित मांग है, जिसके लिए छत्तीसगढ़ प्रयास कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि यह मांग भाजपा कार्यकाल में डॉ. रमन सिंह के समय से चली आ रही है, जो आज तक पूरी नहीं हुई है। उच्चशिक्षा के विकास एवं गुणात्मक सुधार के लिए राज्य में ’नैक’ और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का क्षेत्रीय कार्यालय रायुपर में खोलने की मांग अत्यंत सराहनीय है। इससे राज्य के उच्चशिक्षण संस्थानों की गुणात्मकता में सुधार की संभावनाएं बहुत हद तक बढ़ सकती हैं।

जहां तक बात विपक्ष द्वारा यह उठाये जाने का कि केंद्र का हिस्सा राज्यों को 30 फीसदी मिलता था, मोदी सरकार आने के बाद राज्यों का हिस्सा 42 फीसदी किया गया है ? सही नहीं है, क्योंकि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशोंं के तहत यह हिस्सा 42 फीसदी किया गया है। 15वें वित्त आयोग ने इसमें मामूली एक फीसदी की कमी करते हुए इसे 41 फीसदी बरकरार रखा है। इसलिए यह मोदी सरकार की खैरात नहीं है। यह एक संवैधानिक प्रावधान एवं संस्तुति है।

कुल मिलाकर आज मुख्यमंत्री बघेल द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्री के समक्ष रखी गई लगभग दर्जनभर मांगे एवं सुझाव स्वागतेय हैं। इससे राज्य के बहुआयामी विकास, बदलाव एवं परिवर्तन की दिशा एवं दशा बदलेगी। अंततः राज्य के सर्वांगीण, संतुलित, समावेशी एवं समग्र विकास के लिए मांगे एवं सुझाव मिल का पत्थर साबित हो सकते हैं।

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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