जनवरी से अक्टूबर 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर सबसे न्यूनतम

इस समय छत्तीसगढ़ देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बेरोजगारी दर सबसे न्यूनतम है. मार्च से अक्टूबर 2022 के सात महिनों में बेरोजगारी दर एक फीसदी से कम दर्ज है. जनवरी से अक्टूबर 2022 के दस महिनों में बेरोजगारी की औसत दर महज 1.0 फीसदी रही है. नवम्बर 2021 से अक्टूबर 2022 यानि पिछले 12 महिनों की औसत बेरोजगारी दर मात्र 1.2 फीसदी दर्ज हुई है.

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इस समय छत्तीसगढ़ देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बेरोजगारी दर सबसे न्यूनतम है. मार्च से अक्टूबर 2022 के सात महिनों में बेरोजगारी दर एक फीसदी से कम दर्ज है. जनवरी से अक्टूबर 2022 के दस महिनों में बेरोजगारी की औसत दर महज 1.0 फीसदी रही है. नवम्बर 2021 से अक्टूबर 2022 यानि पिछले 12 महिनों की औसत बेरोजगारी दर मात्र 1.2 फीसदी दर्ज हुई है.

डॉ. लखन चौधरी

इस समय छत्तीसगढ़ देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बेरोजगारी दर सबसे न्यूनतम है. मार्च से अक्टूबर 2022 के सात महिनों में बेरोजगारी दर एक फीसदी से कम दर्ज है. जनवरी से अक्टूबर 2022 के दस महिनों में बेरोजगारी की औसत दर महज 1.0 फीसदी रही है. नवम्बर 2021 से अक्टूबर 2022 यानि पिछले 12 महिनों की औसत बेरोजगारी दर मात्र 1.2 फीसदी दर्ज हुई है. सीएमआईई के आंकड़े बतलाते हैं कि इस तरह की उपलब्धि महज कागजी कतई नहीं हो सकती है. यह उपलब्धि दर्शाती है कि भूपेश सरकार रोजगार को लेकर ज़मीन पर ठोस काम कर रही है, जिसका नतीजा आज वैश्विक पटल पर है.

अक्टूबर 2022 में राज्य में बेरोजगारी दर 0.9 फीसदी दर्ज हुई है. इसके पहले राज्य में सितम्बर महिने में बेरोजगारी दर 0.1, अगस्त 0.4, जुलाई 0.8, जून 1.2, मई 0.8, अप्रैल 0.6 और मार्च 0.6 फीसदी रही है. यह उपलब्धि सरकार के लिए इतनी बड़ी है कि इसे चाहे तो सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर सकती है, क्योंकि ऐसे समय में जब देश में इसी अवधि में औसत बेरोजगारी दर 7.5 फीसदी से अधिक बनी हुई है, छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर एक फीसदी से भी कम रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2022 के महिने में देश के ग्रामीण इलाकों में 7.4 एवं शहरी क्षेत्रों में 7.9 फीसदी यानि कुल 7.8 फीसदी बेरोजगारी दर रही है. इस महिने में सर्वाधिक बेरोजगारी दर हरियाणा 31.8, राजस्थान 30.7, जम्मू-कश्मीर 22.4, झाारखण्ड 16.5 और बिहार 14.5 फीसदी दर्ज हुई है. सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश 0.8, ओडिशा  1.1, गुजरात 1.7 और कर्नाटक 2.7 फीसदी रहे हैं.

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दरअसल में राज्य सरकार की खेतीकिसानी और खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था जुड़ी तमाम आर्थिक गतिविधियां बेहद लाभकारी एवं रोजगार मूलक सिद्ध हो रहे हैं. भूपेश बघेल सरकार की आर्थिक नीतियां, योजनाएं एवं कार्यक्रम अत्यंत परिणाम मूलक एवं प्रभावकारी सिद्ध हो रहे हैं, नतीजा देश में सबसे न्यूनतम बेरोजगारी दर के रूप में सामने है. सीएमआईई यानि ’संेटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी’ की चार नवम्बर को जारी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़, देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सितम्बर 2022 में राज्य में बेरोजगारी दर मात्र 0.1 फीसदी थी. इस तरह देखा जाये तो जून को छोड़कर मार्च से अक्टूबर तक लगातार पिछले सात महिने से छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड एक फीसदी से कम बनी हुई है.

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एक फीसदी से कम बेरोजगारी दर के मायने क्या हैं ? अक्सर लोग सवाल करते हैं कि एक फीसदी से कम बेरोजगारी दर के मायने क्या हैं ? और यह लगभग असंभव है. दरअसल  इसके मायने यह हैं कि राज्य में लगभग पूर्णं रूपेण कोई कार्यशील व्यक्ति पूर्णंतः खाली नहीं है. इसका तात्पर्य यह है कि राज्य का कोई भी कार्यशील पूर्णंतः बेरोजगार नहीं है. राज्य के सारे कार्यशील किसी न किसी तरह के कामकाज में लगे हैं. खेतीकिसानी के साथ दर्जनों सरकारी योजनाओं का फायदा लोगों को मिल रहा है. खेती के साथ नरवा गरूवा घुरवा बारी, गौधन-गौठान और खेती के बाद वनोपज संग्रहण, मनरेगा यानि पूरे बारह महिने लोगों के पास काम उपलब्ध हैं, इसलिए राज्य का कोई भी कार्यशील व्यक्ति पूर्णंतः बेरोजगार नहीं है.

दरअसल  इस तरह की रिकॉर्ड उपलब्धियों के पीछे सरकार की दूरदर्शी, दूरवर्ती एवं नवाचारी कल्याणकारी योजनाओं, नीतियों एवं कार्यक्रमों की बड़ी भूमिका है. घोषणापत्र में किये वादे के मुताबिक सरकार ने आते ही किसानों की कर्ज माफी की, 2500 रू. में धान खरीदी को अंजाम दिया, मनरेगा के माध्यम रोजगार के अवसर बढ़ाये गये, बिजली का बिल आधा किया गया, बस्तर एवं सरगुजा सहित राज्यभर में वनोपजों के संग्रहण के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया गया, दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ाकर इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया. इस संयुक्त प्रयास एवं प्रोत्साहन का परिणाम यह रहा कि राज्य में पूरे बारह महिने रोजगार के अवसर उपलब्ध होते रहे, और आज राज्य को सबसे न्यूनतम बेरोजगारी दर का श्रेय मिल रहा है, तो यह सरकार की इन्हीं महात्वाकांक्षी नीतियों एवं योजनाओं का परिणाम है.

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इसमें राजीव गांधी किसान न्याय योजना, भूमिहीन रोजगार गांरटी योजना, गौधन न्याय योजना, गढ़बो छत्तीसगढ़, नरवा गरूवा घुरवा बारी, गौठान योजना, कर्ज माफी, सौर सुजला योजना, बिजली बिल हॉफ योजना, हाट-बाजार एवं पौनी-पसारी योजना, राजीव गांधी मितान योजना, महिला स्वसहायता समूह इत्यादि दर्जनों ’फ्लैगशिप योजनाओं’ का योगदान है, जिनकी बदौलत राज्य में बेरोजगारी दर लगातार दस महिनों से एक फीसदी से कम बनी हुई है.

बहरहाल, निष्कर्ष यह है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर पिछले लगभग ढाई-तीन साल से देशभर में सबसे कम बनी हुई है. कोरोना कालखण्ड में भी जब देशभर में बेरोजगारी को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे, राज्य में इसके बेहतर विकल्प उपलब्ध थे. यही वजह है कि राज्य में कोविड संकट काल में भी बेरोजगारी देखने को नहीं मिली है. सरकार की नीतियों की वजह से बाजार में पर्याप्त मांग बनी हुई है, और राज्य की अर्थव्यवस्था देशभर की तमाम राज्जीय अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर स्थिति में है, जिसका श्रेय निश्चित तौर पर भूपेश सरकार को दिया जाना या मिलना चाहिए.

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

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