विश्वभारती के आंदोलनकारी छात्रों के समर्थन में उतरीं जेएनयूएसयू अध्यक्ष आयशी घोष

भारती विश्वविद्यालय से तीन विद्यार्थियों को निष्कासित करने के फैसले के खिलाफ छात्रों के साथ एकजुटता व्यक्त करने जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष और एसएफआइ बंगाल इकाई के प्रमुख सृजन भट्टाचार्य मंगलवार को बीरभूम में प्रदर्शन में शामिल हुए।

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कोलकाता | भारती विश्वविद्यालय से तीन विद्यार्थियों को निष्कासित करने के फैसले के खिलाफ कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के आवास के पास प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष और एसएफआइ की बंगाल इकाई के प्रमुख सृजन भट्टाचार्य मंगलवार को बीरभूम में प्रदर्शन में शामिल हुए। छात्र नेताओं ने कहा कि कुलपति को निष्कासन का आदेश तत्काल रद करना चाहिए और अपने कामकाज के छात्र विरोधी, अलोकतांत्रिक तरीके को बदलना चाहिए या इस्तीफा दे देना चाहिए।

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वहीं, आंदोलन को मंगलवार को चार दिन हो गए। तीन विद्यार्थियों को कथित उपद्रवी आचरण के लिए 23 अगस्त को तीन साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। उनमें से दो छात्र अर्थशास्त्र विभाग से हैं और एक संगीत की पढ़ाई कर रहा है। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त जांच आयुक्त के समक्ष अपना बचाव करने का मौका दिया गया था, लेकिन उनमें अपने कृत्य को लेकर कोई खेद नहीं था।

एसएफआइ की राष्ट्रीय स्तर की नेता घोष ने संवाददाताओं से कहा कि वह उन तीन छात्रों को समर्थन देना चाहती हैं, जो कुलपति के “कठोर निर्णय” के कारण अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं। घोष ने दावा किया, “इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। हम विश्वभारती के छात्रों को पूर्ण समर्थन देने का वचन दे रहे हैं। वास्तव में, जेएनयू से लेकर विश्वभारती तक, जब भी केंद्र में भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त कुलपति होते हैं, तो उदार विचारों को कुचलने, एक विचारधारा थोपने का प्रयास किया जाता है।

ट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन के मद्देनजर विश्व भारती द्वारा स्नातक (यूजी) और परास्नातक (पीजी) पाठ्यक्रमों में प्रवेश को अस्थायी रूप से रोकने के निर्णय का मकसद आंदोलनकारी छात्रों को “गलत रूप” में दिखाना है।

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