नई शिक्षा नीति बनी चुनौती ,केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ही साढ़े 6 हजार पद खाली

छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों पर भी नई शिक्षा नीति लागू करने का दबाव है | छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर सरकार और राजभवन में तनातनी जारी है | वहीं इन विश्वविद्यालयों में खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया ठन्डे बस्ते में है | ऐसे में नई शिक्षा नीति लागू करना एक कठिन चुनौती है |

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छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों पर भी नई शिक्षा नीति लागू करने का दबाव है | छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर सरकार और राजभवन में तनातनी जारी है | वहीं इन विश्वविद्यालयों में खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया ठन्डे बस्ते में है | राज्य के सबसे बड़े पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया रुकी पड़ी है |ऐसे में नई शिक्षा नीति लागू करना एक कठिन चुनौती है |

-डॉ. निर्मल कुमार साहू 

देशभर के विश्वविद्यालयों में जहाँ नई शिक्षा नीति लागू करने का दबाव है वहीं केंद्रीय  विश्वविद्यालयों में करीब साढ़े 6 हजार  शिक्षकों के पद खाली हैं | ऐसे में नई शिक्षा नीति लागू करना एक कठिन चुनौती है | हाल ही में कुलपतियों के साथ बैठक  में शिक्षा मंत्री ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा था कि आपको यह ऑटोनॉमी है कि आप यह कैसे करें| यह आप पर निर्भर है कि आप इसको कैसे रोलआउट करेंगे|

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की थी |  इस दौरान नई शिक्षा नीति, ऑनलाइन पाठ्यक्रम, विश्व विद्यालयों में रिक्त पड़े पद समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई थी |  बैठक में यह जानकारी सामने आई थी  कि  केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6229 पद खाली पड़े हैं| इनमें से 1012 एससी कैटेगरी से हैं|  592 एसटी, 767 ओबीसी, 805 ईडब्ल्यूएस और 350 दिव्यांग श्रेणी के पद हैं| तब केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने  इन पदों को मिशन मोड में भरे जाने का जिक्र किया था |

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देश के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दिल्ली विश्वविद्यालय सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है|  देश के इस सबसे बड़े विश्वविद्यालय ही में ही शिक्षकों के सबसे अधिक 859 पद खाली पड़े हैं| डीयू के अलावा जेएनयू में 317, जामिया मिलिया इस्लामिया में 211, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 611 और बीएचयू में शिक्षकों के 499 पद खाली हैं|

शिक्षाविदों का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लंबे समय से प्रोफेसर , एसोसिएट प्रोफेसर व सहायक प्रोफेसरों के पद खाली हैं| इन पदों को भरने के लिए कई बार विज्ञापन भी जारी हो चुके हैं , दिल्ली विश्वविद्यालयों जैसे बड़े विश्वविद्यालय द्वारा स्क्रीनिंग प्रक्रिया करने के बावजूद इन पदों को नहीं भरा नहीं गया|

बता दें नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शैक्षणिक संरचना को 5 + 3 + 3 + 4 में डिज़ाइन किया गया है। इसके  अंतर्गत 3 साल का डिग्री कोर्स, अल्टरनेटिव में 4 वर्षीय डिग्री कोर्स ऐसे ही पोस्ट ग्रेजुएशन में डिग्री कोर्स 2 साल और 1 साल है|

कुलपतियों के साथ बैठक  में शिक्षा मंत्री ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा था कि आपको यह ऑटोनॉमी है कि आप यह कैसे करें| यह आप पर निर्भर है कि आप इसको कैसे रोलआउट करेंगे| अगले साल तक सभी लोग इस विषय पर अपनी अपनी प्रक्रिया तय कर लें|

संसद में दी गई एक  जानकारी के मुताबिक  दिल्ली विश्वविद्यालय में 859 , इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 611 , बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में 499 , अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 359 , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) में 317 , डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 230 पद खाली हैं| हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 230 पद, जामिया मिलिया इस्लामिया में 211 , पुदुचेरी विश्वविद्यालय में 199 , विश्व भारती (पश्चिम बंगाल ) में 191 , पूर्वोत्तर पर्वर्तीय विश्वविद्यालय में 175 , हैदराबाद विश्वविद्यालय में 153 , इग्नू में 148 , त्रिपुरा विश्वविद्यालय में 143 , उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय में 137 , हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में 129 , गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में 124 , मणिपुर विश्वविद्यालय में 119 और राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 100 पद खाली हैं|

 

 

 छत्तीसगढ़ के गुरु घांसीदास  केंद्रीय विश्वविद्यालय में विगत 3 बरस से विज्ञापन निकाले जा रहे हैं और हर बार इसे रोक दिया जा रहा है | वर्ष 2021 में यहाँ शिक्षकों के 120 पदों के लिए आवेदन मंगाए गये थे |  

 

 

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