आरटीई:हजारों बच्चें प्रवेश से रह गए वं‎चित, बाल आयोग ने ‎लिखा सरकार को पत्र

चालू ‎शिक्षण सत्र में हजारों की संख्या में बच्चे शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत स्कूलों में प्रवेश से वं‎‎चित रह गए। ऐसे बच्चों के माता-‎पिता अब शिकायत राज्य ‎शिक्षा केंद्र पहुंच रहे हैं।

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भोपाल । चालू ‎शिक्षण सत्र में हजारों की संख्या में बच्चे शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत स्कूलों में प्रवेश से वं‎‎चित रह गए। ऐसे बच्चों के माता-‎पिता अब शिकायत राज्य ‎शिक्षा केंद्र पहुंच रहे हैं। इस बार प्रदेश के 26 हजार निजी स्कूलों में गरीब बच्‍चों को एडमिशन दिया जा रहा है।

प्रदेश के निजी स्कूलों में करीब ढाई लाख सीटें आरक्षित की गईं। लेकिन प्रदेश में हजारों और अकेले भोपाल में करीब 200 बच्चे ऐसे हैं, जिनका आरटीई के तहत एडमिशन केवल इस कारण नहीं हो सका, क्योंकि फॉर्म में त्रुटि के कारण उनका आवेदन ही निरस्त हो गया। दूसरी ओर राजधानी के स्कूलों में अब भी आरटीई की सीटें रिक्त हैं।

अकेले भोपाल नहीं, पूरे प्रदेश में कमोबेश यह स्थिति है। इसे लेकर अभिभावकों ने राज्य शिक्षा केंद्र में शिकायत की है। साथ ही अभिभावकों ने इसे गंभीरता से लेते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग में भी गुहार लगाई है। ज्ञात हो कि सत्र 2021-22 के लिए प्रदेश के 26 हजार निजी स्कूलों में दो लाख 84 हजार सीटें आरक्षित की गई थीं। इसमें से एक लाख 40 हजार 143 बच्चों को प्रवेश के लिए स्कूल आवंटित किए गए।

इस साल आरक्षित सीटों में से एक लाख 44 हजार सीटें खाली रह गईं। सत्र 2021-22 में एक लाख 99 हजार 741 बच्चों के पालकों ने निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इसमें से दस्तावेज सत्यापन के बाद लॉटरी में शामिल होने के लिए एक लाख 72 हजार 440 बच्चे पात्र हुए।

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इसमें एक लाख 40 हजार 143 बच्चों को स्कूल आवंटित किए गए हैं। इस मामले में बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इन बच्चों को एक मौका और देने की अनुशंसा की है। ब्रजेश चौहान ने बताया कि उनके पास लगातार अभिभावक पहुंच रहे हैं।

गुस्र्वार को ही दस से अधिक अभिभावक अपने बच्चों का आरटीई के तहत एडमिशन कराने का अनुरोध लेकर पहुंचे। इसे देखते हुए आयोग की ओर से एक पत्र स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव और राज्य शिक्षा केंद्र के कमिश्नर को लिखा गया है।

अपने पत्र में आयोग सदस्य ने लिखा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत गरीब बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिए जाने का प्रावधान है। जहां उन्हें निश्शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। इन स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन आवेदन दिए जाते हैं। इन स्कूलों में इस सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

आयोग सदस्य ने आगे लिखा कि लगातार उनकी जानकारी में आ रहा है कि अभिभावकों द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने में छोटी- छोटी त्रुटि होने से उनके आवेदन निरस्त कर दिए गए, जिससे अनेक बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश पाने से वंचित हो रहे हैं । ऐसे में वह अभिभावक जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन करने में त्रुटि की है, उन्हें त्रुटि सुधार के लिए पुन: एक अवसर प्रदान किया जाए ताकि वे शिक्षा के अधिकार अधिनियम से वंचित न हों।

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