महासमुन्द नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 4 जुलाई को मतदान

महासमुन्द जिला मुख्यालय की नगर पालिका अध्यक्ष के विरुद्ध 10 पार्षदों द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर 4 जुलाई को मतदान होना है परन्तु उसके पहले ही नगर पंचायत सराईपाली के अध्यक्ष के विरुद्ध भी 10 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया है.

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महासमुन्द। महासमुन्द जिला मुख्यालय की नगर पालिका अध्यक्ष के विरुद्ध 10 पार्षदों द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर 4 जुलाई को मतदान होना है परन्तु उसके पहले ही नगर पंचायत सराईपाली के अध्यक्ष के विरुद्ध भी 10 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. सूत्रों की माने तो लगभग यही स्थिति आगामी कुछ दिनों में बागबाहरा नगर पंचायत में भी बन सकती है.

नगर पालिका सरायपाली में स्पस्ट बहुमत के बाद भी कांग्रेस पार्षद ने जोड़तोड़ कर अध्यक्ष की कुर्सी कॉन्ग्रेस की झोली में डाल दी थी. इसके लिए पूरी तरह भाजपा के संगठन को जिम्मेदार माना जा रहा था.

अब महासंमुन्द में अविश्वास प्रस्ताव स्वीकृत होता देख सराईपाली में भी अचानक भाजपा की निंद्रा टूटी है और अब भाजपा के 10 पार्षदों ने नगर पालिका अध्यक्ष अमृत पटेल के विरुद्ध कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा है.जिससे अध्यक्ष अल्पमत में आ गए है।

Video :कांग्रेसी सरायपाली नगर पालिका अध्यक्ष अमृतलाल पटेल की कुर्सी खतरे में !

ज्ञात हो कि कुल 15 पार्षद वाली नगर पालिका में पूर्ण बहुमत जुटा चुकी भाजपा के पास 11 ,कांग्रेस के 3 एवं 1 निर्दलीय पार्षद है. विगत नगरीय निकाय चुनाव के समय कांग्रेस के केवल 3 पार्षद जीते थे जबकि भाजपा गुट से 11 पार्षद जीत हासिल किए थे फिर भी कांग्रेस ने विश्वास मत हासिल कर लिया था.

जनादेश में बहुमत के बाद भी स्थानीय स्तर पर भाजपा की हार से भाजपा नेताओं की अब निद्रा टूटी है और अब पूर्व की गलती सुधारने अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है.

बागबाहरा में भी अस्थिरता की बयार

इधर जिले की एक ओर महत्वपूर्ण नगर पालिका बागबाहरा में भी धीरे धीरे अस्थिरता की बयार बहने लगी है. इस निकाय के कुल 15 वार्डो में भाजपा के 6 निर्दलीय 5 एवम काँग्रेस के 4 पार्षद चुने गए थे. परन्तु सबसे अधिक पार्षद वाली भाजपा को पछाड़ कर कांग्रेस अपना अध्यक्ष बनानें में सफल हुई थी.

इस सम्बंध में जानकर बताते है कि अजजा महिला हेतु आरक्षित अध्यक्ष पद हेतु भाजपा के पास कोई प्रत्याशी नहीं था लिहाजा कांग्रेस ने जुगाड़ नीति से अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया था.

इस चुनाव में भाजपा उपाध्यक्ष पद पर अपना परचम लहराने में सफल रही थी. अब महासमुन्द एवम सराईपाली की तर्ज पर बागबाहरा में भी भाजपा यह प्रयास करती दिख रही है कि यहां भी अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के पास ही हो.

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लिहाजा अत्यंत गोपनीय तरीके से यहां भी तख्ता पलट की तैयारी होने की खबरे मिल रही है. इस निकाय में भाजपा द्वारा एक निर्दलीय महिला पार्षद को अध्यक्ष पद हेतु समर्थन हेतु भी प्रयास करने की भी खबर मिल रही है.

 कांग्रेस के लिए महासमुन्द आसान न हीं

आगामी 4 जुलाई को इस बात का फैसला होना है कि जिला मुख्यालय में भाजपा का कब्जा बरकरार रहता है या नहीं . परन्तु सूत्रों की माने तो वर्तमान परिस्थियों में अविश्वास प्रस्ताव पारित होना आसान नहीं होगा।

सूत्र बताते हैं  कि अब कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए दो दमदार पार्षद मैदान में होंगे।कांग्रेस संगठन को इनमे से एक को मैदान में उतार कर दूसरे से उसके समर्थन में रखना आसान नहीं होगा।

बहरहाल भाजपा को तोड़ने के बाद भी जिला मुख्यालय में कांग्रेस को अपना अध्यक्ष चुनना आसान काम नहीं होगा।इसके लिए सत्ता पक्ष को काफी मसक्कत करनी पड़ सकती है।

 तुमगांव में भी सुगबुगाहट

जिले के स्थानीय निकायों में महाराष्ट्र का असर दिखाई देने लगा है. महासमुन्द का सूतक तुमगांव तक पहुचता दिख रहा है. हालांकि इस नगर पंचायत में भाजपा का अध्यक्ष काबिज है. परन्तु मूलतः 7 सीटे पार्टी चिन्ह से जीते पार्षदों ने दो निर्दलीय पार्षदों को भाजपा प्रवेश करवा कर भाजपा को ही सत्ता सौंपी थी.

दूसरी ओर काँग्रेस के चिन्ह से कुल 5 पार्षद जीत कर परिषद पहुचे थे अब एक निर्दलीय पार्षद के कांग्रेस प्रवेश से इसकी संख्या 6 पहुच गयी है. अब परिवर्तन की बयार में कांग्रेस संगठन भाजपा प्रवेश किये पार्षदों पर डोरे डालने लगे है. यदि कांग्रेस की योजना सफल हुई तो यहां भी जिले की दो नगर पालिकाओं जैसे हालात यहाँ निर्मित हो सकते है.

बहरहाल केंद्र एवम प्रदेश स्तर पर चल रही जोड़तोड़ की राजनीति अब स्थानीय निकायों तक पहुच चुकी है. यहां भी बहुमत से बनी परिषद का तख्ता पलट के लिए सभी तरह के उपाय किये जा रहे हैं. जिससे जोड़ तोड़ के बहाने भ्रस्टाचार के भी बढ़ने की संभावना बलवती होती जा रही है.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा 

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