छत्तीसगढ़ की शराब नीति के कायल कई प्रदेश ,अब भाजपा शासित MP ने मांगी मदद

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के अगर-मगर के बीच उसके शराब कारोबार  पर देश के कई राज्य  कायल होते जा रहे हैं| झारखण्ड के बाद अब मध्यप्रदेश (MP )की भाजपा शासित सरकार ने भी शराब बेचने के लिए मदद मांगी है | दक्षिण और उत्तर भारत के  राज्य तमिलनाडु और  हरियाणा  भी दिलचस्पी लेने लगे हैं|   

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रायपुर | छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के अगर-मगर के बीच उसके शराब कारोबार  पर देश के कई राज्य  कायल होते जा रहे हैं| झारखण्ड के बाद अब मध्यप्रदेश (MP )की भाजपा शासित सरकार ने भी शराब बेचने के लिए मदद मांगी है | दक्षिण और उत्तर भारत के  राज्य तमिलनाडु और  हरियाणा  भी दिलचस्पी लेने लगे हैं|

रायपुर स्थित  सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के आबकारी सचिव निरंजन दास, मार्केटिंग फेडरेशन के प्रमुख एपी त्रिपाठी और आबकारी उपायुक्त आशीष श्रीवास्तव भोपाल जाकर 24 फ़रवरी को छत्तीसगढ़ की शराब नीति पर प्रजेंटेशन देंगे |

मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार मौजूदा अपने 12 हजार करोड़ के  शराब कारोबार को बढ़ाकर 15 हजार करोड़ करने की तैयारी कर रही है| इसके लिए उसने छत्तीसगढ़ की मदद माँगी है |

छत्तीसगढ़ का शराब कारोबार सालाना 4-5 हजार करोड़ है और वह 700 दुकानों से इतना कमाती है जबकि मध्यप्रदेश में 3611 दुकानें है जिसे वह ठेके पर देती है और उसे पिछले दो साल से नुकसान उठाना पड़ रहा है|

रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में इस बरस 25 फीसदी दुकानें ही ठेके पर ली गई हैं | ठेकेदार सिंडीकेट बनाकर वैध के बजाए अवैध कारोबार करते हुए शराब  कारोबार को नुकसान पहुंचा रहे हैं।  हालांकि मध्यप्रदेश में बीते 10 साल में शराब की खपत 23 फीसदी बढ़ी। इसे और बढ़ाने सरकार ने शराब की कीमतों में 20 फीसदी  कमी  की थी। इसके बाद भी उस अनुपात में राजस्व में इजाफा नहीं हुआ और सरकार को अपनी आबकारी नीति बदलनी पड़ी |

झारखंड और मध्यप्रदेश के बाद तमिलनाडु और हरियाणा सरकार भी अब छत्तीसगढ़ की शराब नीति पर दिलचस्पी लेने लगी  है |

बता दें छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश में शराबबंदी प्रमुख मुद्दा रहा, इसके बल पर सत्ता में आई | अब जब सरकार के तिन बरस गुजर चुके हैं शराबबंदी पर उसका अगर-मगर जारी है |

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हाल ही में  प्रदेश कांग्रेस प्रमुख मोहन मरकाम ने छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर बड़ा बयान देते कहा था कि प्रदेश का 60 फीसदी इलाका आदिवासी  है और यहाँ शराबबंदी ठीक नहीं है  |

छत्तीसगढ़ का 60 फीसदी इलाका आदिवासी, शराबबंदी ठीक नहीं: मरकाम

वहीँ छत्तीसगढ़ भाजपा इस मुद्दे को लेकर शुरू से हमलावर तेवर बनाए हुए है |

वैसे Chhattisgarh में पूर्ण शराबबंदी का अशासकीय संकल्प ख़ारिज हो चुका है | छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया।

इस संकल्प में राज्य में 1 जनवरी 2022 से पूर्ण शराबबंदी का समर्थन किया, जिसका सत्ता पक्ष ने जमकर विरोध किया। शराबबंदी के पक्ष में 13 और शराब बंदी के खिलाफ 58 वोट पड़े। 1 जनवरी से शराबबन्दी की मांग वाला अशासकीय संकल्प खारिज हुआ।

बता दें छत्तीसगढ़ में नए साल की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर को शराबी 31 करोड़ की शराब पी गए।इसमें राजधानी रायपुर अव्वल रहा,दुर्ग बिलासपुर राजनांदगाँव अंबिकापुर प्रथम पांच में शामिल रहे।

बहरहाल, धान खरीदी और खाद आवंटन पर केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़  सरकार की तनातनी के बीच छत्तीसगढ़ की शराब नीति भाजपा शासित दो प्रदेशों मध्यप्रदेश और हरियाणा की दिलचस्पी बहुत मायने रखती है |

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