मनीराम गोंड के वंशजों को 27 साल बाद भी नहीं मिला जमीन का पट्टा
भारत india में सागौन प्लांटेशन के जन्मदाता और छत्तीसगढ़ chhattisgarh को सागौन का जंगल देने वाले मनीराम गोंड के वंशजों को करीब 30 साल बाद भी जमीन का पट्टा नहीं मिल सका है |
पिथौरा| भारत india में सागौन प्लांटेशन के जन्मदाता और छत्तीसगढ़ chhattisgarh को सागौन का जंगल देने वाले मनीराम गोंड के वंशजों को प्रशासन 27 साल बाद भी जमीन का पट्टा नहीं दे सकी है |
मनीराम गोंड ने देवपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम गीधपुरी में सरई बाहुल्य वन क्षेत्र में सागौन पौधों का रोपण कर एक अभिनव प्रयोग किया था। उसकी देखरेख में यह सागौन प्लांटेशन प्रदेश ही नहीं पूरे भारत देश का यह पहला सागौन प्लांटेशन था।
छत्तीसगढ़ के मनीराम गोड़ द्वारा लगाया गया सागौन प्लांटेशन वृक्षारोपण कार्यक्रमो के लिए एक मिसाल बन कर उभरा था। इसके बाद शासन द्वारा सागौन प्लांटेशन के प्रेरणा स्रोत्र मनीराम गोंड के वंशजों को जमीन का पट्टा प्रदान करने की घोषणा की थी जो कि आज 30 साल बाद भी अमल में नही लाया जा सका है।
मिली जानकारी के अनुसार आज से कोई 130 वर्ष पूर्व सन् 1891 में बलौदा बाजार जिला अंतर्गत देवपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम गीधपुरी में मनीराम गोंड ने सरई बाहुल्य वन क्षेत्र में सागौन पौधों का रोपण कर एक अभिनव प्रयोग किया था। स्व. मनीराम की देखरेख में यह सागौन प्लांटेशन प्रदेश ही नही पूरे भारत देश का यह पहला सागौन प्लांटेशन था।अपने इस कारनामे से मनीराम देखते ही देखते नायक बन गया।तत्कालीन सरकारो की ओर से ऐसे नायक को जीते जी कभी भी सम्मान नही मिल पाया ।
मनीराम के वंशज जो आज भी महासमुन्द जिला अंतर्गत पिथौरा ब्लाक के कुम्हारीमुडा ग्राम के निवास कर रहे है। स्व. प्रेमसिंह गोंड उनके पोते थे जिसे सरकार ने वर्ष 1995-96 में पचास हजार रूपये एवं 10 एकड खेती पं.ह.नं. 24 में खसरा नं. 1312 का तुकडा रकबा 4.00 हे. जमीन दिया गया था जिसका मालिकाना हक एवं पटटा आज तक उन्हें नही मिल पाया है।
अब शासन से प्राप्त जमीन का पट्टा लेने स्व. प्रेमसिंग की बेवा हिराबाई उम्र लगभग 75 वर्ष शासन प्रशासन से पट्टाकी मांग को लेकर चककर लगाते भटक रही है ।पर उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है|
ज्ञात हो कि हिराबाई के बुढा ससुर मनीराम गोंड ने सन 1891 देवपुर वन परिक्षेत्र के गीधपुरी गॉव में सर्वोत्तम किस्म का सागौन रोपड कर करोड़ों की सम्पत्ति राष्ट्र को समर्पित किया था
भूपेश सरकार से अपेक्षा–हीराबाई
स्व’- मनीराम गोंड के पोते की बेवा हीराबाई ने इस प्रतिनिधि को बताया कि अब तक किसी भी सरकार ने तत्कालीन सरकारों के वायदे निभाने के प्रयास नही किये।जिससे वे लगातार चक्कर लगाने मजबूर है।अब प्रदेश में भूपेश सरकार से अपेक्षा है कि उन्हें पट्टा मिल ही जायेगा।
दूसरी ओर सर्वआदिवासी समाज के स्थानीय अध्यक्ष मनराखन ठाकुर ने भी महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया है कि इस संबंध में राज्य सरकार को उचित कार्यवाही करने का निर्देश देने की कृपा करे !
मनीराम की कहानी
करीब 132 बरस पहले छत्तीसगढ़ के रायपुर वनमंडल अंतर्गत पिथौरा में कार्यरत एक अंग्रेज अफसर को मनीराम के हाथों बने खाने का जायका इतना पसंद आया कि वे उसे अपने साथ इंग्लैंड ले गया | वहां मनीराम ने रुट शूट प्लांट पद्धति से पौधा लगाना सीखा|
वहां से लौटकर उसने बार नवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य से लगे देवपुर के उजाड़ जंगल के 23 एकड़ हिस्से में अपनी पत्नी संग सागौन के पौधे लगा दिए |
जब अफसर लौटकर आया तो उसके इस कम को गैर क़ानूनी मांग नौकरी से निकल दिया | बताया जाता है कि इससे सदमें में आया मनीराम मानसिक संतुलन खो बैठा और एक दिन उसी जंगल में मौत हो गई |
बता दें कि सन 1995 में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने मनीराम के पोते प्रेमसिंह को को 10 एकड़ जमीन और 50 हजार रुपये दिए ।
वहीँ सन 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पौधरोपण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करनेवाले को ‘मनीराम गोंड स्मृति हरियर मितान’ नाम से राज्यस्तरीय सम्मान देने की घोषणा की गई |
लेकिन पोते की मौत के बाद उसके बेवा को भी उस जमीन का पट्टा नहीं मिल सका है |
input deshdigital के साथ पिथौरा से रजिंदर खनूजा की रिपोर्ट